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“कुदरत का करिश्मा: संकटों से घिरी हिरनी की अद्भुत जीत!”

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दीपक कुमार तिवारी 

एक शांतिपूर्ण जंगल में, एक गर्भवती हिरनी अपने शावक को जन्म देने के लिए एकांत स्थान की तलाश में थी। उसने नदी किनारे ऊँची, घनी घास को देखा, जो उसे एक सुरक्षित जगह लगी। लेकिन जैसे ही वह वहां पहुंची, उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई।

उसी क्षण, आसमान में काले बादल घिर आए और बिजली की गर्जना होने लगी। वातावरण में तनाव बढ़ता जा रहा था। हिरनी की स्थिति तब और भयावह हो गई जब उसने अपने चारों ओर संकट के बादल मंडराते देखे।

बायीं ओर देखा तो एक शिकारी तीर का निशाना उसकी ओर साध रहा था। दायीं ओर देखा तो एक भूखा शेर उसकी ओर झपटने के लिए तैयार था। सामने सूखी घास में आग तेजी से फैल रही थी, और पीछे गहरी नदी बह रही थी। चारों ओर से घिरी इस असहाय हिरनी के पास भागने का कोई रास्ता नहीं था। संकट हर दिशा से उसे घेर रहा था, लेकिन हिरनी ने कुछ और ही करने का निर्णय लिया।

अपने सारे भय और चिंताओं को एक किनारे रख, हिरनी ने अपने भीतर की ताकत पर ध्यान केंद्रित किया। उसने खुद को शून्य में समर्पित कर दिया और अपनी सबसे बड़ी प्राथमिकता—अपने बच्चे को जन्म देने पर ध्यान केंद्रित किया।

कुदरत का अद्भुत करिश्मा तब प्रकट हुआ। जैसे ही शिकारी ने तीर छोड़ा, आकाश में बिजली कौंधी और उसकी आंखों को चौंधिया गई। निशाना चूक गया, और तीर सीधा शेर की आंख में जा लगा। शेर दर्द से दहाड़ता हुआ भागने लगा। शिकारी ने शेर को घायल देखा और जान बचाकर भाग खड़ा हुआ।

उसी समय, भारी बारिश शुरू हो गई और आग बुझ गई। शांत वातावरण में हिरनी ने सुरक्षित रूप से अपने शावक को जन्म दिया। एक पल में, प्रकृति की अदृश्य शक्ति ने हर संकट को टाल दिया और जीवन ने अपनी राह पा ली।

शिक्षा:

कभी-कभी जीवन में हम भी खुद को ऐसे हालात में पाते हैं, जब चारों तरफ से समस्याएं हमें घेर लेती हैं। उस समय हमें भयभीत होने के बजाय अपने उद्देश्य और प्राथमिकता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। परिस्थितियों का अंतिम निर्णय अक्सर हमारी सीमाओं से परे होता है—नियति, ईश्वर, या कुदरत की शक्तियां उस पर अधिकार रखती हैं। हमें खुद पर और ईश्वर पर विश्वास रखते हुए अपना कर्तव्य निभाना चाहिए।