नई दिल्ली (द न्यूज़ 15)| उत्तर रेलवे ने कबाड़ (स्क्रैप) की बिक्री से 402.5 करोड़ रुपये कमाए। कबाड़ की बिक्री में रेलवे की 93.40 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है। फिलहाल उत्तर रेलवे ‘जीरो स्क्रैप स्टेटस’ हासिल करने और इस वित्तीय वर्ष में सर्वाधिक स्क्रैप बिक्री रिकॉर्ड स्थापित करने के लिए मिशन मोड में है। उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने बताया कि उत्तर रेलवे ने स्क्रैप की बिक्री में रिकॉर्ड बनाते हुए इससे 402.51 करोड रुपये का राजस्व अर्जित किया है। यह पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि में अर्जित किए गए 208.12 करोड़ रुपये की बिक्री से 93.40 फीसदी अधिक है।
इस तरह से उत्तर रेलवे ने सितंबर, 2021 में 200 करोड़ रुपये, अक्टूबर, 2021 में 300 करोड़ रुपये और दिसम्बर, 2021 में 400 करोड़ रुपये के स्क्रैप बिक्री आंकड़ों को लांघते हुए सभी क्षेत्रीय रेलों और उत्पादन इकाइयों में पहला स्थान प्राप्त किया है।
उल्लेखनीय है कि उत्तर रेलवे ने नवंबर, 2021 में रेलवे बोर्ड द्वारा दिए गए 370 करोड़ रुपये के स्क्रैप बिक्री लक्ष्य को हासिल किया है। उत्तर रेलवे अन्य क्षेत्रीय रेलों और उत्पादन इकाईयों की तुलना में सबसे आगे है।
गंगल के अनुसार स्क्रैप का निपटान रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण गतिविधि है। स्क्रैप से राजस्व अर्जित करने के अतिरिक्त यह कार्य-परिसरों को साफ-सुथरा भी रखने में मदद करता है। रेलवे लाइनों के आस-पास रेल पटरी के टुकड़ों, स्लीपरों के पड़े रहने से सुरक्षा जोखिम रहता है। इसी प्रकार उपयोग में न लाए जा रहे ढांचों जैसे पानी की टंकियों, केबिनों, क्वार्टरों और अन्य निर्माणों के दुरुपयोग की भी संभावना रहती है। इनका त्वरित निपटान सदैव प्राथमिकता पर किया जाता रहा है और उच्च स्तर पर इसकी निगरानी भी की जाती है। स्क्रैप, पीएससी स्लीपरों, जोकि उत्तर रेलवे पर बड़ी मात्रा में एकत्रित हैं, का निपटान किया जा रहा है ताकि राजस्व अर्जित करने के साथ-साथ रेल गतिविधियों के लिए रेल भूमि खाली रहे।
उन्होंने कहा कि उत्तर रेलवे जीरो स्क्रैप स्टेटस हासिल करने और इस वित्तीय वर्ष में सर्वाधिक स्क्रैप बिक्री रिकॉर्ड स्थापित करने के लिए मिशन मोड में कार्य करते हुए अपने परिसरों को स्वच्छ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।