
सभी सीटों पर चुनाव लड़ने से नीतीश कुमार, चिराग पासवान, जीतनराम मांझी का वोटबैंक हो सकता है प्रभावित
बसपा के केंद्रीय प्रभारी अनिल कुमार ने इस दौरान बिहार की राजनीति पर टिप्पणी करते हुए केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यदि चिराग पासवान सच में बिहार की राजनीति में सक्रिय होना चाहते हैं तो उन्हें बिहार के गरीबों, दलितों और शोषित वर्गों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
अनिल कुमार ने यह भी कहा कि बिहार में अपराध अपने चरम पर है, अपराधी बेलगाम हो गए हैं और प्रशासन की पकड़ कमजोर पड़ गई है। दलित, शोषित, वंचित समाज के लोगों के साथ हो रहे अन्याय की ओर भी उन्होंने चिराग पासवान का ध्यान आकर्षित किया और कहा कि सिर्फ बयानबाजी से कुछ नहीं होगा, जमीन पर उतरकर काम करना होगा।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि बिहार चुनाव में आकाश आनंद की भूमिका और रणनीति क्या होगी ?
युवा अपील और डिजिटल रणनीति: 30 वर्षीय आकाश आनंद, जो लंदन से एमबीए ग्रेजुएट हैं, पार्टी में युवा और टेक्नोलॉजी-सैवी चेहरा ला रहे हैं। उन्होंने 2019 से सक्रिय रूप से पार्टी के डिजिटल अभियानों और युवा आउटरीच को मजबूत करने पर काम किया है। सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता और आधुनिक भाषण शैली ने दलित युवाओं, खासकर अंबेडकरवादी समुदायों में, उत्साह पैदा किया है।
दरअसल मायावती ने देश को तीन क्षेत्रों में बांटकर प्रत्येक के लिए राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किए हैं, जो आकाश को रिपोर्ट करते हैं। यह नया ढांचा पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करने की दिशा में एक कदम है।
आकाश ने हरियाणा विधानसभा चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाई और बीएसपी को एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश किया। उनकी रैलियों में जातिगत समानता और आर्थिक न्याय पर जोर देने वाली “आकांक्षी राजनीति” दिखी, जो पारंपरिक “पहचान की राजनीति” से आगे बढ़ती है।
चुनौतियां:
इसमें दो राय नहीं है कि बीएसपी का वोट शेयर और संसदीय उपस्थिति हाल के वर्षों में कमजोर हुई है। 2024 के लोकसभा चुनाव में कोई सीट न जीत पाना और उत्तर प्रदेश विधानसभा में केवल एक विधायक होना पार्टी की चुनौतियों को दर्शाता है।
आकाश आनंद को पार्टी से निकालना और फिर वापसी मायावती के मजबूत नियंत्रण और पार्टी में उनकी अनिश्चितता को दर्शाती है। मायावती ने स्पष्ट किया है कि वह अपने जीवनकाल में कोई उत्तराधिकारी नियुक्त नहीं करेंगी, जिससे आकाश की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।
बाहरी दबाव और धारणा: कुछ विपक्षी नेताओं ने दावा किया है कि बीएसपी पर बीजेपी का दबाव है, विशेष रूप से आकाश के बीजेपी के खिलाफ आक्रामक बयानों के बाद उनकी बर्खास्तगी को लेकर। यह धारणा पार्टी की छवि को प्रभावित कर सकती है।
दरअसल आकाश आनंद का युवा नेतृत्व और आधुनिक दृष्टिकोण बीएसपी को नई ऊर्जा दे सकता है, खासकर युवा दलित मतदाताओं के बीच जो चंद्रशेखर आजाद जैसे नए नेताओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं। उनकी रणनीति में सामाजिक न्याय के साथ-साथ समकालीन मुद्दों को शामिल करना पार्टी को पुनर्जनन की राह पर ले जा सकता है। हालांकि, मायावती की अनिश्चित रणनीतियां और पार्टी के भीतर एकता बनाए रखने की चुनौती आकाश के लिए बड़ी बाधाएं हैं।