हाल के वर्षों में दुनिया भर में होने वाले साइबर अपराधों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। हैकिंग और फ़िशिंग घोटालों से लेकर पहचान की चोरी और रैंसमवेयर हमलों तक, डिजिटल परिदृश्य व्यक्तियों और व्यवसायों के लिए तेजी से खतरनाक होता जा रहा है। प्रत्येक दिन न्यूज़पेपर और अन्य मीडिया में हम जनता के साथ हुई साइबर क्राइम की घटनाएं पढ़ते हैं। आज कल साइबर क्राइम से ना तो खुद पुलिस सुरक्षित है और ना जनता।
वैज्ञानिक प्रमाणों के अनुसार, साइबर अपराध बढ़ रहा है और यह हैकरों और साइबर अपराधियों के लिए एक आकर्षक उद्योग बन गया है। 6 फरवरी को लोकसभा में दिए गए जवाब के अनुसार, 2023 में वित्तीय साइबर धोखाधड़ी के कुल 1.13 मिलियन मामले सामने आए। सन 2022 में रिपोर्ट किए गए साइबर अपराध मामलों की संख्या 2021 में 52,974 से बढ़कर 65,893 हो गई। 2022 की शुरुआत में, 71,867 साइबर अपराध मामले पहले से ही जांच के लिए लंबित थे।
यह चौंका देने वाली संख्या साइबर खतरों से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अपने प्रयासों को तेज करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।
हालाँकि, साइबर अपराध के बढ़ते खतरे के बावजूद, कई पुलिस विभाग साइबर मामलों को संभालने और जांच करने के लिए अपर्याप्त रूप से सुसज्जित हैं। साइबर हमलों की जटिलता, हैकरों की गुमनामी, और कानून प्रवर्तन कर्मियों के बीच तकनीकी विशेषज्ञता की कमी, ये सभी साइबर अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने में पुलिस की असमर्थता में योगदान दे रहे हैं। अपराधी दिन पर दिन आधुनिक तकनीक का प्रयोग साइबर क्राइम के लिए कर रहे है। अपराधियो द्वारा आई(आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस) का प्रयोग ने पुलिस की चिंताएं और ज्यादा बढ़ा दी हैं।
पुलिस के पास साइबर अपराधों की प्रभावी ढंग से जांच करने के लिए आवश्यक संसाधनों और प्रशिक्षण का अभाव है। यह चिंताजनक आँकड़ा पुलिस विभागों के लिए साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता देने और अधिकारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण में निवेश करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। इसके अलावा, स्थानीय, राज्य और संघीय स्तर पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय और सहयोग की कमी ने भी साइबर अपराध से निपटने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न की है। साइबर सुरक्षा के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बिना, हैकर्स कमजोरियों का फायदा उठाने और पकड़ से बचने में सक्षम होते हैं,
भारतीय सरकार ने साइबर क्राइम की चुनौती का सामना करने के लिए कई कानूनों में संसोधन किया। भारतीय साक्ष्य बिल 2023 में भी साइंटिफ़िक एविडेंस के प्रोविशन्स में संसोधन किया गया हैं इस से पहले मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता 2021 द्वारा सोशल मीडिया पर कुछ हद तक कंट्रोल करने व उन से दोषी के डेटा प्रदान करने का एक सहरानीय प्रयास किया था।
परन्तु पुलिस विभाग के अप्रशिक्षित कर्मचारियो द्वारा उचित कार्यवाही ना करने पर बहुत से केस बिना किसी नतीजे के सिर्फ विभाग की फाइल्स में ही रह जाते हैं। भारत सरकार द्वारा कानूनों में किये गए संसोधन के परिणाम तो भविष्य में पता चलेगा जब कोर्ट द्वारा पुलिस कैसो की समीक्षा की जाएगी। यह स्पष्ट है कि साइबर अपराध के बढ़ते खतरे से निपटने और साइबर मामलों को संभालने में पुलिस की क्षमता में सुधार के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
पीएच.डी. शोधकर्ता नवीन शर्मा