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नीतीश कुमार के ‘राइट हैंड’ के बयान से बिहार में बवाल

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 क्या आरसीपी की राह पर चल रहे ललन सिंह?

दीपक कुमार तिवारी

पटना। नरेंद्र मोदी की सरकार में जेडीयू कोटे के मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह द्वारा मुसलमानों के लेकर दिए बयान से बिहार की राजनीति में बवाल खड़ा हो गया है। सत्ता पक्ष के लोग भी ललन सिंह के बयान को सिरे से खारिज नहीं करते। अशोक चौधरी कहते हैं कि बिना किसी भेदभाव के नीतीश ने हर धर्म-समुदाय के लोगों के लिए काम किया। मुसलमानों के कल्याण के लिए लगातार बजट बढ़ाया। पर, यह भी सच है कि उस हिसाब से मुस्लिम उन्हें वोट नहीं करते। भाजपा की तो मुसलमानों पर यह लाइन ही रही है, इसलिए उसके नेता भी ललन सिंह की ही लाइन दोहरा रहे हैं।
सीएम नीतीश कुमार ने मुसलमानों के लिए जितना काम किया है, वाकई उस अनुपात में जेडीयू को वोट नहीं मिलते। पर, नीतीश कभी इस बात को रेखांकित नहीं करते। वे अपने काम गिनाते रहे हैं और उस आधार पर मुसलमानों से जेडीयू के लिए वोट की अपील करते रहे हैं। सार्वजनितक तौर पर तो वे यह भी कह चुके हैं कि भाजपा के साथ लंबे समय से रहने के बावजूद उन्होंने मुसलमानों का कभी अहित नहीं होने दिया। वैसे भी नीतीश कुमार मजारों पर ताजपोशी करते हैं तो गुरुद्वारा साहिब भी जाते हैं। जानकी मंदिर बनाने की उकी पहल भी सबने देखी है। ललन सिंह का बयान नीतीश की नीतियों और सिद्धांतों से मेल नहीं खाता।
हालांकि मुसलमानों को लेकर इस तरह के बयान देने वाले ललन सिंह जेडीयू के पहले नेता नहीं हैं। इससे पहले सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने भी तीखी बात कही थी। उन्होंने कहा था कि उन्हें मुसलमानों और यादवों ने वोट नहीं दिया। वे उनका कोई काम अब नहीं करेंगे। जेडीयू नेताओं के ऐसे बयान भाजपा नेताओं से अलग नहीं दिखते। भाजपा ने अब हिन्दू एकता के लिए बंटोगे तो कटोगे और एक हैं तो सेफ हैं का नारा ही उछाल दिया है। सबसे पहले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बंटोगे तो कटोगे का नारा हरियाणा विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान दिया था। बाद में वे इस नारे को महाराष्ट्र और झारखंड में भी रटते रहे। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी अब एक हैं तो सेफ हैं का नारा दिया है।
पहले देवेश चंद्र ठाकुर और अब ललन सिंह ने सार्वजनिक तौर पर अपनी बात कही है। पता नहीं, नीतीश कुमार इनके बयानों से इत्तेफाक रखते हैं या नहीं, लेकिन उनकी चुप्पी किसी की समझ में नहीं आती। देवेश चंद्र ठाकुर के बायन से नीतीश के नाराज होने की बात आई थी, अब ललन सिंह के बयान पर उनकी क्या प्रतिक्रिया होती है, यह देखना बाकी है। वैसे अब तक नीतीश कुमार का मुसलमानों के बारे में जैसा रुख रहा है, उससे तो यही लगता है कि ललन सिंह की बात उन्हें हजम नहीं हुई होगी।
ललन सिंह के बयान पर आरजेडी के नेता और पूर्व डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव कहते हैं कि यह भाजपा की संगति का असर है। अगर तेजस्वी यादव की बात में थोड़ा भी दम है तो यह मान कर चलना चाहिए कि ललन सिंह अब पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की राह पर चल पड़े हैं। आरसीपी सिंह जब जेडीयू कोटे से मोदी के पहले मंत्रिमंडल में सदस्य बने तो वे अपनी ही पार्टी की बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को खारिज करते रहे। कहते तो यह भी हैं कि नीतीश कुमार की मर्जी के खिलाफ उन्होंने मंत्री पद स्वीकार कर लिया था। तब वे जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे। नीतीश एक मंत्री पद नकार चुके थे। यही वजह रही कि जेडीयू ने उन्हें दोबारा मौका नहीं दिया और राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भी उनसे छिन गया। अब तो आरसीपी की स्थिति डगरा के बैंगन की तरह हो गई है।