पूर्व मुख्यमंत्री ने हाथरस हादसे पर तैयार एसआईटी की रिपोर्ट पर खड़े किये सवालिया निशान
चरण सिंह
क्या 123 लोगों की मौत भी लोगों की अंधभक्ति दूर नहीं कर पा रही है ? क्या अपने पैरों की धूल को लोगों के कष्ट मिटाने का दावा करने वाले बाबा ने अपने भक्तों को संकट में नहीं फंसाया ? क्या ये भक्त चरण रज के चक्कर में नहीं टूट पड़े थे ? क्या चरण रज के लिए लोगों में मारा मारी नहीं हुई ? यदि बाबा अपने पैरों की धूल भक्तों के लिए पवित्र बताता रहा है तो हाथरस हादसा बाबा के चरण रज पाने के चक्कर में ही हुआ है। १२३ लोगों ने बाबा के पैरों की धूल पाने की जद्दोजहद में दम तोड़ा है। ऐसे में एसआईटी की रिपोर्ट में बाबा को क्लीन चिट मिलना मतलब बाबा को बचाना है। राजनीतिक दल की चुप्पी भी बाबा को बचाने का काम कर रही है। हां बसपा मुखिया मायावती एसआईटी की रिपोर्ट पर सवाल उठा बाबा पर कार्रवाई की मांग जरूर की है। मतलब जो जिन मायावती को बीजेपी की बी टीम बताया जा रहा था उन मायावती ने बीजेपी सरकार पर बाबा को बचाने का आरोप लगाया है। दिलचस्प बात यह है कि जो लोग मायावती को बीजेपी से जोड़ रहे थे वे एसआईटी रिपोर्ट पर चुप्पी साधे हैं। मतलब बाबा को बचा रहे हैं।
चाहे सपा के मुखिया अखिलेश यादव हों, प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी हों, आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद हों इनमें से एक भी नेता सीधे सीधे बाबा पर कार्रवाई की मांग नहीं कर रहा है। कहना गलत न होगा कि राजनीतिक दल इस मामले में विशुद्ध रूप से राजनीति कर रहे हैं। हर दल इस प्रयास में है कि किसी भी तरह से उत्तर प्रदेश में १० सीटों पर होने वाला उप चुनाव जीत लिया जाए। दरअसल इन लोगों के लिए हादसे में मरने वाले १२३ लोग कोई मायने नहीं रखते। इन लोगों को कोई मतलब नहीं कि इन लोगों के परिजन कि हाल में हैं। हर दल इस प्रयास में है कि किसी भी तरह से बाबा के समर्थक उनके रवैये से नाराज न हो जाएं। यही वजह है कि इस मामले में न तो समाजवादी पार्टी बाबा पर कार्रवाई की मांग कर पा रही है और न ही कांग्रेस। राहुल गांधी पीड़ितों से तो मिले उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उचित मुआवजा समय से देने की मांग भी की पर बाबा पर कार्रवाई को लेकर वह भी कुछ न कह सके।
समजवादी पार्टी तो पूरी तरह से सूरज पाल जाटव उर्फ भोले बाबा को बचाने में लगी है। अखिलेश यादव दोषियों पर कार्रवाई की मांग तो कर रहे हैं पर बाबा को वह भी दोषी नहीं मान रहे हैं। समाजवादी पार्टी के दलित नेता रामजीलाल सुमन ने सेवादारों की गिरफ्तारी पर ही सवालिया निशान खड़े कर दिये हैं। सपा के मुख्य महासचिव राम गोपाल यादव ने तो यहां तक बोल दिया कि इस तरह के हादसे तो होते रहते हैं। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष ने भले ही बाबा को निर्दोष बताया हो पर मायावती लगातार बाबा के खिलाफ मोर्चा खोल रही हैं। पहले बाबाओं से दूर रहने की बात उन्होंने कही तो अब मायावती एसआईटी के बाबा को क्लीन चिट देने पर रिपोर्ट पर सवालिया निशाना उठा दिये हैं। मायावती ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट कर कहा है कि यूपी के जिला हाथरस में सत्संग भगदड़ कांड में हुई 121 निर्दोष महिलाओं व बच्चों की दर्दनाक मौत सरकार लापरवाही का जीता-जागता प्रमाण किन्तु एसआईटी द्वारा सरकार को पेश रिपोर्ट घटना की गंभीरता के हिसाब से नहीं नहीं होकर राजनीति से प्रेरित ज्यादा लगती है। यह अति दुखद है।
दरअसल यह माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में होने जा रहे 10 सीटों पर उप चुनाव राजनीतिक दलों के लिए हादसे में मरने वाले लोगों के परिजनों की पीड़ा से ज्यादा महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि न तो समाजवादी पार्टी बाबा के खिलाफ कुछ बोलने को तैयार है और न ही कांग्रेस। चंद्रशेखर आजाद ने भी हाथरस पहुंचकर तमाम बातें की। झूठे बाबाओं के चक्कर में न फंसने की नसीहत दी पर बाबा पर कार्रवाई की बात को वह भी टाल गये। उनका कहना था कि जब एफआईआर में बाबा का नाम ही नहीं है तो उनके मांग करने से क्या होता है। कुछ मरने वाले लोगों में से कई के परिजन तो उनको मोक्ष मिलने की बात कर रहे हैं। ऐसे में राजनीतिक दलों का बाबा के खिलाफ न बोलना अंधविश्वास को और बढ़ा रहा है। एक समय में जिस तरह से बाबा आसाराम, राम रहीम, बाबा रामपाल के पीछे लोग पागल थे। ऐसे ही आज की तारीख में भोले बाबा के पीछे पागल हैं। लग नहीं रहा कि उप चुनाव तक बाबा के खिलाफ कोई कार्रवाई होने जा रही है।