कॉर्पोरेट को छूट और किसानों की लूट करने वाला बजट
किसानों की आय दोगुनी करने का वायदा प्रधानमंत्री भूल गए है
मनरेगा के बजट में 25 हज़ार करोड़ की कमी करना सरकार का आपराधिक कृत्य
द न्यूज 15
नई दिल्ली। किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने बजट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि बजट को देखते हुए ऐसा लगता है कि मोदी सरकार ने आंदोलन करने वाले किसानों को सबक सिखाने के लिए बजट तैयार कराया है। उन्होंने कहा कि यह बजट कॉर्पोरेट को छूट और किसानों की लूट करने वाला बजट है। मोदी जी ने 6 वर्ष में किसानों की आय दोगुनी करने का वायदा सैकड़ों बार दोहराया है लेकिन इस बार वित्त मंत्री ने आय दुगनी करने को लेकर एक शब्द भी नहीं बोला। 2015-16 में यह 8059 रुपए प्रति माह थी जो 6 साल के बाद महंगाई को जोड़कर 21,146 होनी थी, लेकिन वह 2018-19 में केवल 10, 218 रुपय तक पहुंची है। 2022 में यह 12,955 रुपये होगी। 5 लोगों के परिवार में यह प्रति व्यक्ति 27 रुपये होती है : कृषि और उससे जुड़े हुए क्षेत्रों का कुल बजट पिछले साल के 4.26% से घटाकर इस वर्ष 3.84% कर दिया गया है। जबकि किसान सँघर्ष समिति किसानों की आबादी के अनुपात में बजट आवंटन की मांग करती रही है। बजट में ग्रामीण विकास का बजट पिछले साल 5.59% से घटाकर इस वर्ष 5.23% कर दिया गया है। 2014 के बाद से ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर सरकार द्वारा ढिंढोरा पीटा जाता रहा है । परंतु बजट पिछले साल के 16000 करोड रुपए से घटाकर इस साल 15500 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इसी तरह किसानों को फसल का दाम मिल सके उसके लिए सरकार की पी एस एस और एमआईएस स्कीम में पिछले साल खर्च किया गया 3595 करोड़ रूपये को घटाकर 1500 करोड़ कर दिया गया है।
प्रधानमंत्री कहते रहे हैं एम एस पी थी ,है और रहेगी परंतु : किसानों को एमएसपी दिलवाने के लिए बनाई गई स्कीम आशा का आवंटन घटाकर पिछले साल 400 करोड़ रुपए किया गया था लेकिन इस बार उसे घटाकर नाम मात्र को सिर्फ 1 करोड़ रूपया कर दिया गया है। बजट में पिछले वर्ष की तुलना में गेहूं और चावल की खरीद के लिए पिछले वर्ष की तुलना में 2.37 लाख करोड़ का आवंटन किया है जो कि पिछले वर्ष 2. 48 लाख करोड़ था
एमएसपी के संबंध में भी गलत जानकारी दी गई है। इस साल 2.37 लाख करोड़ रुपए की एमएसपी पर खरीद पिछले साल 2.84 लाख करोड़ की खरीद से भी कम है। पिछले साल 1286 लाख टन खरीद हुई थी जबकि इस साल 1208 लाख टन। पिछले साल 1.97 करोड़ किसानों को फायदा हुआ था इस साल सिर्फ 1.63 करोड़ किसानों को फायदा होगा।जबकि महंगाई 40% बढ़ी है। इसके अनुपात में आवंटन बढ़ाया जाना चाहिए था। सरकार ने केवल 4 प्रतिशत वृद्धि की थी।सरकार ने पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 7% कम गेहूं और चावल की खरीद की है तथा 17% कम किसानों से खरीद की गई है।
एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में सरकार का योगदान पिछले साल 900 करोड़ से घटाकर इस साल 500 करोड़ कर दिया गया है। फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन के लिए बजट पिछले साल 700 करोड़ से घटाकर इस साल 500 करोड़ कर दिया गया है। पराली जलाने को रोकने के लिए किसान को सहायता देने के लिए पिछले साल 700 करोड़ का बजट था जो इस साल घटाकर शून्य कर दिया गया है। नेचुरल फार्मिंग के बारे में सरकार ने बोला ज्यादा है उसमें खर्चा ना के बराबर किया है। पिछले 2 साल से एग्रीकल्चर इन्वेस्टमेंट फंड की धूमधाम से घोषणा हुई थी। उसके 1,00,000 करोड़ रुपए में से अब तक सिर्फ 2,400 करोड़ खर्च हुए हैं उसके बारे में भी कुछ नहीं बोला गया।
सरकार द्वारा खाद्य सब्सिडी को 25% कम कर दी गई है। प्रधानमंत्री किसान योजना के आवंटन में 9% की कमी की गई है। प्रधानमंत्री किसान योजना जब शुरू की गई थी तब कहा गया था कि उसे 12 करोड़ परिवारों से 15 करोड़ परिवारों तक बढ़ाया जाएगा लेकिन इस दावे के अनुपात में आवंटन नहीं किया गया है। महंगाई बढ़ने के कारण किसान सम्मान निधि का पैसा 15% घट गया है उसे बढ़ाने के बारे में बजट कुछ नहीं कहा गया है।
मनरेगा में पिछले साल 97,034 करोड़ रुपए खर्च हुआ था लेकिन इस साल मात्र 72,034 करोड़ रूपये का बजट है। मनरेगा में राज्यों के पास फंड खत्म हो गया है उसे पूरा करने के बारे में कुछ नहीं बोला। किसान सँघर्ष समिति मानती है कि किसान ड्रोन योजना का वही हाल होगा जो कि किसान रेलवे और फसल बीमा का हुआ है।
किसान सँघर्ष समिति ने कहा कि देश के किसानों के लिए सम्पूर्ण कर्जा मुक्ति सबसे बड़ा सवाल है परंतु सरकार किसानों को अधिक कर्ज़दार बनाने की नीति पर काम कर रही है।
डॉ सुनीलम ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों में उत्तरप्रदेश और 4 राज्यों के किसान भारतीय जनता पार्टी को बजट के माध्यम से किये गए अपमान का बदला लेंगे तथा इस वर्ष फिर से एक राष्ट्र व्यापी आंदोलन किसान आंदोलन की शुरुवात करेंगे। यह जानकारी किसान संघर्ष समिति के प्रवक्ता भागवत परिहार ने दी।
नई दिल्ली। किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने बजट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि बजट को देखते हुए ऐसा लगता है कि मोदी सरकार ने आंदोलन करने वाले किसानों को सबक सिखाने के लिए बजट तैयार कराया है। उन्होंने कहा कि यह बजट कॉर्पोरेट को छूट और किसानों की लूट करने वाला बजट है। मोदी जी ने 6 वर्ष में किसानों की आय दोगुनी करने का वायदा सैकड़ों बार दोहराया है लेकिन इस बार वित्त मंत्री ने आय दुगनी करने को लेकर एक शब्द भी नहीं बोला। 2015-16 में यह 8059 रुपए प्रति माह थी जो 6 साल के बाद महंगाई को जोड़कर 21,146 होनी थी, लेकिन वह 2018-19 में केवल 10, 218 रुपय तक पहुंची है। 2022 में यह 12,955 रुपये होगी। 5 लोगों के परिवार में यह प्रति व्यक्ति 27 रुपये होती है : कृषि और उससे जुड़े हुए क्षेत्रों का कुल बजट पिछले साल के 4.26% से घटाकर इस वर्ष 3.84% कर दिया गया है। जबकि किसान सँघर्ष समिति किसानों की आबादी के अनुपात में बजट आवंटन की मांग करती रही है। बजट में ग्रामीण विकास का बजट पिछले साल 5.59% से घटाकर इस वर्ष 5.23% कर दिया गया है। 2014 के बाद से ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर सरकार द्वारा ढिंढोरा पीटा जाता रहा है । परंतु बजट पिछले साल के 16000 करोड रुपए से घटाकर इस साल 15500 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इसी तरह किसानों को फसल का दाम मिल सके उसके लिए सरकार की पी एस एस और एमआईएस स्कीम में पिछले साल खर्च किया गया 3595 करोड़ रूपये को घटाकर 1500 करोड़ कर दिया गया है।
प्रधानमंत्री कहते रहे हैं एम एस पी थी ,है और रहेगी परंतु : किसानों को एमएसपी दिलवाने के लिए बनाई गई स्कीम आशा का आवंटन घटाकर पिछले साल 400 करोड़ रुपए किया गया था लेकिन इस बार उसे घटाकर नाम मात्र को सिर्फ 1 करोड़ रूपया कर दिया गया है। बजट में पिछले वर्ष की तुलना में गेहूं और चावल की खरीद के लिए पिछले वर्ष की तुलना में 2.37 लाख करोड़ का आवंटन किया है जो कि पिछले वर्ष 2. 48 लाख करोड़ था
एमएसपी के संबंध में भी गलत जानकारी दी गई है। इस साल 2.37 लाख करोड़ रुपए की एमएसपी पर खरीद पिछले साल 2.84 लाख करोड़ की खरीद से भी कम है। पिछले साल 1286 लाख टन खरीद हुई थी जबकि इस साल 1208 लाख टन। पिछले साल 1.97 करोड़ किसानों को फायदा हुआ था इस साल सिर्फ 1.63 करोड़ किसानों को फायदा होगा।जबकि महंगाई 40% बढ़ी है। इसके अनुपात में आवंटन बढ़ाया जाना चाहिए था। सरकार ने केवल 4 प्रतिशत वृद्धि की थी।सरकार ने पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 7% कम गेहूं और चावल की खरीद की है तथा 17% कम किसानों से खरीद की गई है।
एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में सरकार का योगदान पिछले साल 900 करोड़ से घटाकर इस साल 500 करोड़ कर दिया गया है। फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन के लिए बजट पिछले साल 700 करोड़ से घटाकर इस साल 500 करोड़ कर दिया गया है। पराली जलाने को रोकने के लिए किसान को सहायता देने के लिए पिछले साल 700 करोड़ का बजट था जो इस साल घटाकर शून्य कर दिया गया है। नेचुरल फार्मिंग के बारे में सरकार ने बोला ज्यादा है उसमें खर्चा ना के बराबर किया है। पिछले 2 साल से एग्रीकल्चर इन्वेस्टमेंट फंड की धूमधाम से घोषणा हुई थी। उसके 1,00,000 करोड़ रुपए में से अब तक सिर्फ 2,400 करोड़ खर्च हुए हैं उसके बारे में भी कुछ नहीं बोला गया।
सरकार द्वारा खाद्य सब्सिडी को 25% कम कर दी गई है। प्रधानमंत्री किसान योजना के आवंटन में 9% की कमी की गई है। प्रधानमंत्री किसान योजना जब शुरू की गई थी तब कहा गया था कि उसे 12 करोड़ परिवारों से 15 करोड़ परिवारों तक बढ़ाया जाएगा लेकिन इस दावे के अनुपात में आवंटन नहीं किया गया है। महंगाई बढ़ने के कारण किसान सम्मान निधि का पैसा 15% घट गया है उसे बढ़ाने के बारे में बजट कुछ नहीं कहा गया है।
मनरेगा में पिछले साल 97,034 करोड़ रुपए खर्च हुआ था लेकिन इस साल मात्र 72,034 करोड़ रूपये का बजट है। मनरेगा में राज्यों के पास फंड खत्म हो गया है उसे पूरा करने के बारे में कुछ नहीं बोला। किसान सँघर्ष समिति मानती है कि किसान ड्रोन योजना का वही हाल होगा जो कि किसान रेलवे और फसल बीमा का हुआ है।
किसान सँघर्ष समिति ने कहा कि देश के किसानों के लिए सम्पूर्ण कर्जा मुक्ति सबसे बड़ा सवाल है परंतु सरकार किसानों को अधिक कर्ज़दार बनाने की नीति पर काम कर रही है।
डॉ सुनीलम ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों में उत्तरप्रदेश और 4 राज्यों के किसान भारतीय जनता पार्टी को बजट के माध्यम से किये गए अपमान का बदला लेंगे तथा इस वर्ष फिर से एक राष्ट्र व्यापी आंदोलन किसान आंदोलन की शुरुवात करेंगे। यह जानकारी किसान संघर्ष समिति के प्रवक्ता भागवत परिहार ने दी।