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बहुत हुआ सम्मान…

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डॉ. कल्पना पाण्डेय ‘नवग्रह’

ज की बिकाऊ राजनीति और पहरेदार सोचते हैं कि दुनिया अब सिर्फ़ उनकी ही नज़रों की गुलाम है । जिन्हें बिकने की आदत हो वो आज़ाद की ख़ुशबू कैसे सूंघ पाएंगे ? क्या आज भारत की राजनीति इतनी बिक चुकी है कि उन्हें राष्ट्र के मान- सम्मान और स्वाभिमान को गिरवी रखने की छूट दे दी गई है?

कुछ अधकचरे ज्ञान की जमापूंजी रखनेवाले जिन्हें अपनी ही ज़रूरत सबसे ख़ास लगी । जिन्होंने अपनी ज़िंदगी में कभी किसी को कुछ भी नैतिकता नहीं सिखाई। आज़ादी के उन महान सपूतों के लिए अशोभनीय व्यवहार और मर्यादा का हनन करना उनकी गिरी हुई नैतिकता का परिचायक है।

क्या सरकारें राष्ट्र से ऊपर हैं ? क्या हमारे देश की आज़ादी में अपना सर्वस्व निछावर कर देने वाले असंख्य शहीद इन जैसे नाकाबिल लोगों के कारण अपमानित किए जाएंगे ? जिनके संघर्षों और बलिदानों की अमरगाथाएं हम रात -दिन पढ़कर गर्व से अपना सीना चौड़ा कर लेते हैं । आज एक अदने से व्यक्तित्व ने उनकी इतनी बड़ी तोहीन कैसे कर दी !
पता है पैसा अंधा कर देता है। कुपात्र को कभी दान नहीं देना चाहिए । एक व्यक्ति जिसका व्यक्तित्व मायने नहीं रखता उसने हमारे गौरवशाली इतिहास का सीमा के बाहर जाकर मजाक उड़ाया है।

माननीय प्रधानमंत्री जी को अपनी स्पष्ट और बेबाक शैली में राष्ट्र के अपमान का, दिल से तत्परता के साथ, मान- सम्मान तुरंत लौट आना चाहिए। नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली । देशभक्ति के ड्रामेबाज़ देशभक्त नहीं बनते। मौका – परस्ती में राष्ट्र का अपमान कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा ।किसी भी पार्टी का कद राष्ट्र के स्वतंत्रता सेनानियों से ऊंचा नहीं हो सकता। ऐसे लोग देश के लिए ख़तरनाक हैं जिनके मंसूबे कुछ वर्षों के इतिहास पर पूरे हों।

प्रधानमंत्री राष्ट्र का सेवक है, पार्टी का प्रचारक नहीं। हर जिले हर गांव में चुनाव के लिए रैलियां करना राष्ट्राध्यक्ष के लिए सर्वथा अनुचित है। वह किसी एक दल का नेता नहीं, पूरे राष्ट्र की ज़िम्मेदारी उस पर है । आज मद में दिया गया वक्तव्य राष्ट्र की आज़ादी और उसके स्वर्णिम इतिहास का भयंकर अपमान है। राष्ट्रभक्तों- शहीदों के जज्बे़ को तमाचा है । उन परिवारों के प्रति अपमान है जिन के वंशज इस देश के लिए, उसकी आज़ादी के लिए मर मिटे।

जिस आज़ाद भारत में कंगना रनौत ने ऐसा भद्दा बयान दिया है उन्हें समझ आ जाना चाहिए आज़ादी की भी एक सीमा होती है । अराजकता फैलाना और अपने अल्पज्ञान से पूरे राष्ट्र में अपनी किरकिरी कराना आपके लिए मात्र किरदार और अपने चरित्र की कीमत है।