Nirmala Sitharaman : भारत की अर्थव्यवस्था और जांच एजेंसियों पर सवाल

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Nirmala Sitharaman:भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण चर्चा में बनी हुई है, हाल फिलहाल में वित्तमंत्री अमेरिका के दौरे पर है, लेकिन चर्चा उनके विदेश में जाने से ज्यादा दिए गए बयान और अमेरिकी मीडिया में छपी खबर ने बनाई।

अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल में में हाल ही में एक विज्ञापन छपा जिसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ सुप्रीम कोर्ट के जजों, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और देवास-एंट्रिक्स मामले से जुड़े रहे अन्य अधिकारियों की तस्वीर है,

इन तस्वीरों में उन्हें वॉन्टेड बताते हुए 11 लोगों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है और विज्ञापन का शीर्षक ‘मोदीज मैग्नित्सकी 11’ दिया गया है।

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ये खबर उस दौरान प्रकाशित की गई जब भारत की वित्तमंत्री अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की सालाना बैठक में शामिल होने के लिए 11 Oct से 16 Oct तक अमेरिका में रहने वाली थी।

बताया जा रही है कि अमेरिकी संस्था फ्रंटियर्स ऑफ फ्रीडम ने इस विज्ञापन को छापवाया है।

इन सभी आरोपों पर वित्तमंत्री ने अमेरिका की एक प्रेस कान्फ्रेंस में जबाव देते हुए जांच एजेंसियों को स्वतंत्र बताया और कहा कि जांच ऐजेंसियां अपने फैसले खुद लेती है। ज्यादात्तर ED के मामलों में दूसरी जांच ऐजेंसियां भी पहले से जांच कर रहीं होती हैं।

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दूसरा मामला – 

वॉशिंगटन में हुई IMF और वर्ल्ड बैंक की बैठक के बाद निर्मला सीतारमण ने कहा कि “रुपया नीचे नहीं गिर रहा है, बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है”

तकनीकी पक्षों पर न जाते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि “यह एक तथ्य है कि भारत का रुपया डॉलर के मुकाबले शायद टिका रहा”

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वॉशिंगटन में हुई IMF और वर्ल्ड बैंक की बैठक के बाद भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण प्रेंस कांफ्रेंस करते हुए

इसके अलावा उन्होंने तुर्की जैसे देशों का हवाला दिया जहां महंगाई दर दहाई के आंकड़े को छू चुका है, इसके अलावा उन्होंने फॉरेन एक्सचेंज की स्थिति को अच्छा बताते हुए अर्थव्यवस्था को मैनेज कर लेने वाली स्थिति में बताया।

उम्मीद है कि भारत की अर्थव्यवस्था और जांच एजेंसियों पर उठ रहे सवाल को सरकार गंभीरता से लेगी और आने वाले समय में हमें भारत में अच्छे निवेश देखने को मिलेंगे,

IMF की ओर से हुई भारत की प्रशंसा भी इसी ओर इशारा करती है कि भारत में बेहतर बिजनेस काफी संभावनाएं है, लेकिन जांच एजेंसियों के हाल ही के ट्रैक रिकार्ड को देखते हुए एजेंसियों के मामले में इतनी आशा तो नही ही दिखती।

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