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यूपी में इंडिया की घेराबंदी कर रहे मायावती और ओवैसी

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चरण सिंह 

ऐसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी 370 तो एनडीए 400 के बार नहीं कह रहे हैं। भाजपा चौतरफा इंडिया गठबंधन की घेराबंदी कर रही है। बिहार में नीतीश कुमार और जयंत चौधरी को एनडीए में ले आये हैं तो पश्चिमी बंगाल में ममता बनर्जी को अकेला लड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया है। देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की घेराबंदी के लिए बसपा मुखिया और असदुद्दीन ओवैसी को लगा दिया गया है। लोकसभा चुनाव में यह माना जा रहा है कि मुस्लिम वोट बैंक एकतरफा इंडिया गठबंधन के खाते जा रहा रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अधिकतर सीटें मुस्लिम और दलित बहुल हैं। ऐसे में बीजेपी का प्रयास है कि उत्तर प्रदेश में बसपा और ओवैसी की पार्टी से मुस्लिम प्रत्याशी उतरवा कर मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाई जाए।
बहुजन समाज पार्टी ने अमरोहा से मुजाहिद्दीन हुसैन को तो मुरादाबाद से इमरान सैफी को चुनावी समर में उतार दिया है। असदुद्दीन ओवैसी भी उत्तर प्रदेश में ७ सीटों पर लड़ने जा रहे हैं। ओवैसी के प्रवक्ता आसिम वकार ने कहा है कि इंडिया गठबंधन उनकी पार्टी के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है। उन्होंने आजमगढ़, बदायूं, फिरोजपुर, संभल, मुरादाबाद, बिजनौर, मुजफ्फरनगर और मेरठ सीटों पर उनकी पार्टी लड़ेगी। मतलब मायावती के साथ ही ओवैसी भी सपा और कांग्रेस को घेरने में लग गये हैं। अमरोहा, बिजनौर, नगीना से बसपा के सांसद हैं। इस बार बसपा का एक भी सांसद बनना मुश्किल लग रहा है। इसकी बड़ी वजह यह है कि २०१९ के लोकसभा चुनाव में बसपा का सपा के साथ गठबंधन था। इस बार बसपा अकेले दम पर चुनाव लड़ रही है। यह माना जा रहा है कि असदुद्दीन ओवैसी और मायावती भले ही कोई सीट न जीते पर सपा और कांग्रेस का खेल जरूर बिगाड़ देंगे।
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के शासन का उदाहरण भाजपा दूसरे प्रदेशों में भी देती है। ऐसे में पहले से ही भाजपा उत्तर प्रदेश में मजबूत मानी जा रही है। इन सबके बावजूद भाजपा उत्तर प्रदेश में नुकसान की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती है। यही वजह रही कि कांग्रेस के तमाम प्रयास के बावजूद भाजपा ने बसपा को इंडिया गठबंधन में शामिल नहीं होने दिया।  यह इंडिया गठबंधन में शामिल होने की चर्चा ही थी कि मायावती को प्रेस कांफ्रेंस कर सफाई देनी पड़ी थी। उन्होंने सपा, कांग्रेस और बीजेपी इन सभी दलों पर निशाना साधा था। उन्होंने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने गठबंधन से पार्टी को नुकसान होने की बात कही थी। अब फिर जब मायावती और सोनिया गांधी की वार्ता की खबर मीडिया में चली तो मायावती को ट्वीट करना पड़ा कि वह अकेले चुनाव लड़ने के फैसले पर अटल हैं। उन्होंने तीसरा मोर्चा के गठन के प्रयास को मायावती करार झूठ बता दिया। भारतीय जनता पार्टी इन चुनाव में 80  में से 80  सीटें जीतने का दावा कर रही है। भाजपा को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का भी बड़ा फायदा मिलने वाला है।