
ऋषि तिवारी
नई दिल्ली। कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की दर्दनाक मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया है और इस भयावह घटना के विरोध में कश्मीर समिति (दिल्ली) के सदस्यों और आम नागरिकों ने भावुक और आक्रोशित होकर काली पट्टियां बांध कर और हाथों में तख्तियां लेकर सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया है।
हमले के पीछे केवल पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि लोकल लोगों का भी सामिल
कश्मीर समिति के सदस्य का कहना है कि इस हमले के पीछे केवल पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि लोकल लोगों का भी हाथ है। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने सवाल उठाया कि आतंकियों ने सात दिनों तक इलाके की रेकी की, ऐसे में उनका खाना-पीना कहां से आया? क्या बिना लोकल समर्थन के यह मुमकिन है?
कश्मीरी पंडित रमेश कुमार मोटा भी सामिल
कश्मीरी पंडित रमेश कुमार मोटा ने कहा कि मैं बच्चा था जब मेरे पिता को कश्मीर में कट्टर पंथियों ने मार दिया था और आज जो हुआ, उसने वो पुराने जख्म ताजा कर दिया है क्या हमारा सनातनी हिंदू होना पाप है? उन्होंने कहा कि आतंकियों के साथ-साथ स्थानीय समर्थकों को भी सज़ा मिलनी चाहिए।
बार चेकिंग के बाद भी आतंकी हथियारों के साथ पहलगाम कैसे पहुंचे
एक अन्य सदस्य, जिनके माथे पर काली पट्टी बंधी और कहा है कि अगर हम कश्मीर जाएं, तो पांच बार चेकिंग होती है। फिर यह आतंकी हथियारों के साथ पहलगाम तक कैसे पहुंचे? ये साफ तौर पर इंटेलिजेंस की विफलता है। वहीं, एक और सदस्य ने दुख जताते हुए कहा है कि मानवता की हत्या हुई है। जब कश्मीरी पंडितों पर हमला हुआ था, तब केंद्र से कोई मदद नहीं मिली थी। लेकिन आज मोदी सरकार से न्याय की उम्मीद है।