दिल्ली जंतर-मंतर पर डेरा डालेगा संयुक्त राष्ट्रीय मोर्चा ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार
बजट में ठगी के शिकार लोगों के लिए 10 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की मुख्य होगी मांग : मदन लाल आज़ाद
नई दिल्ली। सहारा इंडिया, पर्ल्स, बाइकबोट, हैलोटैक्सी, टॉपराइट, राधामाधव जैसी ठगी करने वाले कंपनियों के खिलाफ मोर्चा खोला जा चुका है। संयुक्त राष्ट्रीय मोर्चा ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार इन जैसी कंपनियों के खिलाफ सड़क पर उतर चुका है। 1 जनवरी से संसद सत्याग्रह करने के बाद अब 31 जनवरी से यह संगठन दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने जाने जा रहा है। संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता मदन लाल आजाद ने इस आंदोलन के बारे में बताया कि देश में हर तीसरा व्यक्ति किसी न किसी कंपनी की ठगी का शिकार है। ये कंपनियां लोगों को कच्चा लालच देकर ठगती हैं और शासन-प्रशासन की मिली भगत से लोगों का पैसा मार लेती हैं। उन्होंने बताया कि आंदोलन के माध्यम से वह मांग करेंगे कि इस बजट में 10 लाख करोड़ रुपये का पैकेज विभिन्न कंपनियों की ठगी के शिकार लोगों के लिए घोषित किया जाए। इस पैकेज से इन पीड़ित लोगों का भुगतान किया जाए।
मदन लाल आजाद ने बताया कि देश के करीब 20 करोड़ परिवारों को हजारों कंपनीज, कॉपरेटिव सोसायटीज एवं
वित्तीय संस्थानों ने बारी-बारी से अनियमित जमा योजनाएं चलाकर ठग लिया है, जिनकी मेहनत की कमाई को यह ठग कंपनीज, कॉपरेटिव सोसायटीज व वित्तीय संस्थान विधिसम्मत तरीकों से वापस नहीं कर रहे हैं। सेबी एक्ट 1992, कॉपरेटिव सोसायटी एक्ट 2002, लॉ कंपनी एक्ट 2013, चिटफंड 2019 और अनियमित जमा योजनाएं पाबंद कानून 2019 का उल्लंघन करते हुए सहारा इंडिया, पर्ल्स, बाइकबोट, हैलोटैक्सी, टाइपराइड, राधा माधव, ब्ल्यूफॉक्स, साइन सिटी, फ्यूचर मेकर, कैची पिक्सल, स्ट्रीट हाक्स, कर्मभूमि, कल्पतरू, सारईं प्रसाद, हीरा गोल्ड, पिनकोन, रामेल, प्रयाग, हैलोराड, गो वे, गो बाइक, एनएनएम, एवरग्रीन, विश्वास ट्रेडिंग, कार सर्विस यात्रा, ग्लोबल स्टार, किसान एग्रो, विश्वामित्र जैसी हजारों कंपनियों ने करोड़ों नागरिकों को बारी-बारी से अपनी ठग स्कीम्स में फंसाकर ठगा है। मदन लाल आज़ाद ने कहा कि इसी तरह आदर्श, संजीवनी, नवजीवन, सहारा, सर्वोदय, समृद्ध जीवन, लोकहित, जेकेवी, अल्पेश्वर, खेतेश्वरल, कामधेनु जैसी हजारों मल्टीस्टेट कॉपरेटिव सोसायटियों ने करोड़ों नागरिकों को अपनी ठगी का शिकार बनाया। सहारा इंडिया और पर्ल्स के मामलों में तो पहले सेबी ने वर्ष 2012 में निवेशकों जमाकर्ताओं के धन का भुगतातन करने का आदेश दिया था, जिसे कालांतर में ठग कम्पनीज ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी तो वर्ष 2016 में दोनोें ही मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने भी दोनों कंपनीज को पीड़ितों की जमा राशि 15 फीसदी ब्याज समेत 6 माह में वापस करने का आदेश दिया। आज 5 वर्ष हो गये सुप्रीम कोर्ट के आदेश को किन्तु दोनों कंपनियों ने जमाकर्ता परिवारों का भुगतान नहीं किया, जिस वजह से हजारों पीड़ितों ने आत्महत्या कर ली है। सहारा इंडिया के मालिकान ने तो सुप्रीम कोर्ट सेबी को गुमराह करते हुए झूठा शपथ पत्र देकर 2016 में पैरोल ली और जेल से बाहर आकर आज तक किसी का कोई भुगतान नहीं किया, जो सेबी एक्ट और सुप्रीम कोर्ट केा आदेशों का खुला उल्लंघन एवं अवमानना है।