किसान आंदोलन को टारगेट कर पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं मोदी! 

चरण सिंह राजपूत
जो प्रधानमंत्री संविधान की रक्षा को बनाये गये तंत्रों को दबाव में लेकर जो चाह रहे हैं कर रहे हैं। जिन प्रधानमंत्री ने अपनी ही सरकार और अपनी ही पार्टी में किसी की कोई हैसियत नहीं रहने दी है। जिन प्रधानमंत्री ने लोगों से थाली तक बजवा दी। जिन प्रधानमंत्री ने विपक्ष की बोलती बंद कर दी। उन प्रधानमंत्री का कुछ किसान क्या बिगाड़ सकते हैं ? कृषि प्रधान देश में किसानों के विरोध को क्या प्रधानमंत्री की जान को खतरा माना जा सकता है ? वह भी तब जब प्रधानमंत्री लगातार किसानों के लिए काम करने का दावा कर रहे हों। मीडिया में चल रही खबर कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाब के एक अधिकारी से कहा कि अपने मुख्यमंत्री से धन्यवाद बोलना कि उनकी जान बच गईबड़ी हास्यापद लग रही है।
किसान तो देश के विभिन्न राज्यों के भाजपा नेताओं का घेराव कर रहे हैं। प्रधानमंत्री का विरोध भी उसी कड़ी में माना जा सकता है। पंजाब में तो लगातार भाजपा नेताओं का विरोध हो रहा है।  वैसे भी पीएम मोदी की इस रैली का कई किसान संगठन विरोध कर रहे हैं। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने 5 जनवरी को हो रही प्रधानमंत्री की रैली का विरोध किया था। उन्होंने कहा था  कि अभी भी किसानों की कई मांगें पूरी नहीं हुई हैं। नौ और किसान यूनियन भी मोदी के दौरे का विरोध करने का एलान कर चुकी थी। भाकियू एकता उगराहां के प्रदेश अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा था कि हम पीएम की रैली में खलल नहीं डालेंगे, लेकिन हमारा विरोध जारी रहेगा। किसानों के इस एलान के बाद  कार्यक्रम स्थल पर सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। करीब 10 हजार पुलिसकर्मी सुरक्षा की दृष्टि से तैनात किये गए थे फिर भी ऐसा कैसे हो गया ? यह भी जग जाहिर है कि प्रधानमंत्री के अपने सुरक्षा गार्ड भी होते हैं। जो घटना स्थल पर मोर्चा संभालते दिखाई भी दे रहे हैं। जिस तरह से पंजाब के फिरोजपुर में चुनावी रैली को संबोधित करने जाते हुए फ्लाईओवर पर बस और दूसरे वाहनों के साथ आंदोलित किसान दिखाई दे रहे हैं, उससे तो यही लग रहा है कि किसान काफी देर पहले इस फ्लाईओवर पर आकर जम गये थे। ऐसे में देश की खुफिया एजेंसी क्या कर रही थी ? क्या पंजाब सरकार को प्रधानमंत्री के हैलीकाप्टर से जाने के बजाय गाड़ी से जाने की सूचना नहीं थी ? पंजाब के मुख्यमंत्री चरण जीत चन्नी के बयान तो ऐसा ही लग रहा है कि गाड़ी से जाने का कार्यक्रम अचानक बदला गया। तो क्या यह कार्यक्रम आनन-फानन में बना था ? कम से कम प्रधानमंत्री का कार्यक्रम तो इतनी लापरवाही से तय नहीं किया जा सकता है। आखिर सुरक्षा में चूक क्यों हुई सबसे बड़ा प्रश्न प्रधानमंत्री की एसपीजी सिक्योरिटी पर खड़ा होता है।  जमीनी हकीकत तो यह है कि प्रधानमंत्री पंजाब में फिरोजपुर में चुनाव रैल्ली को सम्बोधन करने जा रहे थे और वहां भीड़ नहीं जुटा पाए। माहौल को अपने पक्ष में करने में माहिर माने जाने वाले प्रधानमंत्री ने मौका पाते ही इमोशनल कार्ड चल दिया।
दरअसल भावनात्मक मुद्दों में भुनाने में माहिर माने जाने वाले प्रधानमंत्री किसानों से अपनी जान को खतरा बताते हुए उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में होने वाले चुनाव में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाना चाहते हैं। वैसे भी २०१७ में हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मुजफ्फरनगर के दंगों को भुनाया था तो २०१९ के लोकसभा चुनाव में पुलवामा आतंकी हमले को। अब जब एक साल तक नये कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलना चला। गत गणतंत्र दिवस पर किसानों द्वारा निकाले गये ट्रैक्टर मार्च के दौरान लालकिले पर हुए तांडव को जब तिरंगे का अपमान का नाम दिया गया। नये कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी किसानों के घर लौटने के बावजूद उनका आक्रोश कम न हुआ। किसान आंदोलन का चेहरा बन चुके राकेश टिकैत ने इस गणतंत्र दिवस पर भी ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान कर दिया तो प्रधानमंत्री किसानों के आक्रोश को अपनी जान से खतरे को जोड़ते हुए इन विधानसभा चुनाव में इमोशनल कार्ड खेलने की फिराक में हैं। हो सकता है कि भाजपा अपने ही समर्थकों से किसानों के रूप में प्रधानमंत्री के काफिले पर हमला करा दे। वैसे भी पुलवामा मामले की अभी तक कोई जांच नहीं हुई है।
