Noida News : खानपान पर उचित ध्यान देकर बच्चों को बचाया जा सकता है कुपोषण से : पूनम तिवारी

Noida News : आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर पोषण और खानपान की सही आदतों के बारे में दे रहीं जानकारी

नोएडा।  बच्चों के खान-पान पर सही ध्यान दिया जाए तो कुपोषण से बचा जा सकता है। जरूरत केवल व्यवहार परिवर्तन और जागरूकता की है। बच्चों को कितना खाना देना है (खाने की मात्रा), कब-कब देना है और साफ सफाई का ध्यान रखकर बड़ी संख्या में बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सकता है। यह कहना है जिला कार्यक्रम अधिकारी पूनम तिवारी का।

पोषण संवर्धन की ओर एक कदम “संभव” अभियान के बारे में पूनम तिवारी ने कहा सरकार का ‘सबको पोषण देश रोशन’ का यह नारा एकदम सटीक है। विभाग सभी को पोषण देने के लिए संकल्पबद्ध है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लगातार इस ओर ध्यान दे रही हैं। वह हर सप्ताह गृह भ्रमण कर पोषण एवं खानपान की सही आदतों के बारे में जानकारी दे रही है। पोषण ट्रैकर के माध्यम से बच्चों की स्क्रीनिंग की जा रही है। जनपद में कुपोषित और कम वजन वाले बच्चों को चिन्हित किया जा रहा है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया “संभव” अभियान के तहत जनपद में 1.12 लाख बच्चों की स्क्रीनिंग की गयी, जिसमें 926 बच्चे तीव्र अतिकुपोषित (सैम) चिन्हित हुए। इसके अलावा 1987 बच्चे ऐसे चिन्हित किये गये, जिनका वजन मानक से कम था।  जुलाई माह में आठ बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र भेजा गया। उन्होंने बताया पोषण ट्रैकर के माध्यम से चिन्हित सैम और कम वजन वाले बच्चों पर विशेष ध्यान देने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिये गये हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को पोषण और खानपान की सही आदतों के बारे में जानकारी दे रही हैं और उन्हें पोषण को लेकर जागरूक करने का प्रयास कर रही हैं। केंद्र पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के जरिये माताओं व अभिभावकों को ऊपरी आहार के महत्व के बारे में भी विस्तार से बताया जा रहा है। माँ और परिवार के सदस्यों को बताया जाता है कि जब बच्चा छह माह का हो जाता है तब केवल माँ के दूध से उसका पेट नहीं भरता है। उसे स्तनपान के साथ-साथ ऊपरी आहार की जरूरत होती है क्योंकि उसकी शारीरिक वृद्धि तेजी से होती है। बच्चे को मसली हुई दाल, चावल, सूजी की खीर इत्यादि को दिन में कई बार देना चाहिए साथ में घी या तेल जरूर डालना चाहिए। सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिये। खाना बनाने व खिलाने से पहले हाथ जरूर धोने चाहिए।
पूनम तिवारी ने बताया बच्चे को अलग कटोरी में खिलाना चाहिए और दिन में कई बार (हर दो घंटे बाद) खिलाना चाहिए। उन्होंने कहा अक्सर धात्री महिला अपने खाने में से बच्चों को थोड़ा-थोड़ा खिला देती है, जो कि एक दम गलत व्यवहार है। इससे न तो बच्चे का पेट भरता है और न ही उनका स्वाद विकसित होता है। बच्चे की पसंद, नापसंद का भी पता नहीं चल पाता है। उन्होंने कहा खानपान के उचित व्यवहार को अपना कर सेहत में सुधार किया जा सकता है। उन्होंने कहा केवल पांच प्रतिशत बच्चों को ही चिकित्सकीय सहायता की जरूरत होती है।
उन्होंने बताया अब सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर वजन, लम्बाई नापने के उपकरण मिल गये हैं। इससे बच्चों की सही मापतौल हो रही है।  एक जुलाई से शुरू हुआ “संभव” अभियान 30 सितम्बर तक चलेगा। इसमें जुलाई माह में स्तनपान को प्रोत्साहन दिया गया। अगस्त में ऊपरी आहार को प्रोत्साहन और सितम्बर में एनीमिया प्रबंधन एवं दस्त से बचाव पर ध्यान दिया जाएगा।
छह माह तक केवल मां का दूध
गांव गेझा निवासी सुमित्रा ने बताया- उसके तीन महीने पहले पुत्री हुई है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कविता ने उन्हें घर आकर बच्ची को सही तरीके से दूध पिलाने के बारे में बताया। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि बच्ची को छह माह तक केवल अपना दूध पिलाना है, इसके अलावा कुछ नहीं, यहां तक कि पानी भी नहीं। ऊपरी आहार बच्ची को छह माह का होने पर शुरू करना है।

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *