दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण स्कूल बंद कर दिए गए हैं, और बच्चों की पढ़ाई अब ऑनलाइन हो रही है। कच्ची कालोनियों और झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों में कुछ बच्चे आग जलाकर हाथ सेंकते हुए देखे गए, जिसमें कचरा भी जल रहा था। जब उनसे पूछा गया कि स्कूल क्यों नहीं गए, तो जवाब था, “स्कूल बंद है।”
क्यों बंद है?
जवाब मिला, “प्रदूषण के कारण।”
जब पूछा गया कि इस आग जलाने से क्या हो रहा है, तो बच्चों ने कहा, “प्रदूषण।”
निष्कर्ष:
यह बात स्पष्ट है कि स्कूलों में बच्चों को इतना ज्ञान जरूर मिला है कि आग जलाने से प्रदूषण होता है। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि माता-पिता और समाज उन्हें यह संस्कार नहीं दे पाए कि प्रदूषण रोकने के लिए उनकी भी जिम्मेदारी है।
हमें जरूरत है कि अपने बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाएं और खुद भी ऐसी आदतें अपनाएं जो प्रदूषण को कम करने में सहायक हों। यह पहल घर से ही शुरू होती है।
“प्रकृति हमारी धरोहर है, इसे बचाना हमारी जिम्मेदारी।”
दिनेश कुमार कुशवाहा
अध्यक्ष, प्रकृति सेवा फाउंडेशन