बिहार में भूमि सर्वे के बीच नीतीश सरकार का फैसला, वंशावली बनाने के लिए करना होगा भुगतान

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औरंगाबाद। बिहार में भूमि सर्वे को लेकर अब तक हजारों ग्राम सभा का आयोजन हो चुका है। सरकार लगातार अखबारों के माध्यम से और स्थानीय प्रशासन के माध्यम से लोगों को जागरूक करने में जुटी है। बिहार के औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड कार्यालय के मल्टी पर्पस भवन में एक बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में प्रखंड विकास पदाधिकारी और सरपंच के अलावा ग्राम कचहरी के सचिव की उपस्थिति भी रही। इस दौरान इसमें ग्रामीणों के साथ वंशावली निर्माण और उसके निर्गत करने की जानकारी के साथ पंचायत में चल रहे कार्यों पर चर्चा की गई। इस विचार विमर्श में कहा गया है कि पंचायती राज विभाग की ओर से प्राप्त निर्देशों के आधार पर वंशावली का निर्माण किया जाएगा।
बिहार सरकार की ओर से दिए गए निर्देश के मुताबिक पहली बार वंशावली निर्माण के लिए 10 रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया है। अगर दूसरी बार उसे बनाया जाएगा, तो 100 रुपये शुल्क देने होंगे। सभी शुल्क ग्राम सेवक के पास जमा कर रसीद ले लेना होगा। उसके बाद सात दिनों के अंदर जांच के बाद ग्राम कचहरी सचिव को भेजेंगे। ग्राम कचहरी सचिव सरपंच को अग्रसारित करेंगे। उसके बाद वंशावली का निर्माण संपन्न होगा। जानकारी के मुताबिक सर्वे में वंशावली का काफी महत्व है। बिना वंशावली के खतियान में नाम नहीं चढ़ेगा। वंशावली नहीं रहने पर दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
वंशावली को लेकर आपत्ति होने की स्थिति में सरपंच को आवेदन दिया जा सकेगा। वो भी एक सप्ताह के भीतर। उसके बाद सरपंच के द्वारा ग्राम सेवक को वंशावली वापस कर दी जाएगी। वंशावली से जुड़ी और जमीन सर्वे से जुड़ी जानकारी को लेकर लगातार बैठक चल रही है। बिहार के कई प्रखंडों और पंचायतों में बकायदा कार्यशाला का आयोजन कर इसकी जानकारी दी जा रही है। प्रखंड के सभी पंचायत में शिविर लगाने की बात कही जा रही है। शिविर में उपस्थित अधिकारी लोगों को जानकारी दे रहे हैं। सर्वे के दौरान भूमि स्वामी को अपने आवश्यक दस्तावेज के साथ शिविर में उपस्थित होना होगा तभी जाकर उन्हें अपने भूमि से संबंधित जानकारी मिलेगी।

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