
लखनऊ। बीजेपी गिन गिन कर मुस्लिम बहुल सीटों पर कब्ज़ा कर रही है। रामपुर और कुंदरकी विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में जीत हासिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी की नजर अब मऊ सदर सीट पर है। मऊ सदर सीट हाल ही में अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता रद्द होने के बाद खाली हुई है, जिन्हें हेट स्पीच मामले में दोषी ठहराया गया था। अब इस सीट पर उपचुनाव की तैयारी चल रही है।
BJP और सुभासपा के बीच तनाव
सुभासपा का दावा: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा), जो BJP की सहयोगी है, इस सीट पर अपना दावा ठोक रही है। सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने कहा है कि अब्बास अंसारी उनके विधायक थे और यह सीट उनके खाते में आती है, क्योंकि 2022 में सुभासपा ने सपा के साथ गठबंधन में यह सीट जीती थी।
BJP का रुख: दूसरी ओर, BJP भी इस सीट पर दावा कर रही है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, BJP इसे अपनी सियासी ताकत बढ़ाने के अवसर के रूप में देख रही है, खासकर पूर्वांचल में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए। BJP का कहना है कि अंतिम फैसला दिल्ली से पार्टी नेतृत्व करेगा।
सियासी समीकरण: मऊ सीट लंबे समय से बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी का गढ़ रही है, जो अब जेल में हैं। उनके बेटे अब्बास अंसारी ने 2022 में सुभासपा के टिकट पर यह सीट जीती थी। अब गठबंधन की बदली परिस्थितियों में, सुभासपा का BJP के साथ होना इस सीट पर एक रोचक मुकाबला पेश कर रहा है।
BJP की रणनीति
रामपुर और कुंदरकी की जीत का जोश: BJP ने हाल ही में उत्तर प्रदेश की रामपुर और कुंदरकी सीटों पर उपचुनाव में जीत हासिल की है, जिससे पार्टी का मनोबल ऊंचा है। अब मऊ सीट को जीतकर BJP पूर्वांचल में अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहती है।
सियासी महत्व: मऊ सदर सीट पूर्वांचल की अहम सीटों में से एक है और यहां की जीत BJP के लिए प्रतीकात्मक और रणनीतिक दोनों रूप से महत्वपूर्ण होगी, खासकर 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले।
चुनौतियां: हालांकि, अंसारी परिवार का इस क्षेत्र में गहरा प्रभाव है, और सपा या अन्य विपक्षी दल भी इस सीट पर मजबूती से लड़ सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उपचुनाव में अंसारी परिवार से कोई उम्मीदवार मैदान में उतर सकता है, जिससे मुकाबला कड़ा हो सकता है।