पीछा नहीं छोड़ रही गठबंधन बदलने और बातों से पलटने की कहानी
दीपक कुमार तिवारी
पटना। बिहार के सीएम और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार सिर्फ गठबंधन ही नहीं बदलते। बाजदफा वे अपने बयान भी बदल देते हैं। बिहार में शुरू हुई विधानसभा चुनाव की कवायद के बीच अब इस पर भी चर्चा होने लगी है। वैसे तो मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 तक है। यानी चुनाव में तकरीबन 14 महीने की देर है, लेकिन हर दल जिस तरह चुनावी मोड में दिख रहे हैं, उससे लगता है कि चुनाव निर्धारित समय से पहले ही हो जाएगा। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव आभार यात्रा पर राज्य के हर जिले में जा रहे हैं। उनका लक्ष्य सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों तक पहुंचने का है। एनडीए के घटक आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा 25 सितंबर से बिहार यात्रा शुरू करने वाले हैं। लोजपा (आर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान भी दौरा शुरू कर चुके हैं। बिहार की राजनीति में तीसरा कोण बनाने के प्रयास में लगे जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर। किशोर का पहले चरण का बिहार दौरा पूरा होने के करीब है। नीतीश कुमार कामकाज के बहाने बिहार के अलग-अलग हिस्सों में लगातार जा रहे हैं। वैसे उनके भी चुनावी दौरे की तैयारी चल रही है।
भाजपा ने जिस तरह नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा की है, उससे यह साफ हो गया है कि वे ही एनडीए के सीएम फेस होंगे। नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव के बाद जिस तरह अपनी पार्टी को चाक चौबंद किया है, उससे भी यह पक्का लगता है कि वे सियासत की एक और पारी खेलना चाहते हैं। पार्टी के अलावा सरकार के कामकाज की गति भी उन्होंने बढ़ाई है। इसके लिए वे लगातार अलग-अलग विभागों की प्रायः हर दिन समीक्षा करते हैं। जो योजनाएं चल रही हैं या शुरू होनी है, उनका स्थल निरीक्षण करने भी वे पहुंच जा रहे हैं। उनके उत्तराधिकारी की अक्सर चर्चा होती है, लेकिन अभी तक व्यवहार में ऐसा कुछ नहीं दिख रहा। मनीष वर्मा के नाम की चर्चा होती है, लेकिन उन्हें ऐसी कोई जिम्मेदारी नीतीश ने नहीं दी है, जिससे लगे कि उनके बाद वे ही उत्तराधिकारी होंगे। यानी यानी नीतीश एक बार फिर बिहार की कमान संभालने के लिए तैयार हैं।
वर्ष 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार पूर्णिया में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। तीसरे चरण का चुनाव होना था। सभा में कुछ लोगों ने नीतीश के खिलाफ नारेबाजी की। उन पर टमाटर भी फेंके। उसी सभा में नीतीश ने कहा था कि यह उनका आखिरी चुनाव है। इस अपील के बावजूद उन्हें सिर्फ 43 सीटें ही मिलीं। उस समय तेजस्वी यादव की सभाओं में भीड़ उमड़ रही थी और चिराग पासवान नीतीश कुमार को हराने के लिए जेडीयू के खिलाफ 134 सीटों पर चुनाव लड़ रहे थे।
नीतीश कुमार 2022 में जब आरजेडी के साथ चले गए तो उन पर तेजस्वी यादव के लिए सीएम की कुर्सी खाली करने का दबाव था। आरजेडी के नेता इसके लिए हुड़दंग मचाए हुए थे। कई लोग तो इसके लिए दिन और तारीख तक बताने लगे थे। नीतीश कुमार उसी दौरान नालंदा किसी कार्यक्रम में गए। साथ में तेजस्वी यादव भी थे। नीतीश ने तब कहा था कि 2025 का चुनाव तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। पूर्णिया के बाद यह दूसरा मौका था, जब नीतीश ने 2025 में चुनाव से अलग रहने यानी सीएम पद की दावेदारी से अलग रहने का संकेत दिया था। अब वे अपनी बात से पलटते दिख रहे हैं।