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अब अखिलेश यादव के सामने अपनों को संभालना बड़ी चुनौती! 

अखिलेश यादव
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चरण सिंह राजपूत
भाजपा समेत दूसरे दलों से सपा में आ रहे नेताओं के चलते भले ही आने वाले विधानसभा चुनाव में सपा के पक्ष में माहौल बनता दिखाई दे रहा हो पर अब अखिलेश यादव की चुनौती और बढ़ गई हैं।  उत्तर प्रदेश में बनते नए समीकरणों के बीच अखिलेश यादव के लिए अपने ही संगठन को टूट से बचाने की बड़ी चुनौती पैदा हो गई है। भाजपा से जिस तरह से बड़े स्तर पर टूटकर नेता सपा में आये हैं, इससे अब सपा में टिकटों के दावेदार असमंजस की स्थिति है। उत्तर प्रदेश में लगभग हर विधानसभा क्षेत्र में सपा के कई-कई दावेदार हैं। निश्चित रूप से भाजपा समेत दूसरे दलों से टूटकर सपा में आये नेता अपने अलावा अपने समर्थकों के लिए टिकट मांगेंगे। यदि अखिलेश यादव इन  नेताओं के समर्थकों को टिकट नहीं देते है तो इनके बिदकने का अंदशा है और  यदि देते हैं तो सपा के उम्मीदवारों के नाराज होने का अंदेशा। दरअसल हर पार्टी में ऐसे कितने नेता हैं जिनका मकसद चुनाव लड़ना ही है। ऐसे में यदि सपा के इन नेताओं को टिकट नहीं मिलता है तो ये दूसरी पार्टी या फिर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े होकर अखिलेश यादव के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं।
इसमें दो राय नहीं कि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी कई मंत्री और विधायकों के अलावा अन्य पार्टी के नेताओं के सपा में शामिल होने से सपा का चुनाव प्रचार मजबूत हुआ है। यह भी जमीनी हकीकत है कि अखिलेश यादव को अब इनके क्षेत्र में टिकट बंटवारे में बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। जैसे योगी सरकार से मंत्री पद को छोड़ने वाले धर्म सिंह सैनी सहारनपुर की नकुड़ विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार के विधायक है। अब सपा में आने के बाद उनके सामने सपा के भी कई उम्मीदवार हैं।  इतना ही नहीं  हाल ही में कांग्रेस छोड़कर सपा में आये इमरान मसूद  2017 और 2012 के विधानसभा चुनाव में इसी नकुड़ विधानसभा सीट पर धर्मवीर सैनी से चुनाव हारे थे और दूसरे नंबर पर रहे थे।  ऐसा भी नहीं है कि नकुड़ ही एक ऐसी सीट है कि अखिलेश यादव को इन परिस्तिथियों का सामना करना पड़ेगा। अखिलेश यादव के सामने ऐसी 18 से अधिक विधानसभा सीटें हैं। यह तो बात विभिन्न पार्टियों से टूटकर सपा में आये नेताओं की है। सपा के साथ सात छोटे दलों ने भी गठबंधन किया है। जो भी अपने-अपने नेताओं को टिकट दिलाने में लगे हैं।

योगी आदित्यनाथ को छोड़कर अखिलेश यादव  के साथ आये नेता स्वामी प्रसाद मौर्य पडरौना विधानसभा चुनाव क्षेत्र से मौजूदा विधायक हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा पडरौना में चौथे स्थान पर थी।  सपा ने 2017 में अपनी तत्कालीन गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को यह सीट दी थी, जो उन चुनावों में तीसरे स्थान पर रही थी। इसमें दो राय नहीं कि स्वामी प्रसाद मौर्य ही पडरौना सीट पर सपा के उम्मीदवार होंगे।
बसपा के दिग्गज नेता और अकबरपुर से मौजूदा विधायक राम अचल राजभर हाल ही में सपा में शामिल हुए हैं। 2017 में राजभर ने सपा के उन राममूर्ति वर्मा को हराया था जो 2012 के चुनाव में यहां से विधायक बने थे। इसी तरह की स्थिति कटेहरी निर्वाचन क्षेत्र है, जहां के मौजूदा विधायक लालजी वर्मा बसपा छोड़ सपा में शामिल  हो गए। स्वभाविक है कि स्वभाविक है कि लालजी वर्मा ही कटेहरी से सपा के उमीदवार होंगे। सपा के वरिष्ठ नेता जयशंकर पांडे भी इस सीट पर प्रबल दावेदार हैं।
भाजपा छोड़कर सपा में आने वाले रोशन लाल वर्मा, जो शाहजहांपुर जिले के तिलहर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये यहां से सपा के उम्मीदवार होंगे। यहां से सपा के कम से कम 20 नेता तिलहर से टिकट की मांग कर रहे हैं।