अनुशासन और शिष्टाचार की जीवंत पाठशाला है संगीत : मतवाला

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संगीत प्रशिक्षुओं ने गुरुजनों को किया सम्मानित 

समस्तीपुर पूसा। संगीत विषय नहीं विधा है। यह नयी पीढी को समझने और महसूस करने की जरूरत है। गायन, वादन, तबला, नृत्य संगीत संकाय के विभाग हैं जिसमें प्रत्येक के कई अंग हैं। संगीत जगत में समस्तीपुर के गौरवशाली हस्ताक्षर भास्कर त्रय रामस्वार्थ ठाकुर मतवाला ने बुधवार को ओईनी स्थित सर्वोदय उच्च माध्यमिक विद्यालय के सभागार में आयोजित सम्मान समारोह के दौरान उक्त बातें कही।

उन्होंने कहा कि संगीत अनुशासन, और शिष्टाचार की जीवन्त पाठशाला है। जितने अनुशासित संगीत से जुड़े लोग होते हैं उतने किसी और विधा में नहीं होते। यहां उम्र नहीं बल्कि ज्ञान और अनुभव बड़ा होता है। बताते चलें कि ओईनी के संगीत प्रशिक्षुओं ने गुरुजनों का सम्मान समारोह आयोजित किया था, जिसकी अध्यक्षता सुविख्यात तबला वादक रंजन कुमार ने की।

इस अवसर पर सर्व प्रथम मुख्य अतिथि आर एस मतवाला के साथ [ पंडित सीताराम हरि दाण्डेकर सम्मान ] से बिभूषित गायन वादन एवं कत्थक नृत्य के प्रख्यात विभूति श्री विष्णुदेव भंडारी सहित सुरेन्द्र कुमार सिंह, एवं आगत अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर समारोह को दिशा दी, तदुपरान्त साक्षी ऋतु एवं छात्राओं द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना के साथ समारोह परवान चढा।

कार्यक्रम का संचालन डाॅ संजय कुमार राजा एवं युवा मिमिक्री कलाकार तौकीर आलम ने किया। इस अवसर पर आयोजक सुमित कुमार सुमन व साक्षी ऋतु के साथ रंजन कुमार ने आगत अतिथियों के साथ-साथ भोला दास, प्रो प्रेम कुमारी, तबला आचार्य रामचंद्र ठाकुर, मो यासीन आदि को उनके संगीत के प्रचार-प्रसार में निरंतर योगदान के लिए पाग, शाल एवं पुष्पगुच्छ से सम्मानित किया गया। मौके पर रौशन कुमार, सुशील कुमार, संतोष कुमार, दीपक कुमार, सहित कई संगीत प्रशिक्षु मौजूद थे।

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