मुजफ्फरपुर : इस शक्तिपीठ में मां चामुंडा ने राक्षस चंड-मुंड का किया था वध

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 दो नदियों का संगम स्थान

दीपक कुमार तिवारी

पटना/मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर जिले में स्थित चामुंडा देवी मंदिर एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है, जहां माता दुर्गा के अलौकिक रूप की पूजा होती है। यह मंदिर मुजफ्फरपुर के पूर्वोत्तर में कटरा के गढ़ में स्थित है, जो जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर है। मान्यता है कि यहां देवी चामुंडा ने राक्षस भाइयों चंड और मुंड का वध कर जगत कल्याण किया था। इस कारण यह स्थल श्रद्धालुओं के बीच विशेष महत्व रखता है।
चामुंडा देवी का स्वरूप पिंडनुमा है, जो स्वअंकुरित माना जाता है। यही कारण है कि यहां साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यह वही स्थान है जहां माता ने राक्षण चंड और मुंड का वध किया था, जिससे यह स्थान और भी पवित्र माना जाता है। विशेष रूप से दुर्गा पूजा के दौरान यहां का महत्व और भी बढ़ जाता है। जब आसपास के जिलों जैसे सीतामढ़ी, दरभंगा, शिवहर, पूर्वी चंपारण और वैशाली से हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं।
नवरात्रि और दुर्गा पूजा के समय चामुंडा देवी मंदिर में विशेष धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। नौ दिनों तक चलने वाले इन आयोजनों में सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। दुर्गा पूजा के दौरान अष्टमी तिथि को यहां विधिवत पूजा होती है, जिसमें स्थानीय और आसपास के ग्रामीण भी बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। इस दौरान एक विशेष मेले का भी आयोजन किया जाता है, जो लोगों के बीच उत्सव का माहौल पैदा करता है।
मंदिर का इतिहास भी काफी अलौकिक है। देवी पुराण और हिंदू शास्त्रों के अनुसार, माता चामुंडा ने चंड-मुंड नामक दो असुर भाइयों का वध यहीं किया था। 13वीं सदी में चंद्रसेन सिंह नामक राजा यहां राज्य करता था, जो माता चामुंडा की आराधना अपने कुलदेवी के रूप में करता था। आज भी यह परंपरा जारी है और श्रद्धालु यहां आकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं।
मंदिर की एक और विशेषता यह है कि यह दो नदियों बागमती और लखनदेई के संगम पर स्थित है। इस संगम को भी धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत पवित्र माना जाता है। यहां के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ आध्यात्मिक वातावरण लोगों के मन को शांति और भक्ति से भर देता है।
मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित शिलानाथ झा ने कहा कि माता चामुंडा सभी श्रद्धालुओं पर अपनी कृपा बरसाती हैं। उनका कहना है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से माता की आराधना करने यहां आता है, वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता। इस मंदिर की दिव्य शक्ति इतनी प्रबल है कि यहां आने वाले बीमार लोग भी ठीक होकर लौट जाते हैं। भक्तों की आस्था और माता की महिमा के कारण यह मंदिर पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है।

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