दिल्ली में भी मायावती की ताबड़तोड़ बैटिंग!

0
65
Spread the love

चरण सिंह
मायावती देश की ऐसी नेता हैं जिनकी चाल अच्छे-अच्छे राजनीतिक पंडित नहीं समझ पाते हैं। आंदोलन में विश्वास न रखने वाली मायावती सोशल इंजीनियरिंग पर काम करते हुए अपने को साबित करती हैं। यह मायावती का अपना काम करने का तरीका ही है कि मायावती ने फर्श से उठकर अर्श तक का सफर तय किया। दलित चिंतक और विचारक कांशीराम की अगुआई में मायावती ने राजनीति की बुलंदी छुई। हां आज की तारीख में मायावती के दिन गर्दिश में चल रहे हैं। अपने निर्णयों से अच्छे अच्छों को शिकस्त देने वाली मायावती इन लोकसभा चुनाव में दबाव में मानी जा रही हैं। तमाम ऑफर के बावजूद मायावती जहां इंडिया गठबंधन में शामिल नहीं हुईं वहीं टिकट बंटवारे में कई सीटों पर भाजपा का दबाव दिखाई दिया। उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन के मुस्लिम प्रत्याशियों के सामने मुस्लिम प्रत्याशी उतारना। बिना किसी सुगबुगाहट के दिल्ली में सभी सातों सीटों पर प्रत्याशी उतार देना भी भाजपा का दबाव में लिया गया निर्णय बताया जा रहा है। क्योंकि २९ अप्रैल को सीतापुर में भाजपा को आतंकवादियों की पार्टी बताने पर उनके भतीजे आकाश आनंद के खिलाफ कई गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज किया गया। मायावती को आकाश आनंद को चुनाव प्रचार से हटाना पड़ा। यह भी भाजपा का ही दबाव माना जा रहा है।
ऐसे में प्रश्न उठता है क्या आकाश आनंद मायावती के बिना सलाह मशवरे के भाजपा की केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार पर आक्रामक थे। जिस तरह से वह तथ्यों के आधार पर सरकार को घेर रहे थे, ऐसे में लोग उनके भाषण की सराहना करते देखे जा रहे थे। दिल्ली में जिस तरह से पूर्व समाज एवं कल्याण मंत्री राजकुमार आनंद ने अपने समर्थकों के साथ बसपा ज्वाइन की, जस तरह से उन्होंने नई दिल्ली से नामांकन कर दिया है। जिस तरह से आप के संस्थापक सदस्यों में से एक वकार चौधरी ने बसपा ज्वाइन की है। इन दोनों नेताओं के रुख से कहा जा सकता है कि ये दोनों कुछ न कुछ गुल जरूर खिलाएंगे। राजकुमार आनंद नई दिल्ली से चुनाव लड़ रहे हैं। मतलब बीजेपी की बांसुरी स्वराज और आप के सोमनाथ भारती से उनका मुकाबला है।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या राजकुमार जीतने की स्थिति में हैं। यह तो जरूर कहा जा सकता है कि राजकुमार पटेल नगर से विधायक हैं और उनकी पत्नी भी यहां से विधायक रही हैं। वह चुनाव को त्रिकोणीय जरूर बना सकते हैं। नई दिल्ली में सत्य प्रकाश गौतम का टिकट काटकर राजकुमार आनंद को दिया गया है। बसपा में यह बात तो है कि कोई कितना भी नाराज हो जाए पर मायावती के सामने मुंह नहीं खोल सकता है। मायावती ने तो बाहुबलि डीपी यादव को अपने बेटे के टिकट का अलाउंस करने पर ही पार्टी से निकाल दिया था। उमाकांत यादव को तो सांसद रहते हुए उनके घर से से गिरफ्तार करा लिया गया था। कुंडा के विधायक राजा भैया पर पोटा लगवा दिया था। यही वजह है कि बसपा में मायावती के निर्णय के खिलाफ कोई नेता मीडिया के सामने नहीं आता है। अब देखना यह होगा कि दिल्ली के प्रभारी अशोक सिद्धार्थ और प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह की जोड़ी जो बसपा में सेंध लगा रही है, वह दिल्ली में क्या गुल खिलाती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here