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वक्फ कानून पर वोटबैंक की राजनीति के अलावा कुछ नहीं!

चरण सिंह 

वक्फ कानून पर जितने भी दल मारामारी कर रहे हैं। उन्हें आम मुसलमानों से कोई मतलब नहीं है। उन्हें तो बस अपना वोट बैंक मजबूत करना है। यही वजह है कि जिन दलों को मुस्लिम वोट मिलता रहा है वे दल वक्फ का कानून का विरोध कर रहे हैं। अब बसपा मुखिया मायावती ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए 14 अप्रैल को दलित एवं अन्य उपेक्षित वर्गों के मसीहा, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती पर पार्टी की ओर से उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने की बात कही है। साथ ही उन्होंने भारतीय संविधान में हर स्तर पर जरूरी कानूनी अधिकार मिलने की बात कही है। इस अवसर पर उन्होंने वक्फ कानून वापस लेने की भी मांग कर दी। मतलब मायावती को भी मुस्लिम वोट चाहिए। जानती तो वह भी हैं कि उनकी मांग का केंद्र सरकार पर कोई असर नहीं पड़ने जा रहा है।

दरअसल बीजेपी ने वक्फ कानून के माध्यम से विपक्षी पार्टियों के कई नेताओं को निपटाने की तैयारी कर ली है। बीजेपी का तर्क है कि वक्फ की सम्पत्ति लगातार बढ़ती जा रही है। आज़ादी के समय वक्फ बोर्ड के पास 50 हजार एकड़ जमीन थी। 2013 में यह जमीन 18 लाख करोड़ हो गई तो 2023 में यह सम्पत्ति 39 लाख करोड़ रुपए बन गई। केंद्र सरकार का कहना है कि गिने चुने लोग वक्फ बोर्ड का फायदा ले रहे हैं। प्रभावशाली लोगों ने वक्फ की जमीन पर कब्ज़ा कर रखा है। वक्फ कानून के माध्यम बीजेपी को कई नेताओं का चेहरा बेनकाब करना है। मुस्लिम संगठनों की फंडिंग रोकनी है। वक्फ जमीन पर ही तो बीजेपी को खेल करना है। जब बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों को सेट कर वक्फ कानून बनवा लिया है। ऐसे में भला क्या उन मायावती की मांग बीजेपी मान लेगी, जिनके पास एक भी सांसद नहीं है।
बीजेपी की तो रणनीति है कि आम मुस्लिमों को वक्फ से कुछ फायदा देकर उनकी सहानुभूति बटोर ली जाए। यह काम पहले बीजेपी बिहार में करने जा रही है। बीजेपी का प्रयास यह है कि बिहार में बीजेपी का सीएम बनाया जाए। वैसे भी नीतीश कुमार मानसिक रूप से बीमार बताए जा रहे हैं। उधर पूर्व मंत्री अश्वनी चौबे ने नीतीश कुमार को उप प्रधानमंत्री बनाने की पैरवी कर एक और बहस छेड़ दी है। क्या नीतीश कुमार को बीजेपी उप प्रधानमंत्री बनाकर अपना सीएम बिहार में बना सकती है। ऐसे में बीजेपी नीतीश के बेटे चिराग पासवान को उप प्रधानमंत्री बनाकर नीतीश को साध सकते हैं।
पूर्व सीएम मायावती ने कहा बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के बताए हुए रास्ते पर चलकर काशी राम ने बाबा सहब के जन्मदिन के शुभ अवसर पर14 अप्रैल 1984 को बहुजन समाज पार्टी के नाम से राजनीतिक पार्टी का विधिवध गठन किया. बाबा साहेब अंबेडकर ने अपने अंतिम समय में धर्म परिवर्तन की दीक्षा ली है, उसे जातिवादी मानसिकता के लोग सनातनी बनाने में लगे हैं.

वक्फ कानून पर मायावती ने की ये अपील

मायावती ने वक्फ कानून पर बोलते हुए कहा-“वक्फ कानून में गैर मुस्लिम को रखने का प्रावधान है, वह भी अनुचित प्रतीत होता है. जिसका मुस्लिम समाज में विरोध है, केंद्र सरकार अगर वक्फ कानून को स्थगित करते हुए पुनर्विचार करे तो बेहतर होगा, इन सभी मामलों में सरकार ध्यान दे ये बसपा की मांग है.”

आतंकियों के विरुद्ध हुई कार्रवाई की मायावती ने की सराहना

वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, “भारत में भारतीयों की सुरक्षा के लिए केंद्र और सभी राज्य सरकारों को आतंकियों के विरुद्ध अपने-अपने राजनीतिक स्वार्थों को छोड़कर भारतीय कानून के तहत निष्पक्ष और ईमानदार और सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए.”

इससे पहले मायावती ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा था-“वास्तव में बाबा साहेब को भारतरत्न से सम्मानित करने से लेकर उनके करोड़ों अनुयाइयों के प्रति कांग्रेस, बीजेपी व सपा आदि का रवैया हमेशा ही जातिवादी व बहुजन-विरोधी रहा. जिससे मुक्ति हेतु ही बीएसपी का गठन हुआ, किन्तु अब इन वर्गों के वोटों की खातिर छल व छलावा की राजनीति की जा रही है.”

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