नीतीश को तो बस सीएम की कुर्सी चाहिए, बिहार जाये भाड़ में ?

चरण सिंह

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किसी भी तरह से फिर मुख्यमंत्री बनने की फ़िराक में हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी से चिपके रहने की उनकी ललक इतनी बढ़ चुकी है कि प्रदेश में कुछ भी होता रहे पर उनको तो मुख्यमंत्री बने रहना है। जब उनके दोस्त बाहुबली अनंत सिंह पर ही हमला हो सकता है तो समझा जा सकता है कि बिहार की कानून व्यवस्था का क्या हाल है ? खुद अनंत सिंह पुलिस पर विश्वास न करने की बात कर नीतीश कुमार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। उधर सोनू सिंह कह रहे हैं कि मैं 34 का और वह 68 के। देखते हैं कि कौन तीव्र गति से दौड़ता है। सोनू सिंह अपने को विवेका पहलवान का शिष्य बता रहे हैं। विवेका पहलवान वही शख्श हैं जिन्होंने किसी समय अनंत की छाती में गोली उतार दी थी। सोनू अपने को विष्णु भगवान तो अनंत सिंह को भस्मासुर करार दे रहे हैं। मतलब मोकामा में गैंगवार छिड़ना तय है। देखने की बात यह ही कि जिन अनंत सिंह के डर से नीतीश कुमार उन्हें अपनी कुर्सी पर बैठा देते थे और सामने की कुर्सी पर बैठकर बात करते थे। मोकामा में उन पर भी हमला हो गया।

दरअसल सोनू मोनू गैंग के तार यूपी के मुख़्तार अंसारी से जुड़े हुए थे। अब मुख़्तार अंसारी के शूटरों के साथ मिलकर सोनू मोनू गैंग बिहार में अपना साम्राज्य खड़ा करना चाहते हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि सोनू मोनू गैंग लगातार आगे बढ़ रही है तो फिर नीतीश कुमार क्या कर रहे हैं ? जब नीतीश कुमार अनंत सिंह जैसे बाहुबली को ललन सिंह का चुनाव जिताने के लिए जेल से बाहर निकालते हैं। आनंद मोहन को जेल से बाहर निकालने के लिए जेल का नियम कानून बदल देते हैं तो फिर वह कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि बिहार में कानून का राज होगा। बाहुबली तो अपना रौब दिखाएंगे ही।
सोनू सिंह ने मीडिया से बताया कि वह तो अपना खेत पाट रहे थे। उनके साथ षड्यंत्र रचा गया है। सोनू सिंह के साथ षड्यंत्र कौन रच सकता है ? यदि सोनू मोनू गैंग और अनंत सिंह में गैंगवार होती है तो समझा जा सकता है कि कितने लोग मरेंगे ? मोकामा गैंगवार का असर पुरे बिहार पर पड़ेगा। क्या यह चुनाव हिसात्मक होगा ? क्या बिहार में और गैंगवार देखने को मिलेंगी ? कहीं यह सब नीतीश कुमार को बदनाम करने के लिए तो नहीं हो रहा है ?
कुछ भी हो पर जिस कानून व्यवस्था के लिए नीतीश कुमार को जाना जाता था वह कानून व्यवस्था बिहार में नहीं रही है। निश्चित रूप से नीतीश कुमार ने 2005 में सत्ता संभालते ही बिहार के कुख्यातों को जेल के सलाखों के पीछे पहुंचा दिया था पर आज की तारीख में वह मुख्यमंत्री बने रहने के लिए बिहार को जंगल राज की ओर धकेल रहे हैं।

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