वक्फ कानून पर जितने भी दल मारामारी कर रहे हैं। उन्हें आम मुसलमानों से कोई मतलब नहीं है। उन्हें तो बस अपना वोट बैंक मजबूत करना है। यही वजह है कि जिन दलों को मुस्लिम वोट मिलता रहा है वे दल वक्फ का कानून का विरोध कर रहे हैं। अब बसपा मुखिया मायावती ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए 14 अप्रैल को दलित एवं अन्य उपेक्षित वर्गों के मसीहा, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती पर पार्टी की ओर से उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने की बात कही है। साथ ही उन्होंने भारतीय संविधान में हर स्तर पर जरूरी कानूनी अधिकार मिलने की बात कही है। इस अवसर पर उन्होंने वक्फ कानून वापस लेने की भी मांग कर दी। मतलब मायावती को भी मुस्लिम वोट चाहिए। जानती तो वह भी हैं कि उनकी मांग का केंद्र सरकार पर कोई असर नहीं पड़ने जा रहा है।
वक्फ कानून पर मायावती ने की ये अपील
मायावती ने वक्फ कानून पर बोलते हुए कहा-“वक्फ कानून में गैर मुस्लिम को रखने का प्रावधान है, वह भी अनुचित प्रतीत होता है. जिसका मुस्लिम समाज में विरोध है, केंद्र सरकार अगर वक्फ कानून को स्थगित करते हुए पुनर्विचार करे तो बेहतर होगा, इन सभी मामलों में सरकार ध्यान दे ये बसपा की मांग है.”
आतंकियों के विरुद्ध हुई कार्रवाई की मायावती ने की सराहना
वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, “भारत में भारतीयों की सुरक्षा के लिए केंद्र और सभी राज्य सरकारों को आतंकियों के विरुद्ध अपने-अपने राजनीतिक स्वार्थों को छोड़कर भारतीय कानून के तहत निष्पक्ष और ईमानदार और सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए.”
इससे पहले मायावती ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा था-“वास्तव में बाबा साहेब को भारतरत्न से सम्मानित करने से लेकर उनके करोड़ों अनुयाइयों के प्रति कांग्रेस, बीजेपी व सपा आदि का रवैया हमेशा ही जातिवादी व बहुजन-विरोधी रहा. जिससे मुक्ति हेतु ही बीएसपी का गठन हुआ, किन्तु अब इन वर्गों के वोटों की खातिर छल व छलावा की राजनीति की जा रही है.”