चरण सिंह राजपूत
वाह दी मोदी सरकार, वाह रे धर्मनिरपेक्षता के रक्षकों, वाह संविधान के रक्षा के लिए बनाये गये तंत्रों, वाह अहिंसा के पुजारियों। जिन बापू के नाम पर हमारे देश की धाक विदेशों में भी है। जिन बापू ने अहिंसा का पाठ पढ़ाकर अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिलाई थीं। अंग्रेजों को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया था, जिन बापू के विचारों को आत्मसात कर देश के कितने लोगों ने एक से बढ़कर एक कीर्तिमान स्थापित किये, उन्हीं बापू के गृह राज्य में उनके ही हत्यारे नाथूराम गोङसे का महिमामंडन हो रहा है। नफरत की खेती उगाई जा रही है। देश के नौनिहालों के मन में नाथूराम गोङसे की सोच को बसाया जा रहा है।
दरअसल इस मामले ने तब टूल पकड़ा जब जिले के अखबारों ने यह दावा करते हुए खबरें छापीं कि एक स्टूडेंट ने ‘‘मेरा रोल मॉडल – नाथूराम गोडसे’’ विषय पर भाषण प्रतियोगिता जीती है। जानकारी के अनुसार गुजरात सरकार ने वलसाड जिले की यूथ डेवलपमेंट अफसर को ‘‘मेरा रोल मॉडल- नाथूराम गोडसे’’ विषय पर स्कूली छात्रों के लिए भाषण प्रतियोगिता कराने को लेकर बुधवार को निलंबित कर दिया।
खेल, युवा और सांस्कृतिक गतिविधि राज्य मंत्री हर्ष सांघवी की ओर से ऐक्शन के आश्वासन के बाद वलसाड जिले की वर्ग-2 जिला युवा विकास अधिकारी मिताबेन गवली को तत्काल निलंबित कर दिया गया।
निलंबन के आदेश के अनुसार प्रतियोगिता पूरे वलसाड जिले के 11 से 13 वर्ष की आयु वर्ग के प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों के लिए थी। मतलब जिस उम्र में बच्चों को अच्छे और बुरे की परख नहीं होती है। इस उम्र के बच्चों के लिए यह प्रतियोगिता रखी गई थी। निलंबन आदेश में कहा गया है, ‘‘14 फरवरी को आयोजित जिला स्तरीय प्रतियोगिता में स्कूली बच्चों को चुनने के लिए तीन विषय दिए गए थे। गवली की ओर से दिए गए विषयों में से एक ‘मेरा रोल मॉडल- नाथूराम गोडसे’ था। अन्य दो विषय थे ‘मुझे केवल वही पक्षी पसंद हैं जो आसमान में उड़ते हैं’ और ‘मैं वैज्ञानिक बनूंगा लेकिन अमेरिका नहीं जाऊंगा।’ विभाग के उप सचिव दीपक पटेल के साइन वाले निलंबन पत्र के अनुसार, विभाग ने जब वलसाड जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी बी डी बरियाया से जानकारी मांगी तो उन्होंने विभाग को बताया कि गवली ने इन विषयों को चुना था। भाषण प्रतियोगिता के बारे में बताने के लिए प्राइमरी स्कूलों को पत्र लिखा था। विवाद शुरू होने के बाद निजी स्कूल प्रबंधन ने स्पष्ट किया कि उसने केवल कार्यक्रम की मेजबानी की थी और इसका आयोजन नहीं किया।