चरण सिंह
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हेल्थ एंड मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम पर लगने वाली 18 फीसदी जीएसटी को हटाने के लिए वित्त मंत्री को जो पत्र लिखा है उससे केंद्र सरकार में हड़कंप मच गया है। हड़कंप मचने का बड़ा कारण यह है कि एक जिम्मेदार मंत्री ने अपनी ही सरकार की खामियों को इंगित करते हुए उसमें सुधार की बात की है। नितिन गडकरी की इस चिट्ठी को तरह-तरह से लिया जा रहा है। राजनीतिक पंडित इस चिट्ठी को नितिन गडकरी की पीएम मोदी के प्रति बगावत के रूप में देख रहे हैं। इसके पीछे आरएसएस का हाथ बतया जा रहा है। तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने लोकसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से आरएसएस के खिलाफ बयान दिलाकर बड़ा पंगा ले लिया है। दरअसल जेपी नड्डा ने लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि वाजपेयी और आडवाणी के समय आरएसएस की जरूरत पड़ती थी। अब भारतीय जनता पार्टी इतनी मजबूत है कि अब आरएसएस की जरूरत नहीं है। उनका कहना था कि आरएसएस एक सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन है तो बीजेपी एक राजनीतिक संगठन। ऐसे में लोकसभा चुनाव में आरएसएस के पूरी सक्रियता से चुनाव न लड़ाने की बात भी सामने आई थी। अब आरएसएस मोहन भागवत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गिन गिन कर नसीहत दे रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ खोला गया मोर्चा गृहमंत्री अमित शाह की देन बताया जा रहा है तो योगी आदित्यनाथ के सिर पर आरएसएस का हाथ बताया जा रहा है। ऐसे ही नितिन गडकरी की इस चिट्ठी के पीछे भी आरएसएस का हाथ बताया जा रहा है। इन सब बातों के बीच यह भी जानकारी आ रही है कि आरएसएस की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कह दिया गया है कि अगले साल आपके 75 साल पूरे होने जा रहे हैं तो आपको संन्यास लेना है। योगी आदित्यनाथ, नितिन गडकरी और अमित शाह की वजूद की लड़ाई मोदी के बाद प्रधानमंत्री के लिए ही बताई जा रही हैं। हालांकि खबरें यह भी आ रही हैं जब तक नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू सरकार के साथ हैं तब तक मोदी कहीं नहीं जा रहे हैं। वैसे भी मोदी नियम दूसरे नेताओं के लिए बनाते हैं न कि अपने लिए।
भाजपा में जो हालात और समीकरण उभर कर सामने आ रहे हैं। उससे तो यही लगता है कि आने वाले समय में भाजपा में बड़ी बगावत हो सकती है। यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 साल की उम्र पूरी होने पर संन्यास नहीं लेते हैं तो भाजपा में उनके खिलाफ लामबंदी हो सकती है। ऐसे में आरएसएस का हस्तक्षेप बीजेपी में पूरी तरह से देखने को मिल सकता है। दिलचस्प बात यह है कि एक ओर आरएसएस भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ खुलकर बोल रहा है तो दूसरी ओर केंद्रीय नेतृत्व आरएसएस को खास तवज्जो नहीं दे रहा है। खबरें यह भी आ रही हैं कि बजट में आरएसएस की कोई सलाह नहीं ली गई है। इस बात के लेकर आरएसएस काफी नाराज है। नितिन गडकरी की चिट्ठी से भी आरएसएस की नाराजगी दर्शायी जा रही है। मतलब आने वाले समय में बीजेपी में नये समीकरण उभरते देखने को मिल सकते हैं।