दरअसल भाजपा के समर्थक लगातार किसान आंदोलन को पंजाब  से जोड़कर खालिस्तानियों का आंदोलन बताते रहे हैं। आंदोलन में शामिल किसानों को नक्सली, आतंकवादी न जाने क्या-क्या बोला गया। आंदोलन को चीन और पाकिस्तान की फडिंग से भी जोड़ा गया। यहां तक मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भी आंदोलित किसानों के प्रति प्रधानमंत्री की मानसिकता को उजागर किया है। सत्यपाल मलिक ने कहा है कि जब किसान आंदोलन में दम तोड़ने वाले ७०० किसानों के बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री से बात की तो प्रधानमंत्री ने कहा कि क्या ये किसान उनके लिए मरे हैं? मतलब आंदोलित किसानों के प्रति प्रधानमंत्री के मन में कोई सहानुभूति नहीं है। वैसे भी जब उन्होंने नये कृषि कानून वापस लिये तो आंदोलित किसानों को कुछ किसान बोला था। मतलब प्रधानमंत्री इस आंदोलन को किसानों का आंदोलन मान ही नहीं रहे थे।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव के संबंध में पंजाब के फिरोजपुर में जनसभा को संबोधित करने वाले थे। किसानों के प्रदर्शन के कारण एक फ्लाई ओवर पर करीब 20 मिनट तक उनका काफिला अटका रहा। ऐसे में एसपीजी ने पीएम मोदी का दौरा रद्द करते हुए पंजाब रैली को कैंसिल कर दिया। ऐसे में प्रश्न उठता है कि प्रधानमंत्री के रूट को लेकर इस तरह की कोई चूक हो सकती है ? जगजाहिर है कि प्रधानमंत्री के रूट को 30 मिनट पहले खाली करा दिया जाता है।
गृह मंत्रालय के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी बठिंडा उतरने के बाद खराब मौसम की वजह से 20 मिनट इंतजार करने के बाद सड़क के जरिए राष्ट्रीय शहीद स्मारक तक गए। इसमें उन्हें 2 घंटे से ज्यादा का वक्त लगना था। पंजाब के डीजीपी ने भरोसा दिलाया। इसके बाद उनका काफिला आगे बढ़ा। हुसैनीवाला में शहीद स्मारक के 30 किलोमीटर पहले उनका काफिला एक फ्लाई ओवर पर पहुंचाए जहां प्रदर्शनकारियों ने रोड ब्लॉक कर रखी थी। मोदी यहां पर 15.20 मिनट तक फंसे रहे। यह प्रधानमंत्री की सुरक्षा में बड़ी चूक है।
इस बारे में चरणजीत चन्नी का कहना है कि रात 3 बजे तक उन्होंने सभी सड़कें क्लियर करवाई हैं। प्रधानमंत्री को हवाई मार्ग से आना था। फिर फिरोजपुर भी हवाई मार्ग से ही जाना था। उनका सड़क से जाने का कोई प्रोग्राम नहीं था। उन्होंने अचानक बठिंडा आकर कार्यक्रम बदल लिया कि सड़क से जाना है। बिना किसी पूर्व प्रोग्राम के यह सब हुआ। इसमें किसी तरह की कोई सुरक्षा लापरवाही नहीं बरती गई। दूसरा फिरोजपुर में उन्होंने बड़ी रैली रख दी। जहां 70 हजार कुर्सी लगा दी लेकिन आदमी 700 भी नहीं आया। ऊपर से बारिश भी हो गई। इस वजह से उनकी रैली कामयाब नहीं हो पाई।
किसान एकता मोर्चा ने कहा कि मोदी की रैली रद्द होने की वजह किसानों और पंजाब के लोगों का भीषण विरोध है, जिन्होंने मोदी को अस्वीकार कर दिया है। इसकी वजह से मोदी को अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। मोदी की रैली में भी बहुत कम लोग मौजूद थे। इनमें से ज्यादातर को तो जबरदस्ती रैली में भेजा गया था।
 किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट में पूछा कि यह पीएम की सुरक्षा में चूक थी या फिर किसानों का आक्रोश था? प्रधानमंत्री मोदी को लेकर किया गया राकेश टिकैत का यह ट्वीट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। अपने ट्वीट में उनहोंने लिखा, “भाजपा द्वारा पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक करने के कारण रैली रद्द करने की बात कही जा रही है।” भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने अपने ट्वीट में आगे कहा, “वहीं दूसरी ओर पंजाब के मुख्यमंत्री खाली कुर्सियों की बात कहकर प्रधानमंत्री के वापस लौटने का दावा कर रहे हैं। अब इस बात की जांच जरूरी है कि वापसी सुरक्षा में चूक है या फिर किसानों का आक्रोश।” राकेश टिकैत के इस ट्वीट पर अब सोशल मीडिया यूजर भी खूब कमेंट कर रहे हैं।

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