Punjab Cabinet : कई अहम फैसलों पर मुहर, पुरानी पेंशन स्कीम को मंजूरी

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चंडीगढ़। पंजाब कैबिनेट की बैठक हो गई है। इसमें कई अहम फैसलों पर मुहर लग गई है। कैबिनेट ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को मंजूरी दे दी है। बैठक के बाद सीएम ने कहा कि राज्य सरकार पूरी पारदर्शिता से काम कर रही है। भ्रष्टाचारमुक्त शासन देना आम आदमी पार्टी का पहला लक्ष्य है।
भगवंत मान ने कहा हमने विधानसभा को लाइव दिखाया इसका उद्देश्य यह था कि लोगों को यह न पूछना पड़े कि विधानसभा में क्या-क्या हुआ। लोगों ने विधानसभा की कार्यवाही के सीधे देखा। उन्होंने देखा कि उनके जनप्रतिनिधि विधानसभा में क्या कर रहे हैं। वह उनके मुद्दों को उठा रहे या नहीं।
मान ने कहा कि कैबिनेट में गन्ने का नोटिफिकेशन अप्रूव कर दिया है। गन्ने पर 380 एमएसपी दी जाएगी। यह देश में सबसे ज्यादा है। ऐतिहासिक बात यह भी है कि पहली बार हुआ है कि पंजाब सरकार ने गन्ने वालों का कोई पैसा नहीं रोका है। सरकार ने पूरी अदायगी कर दी है। सीएम मान ने कहा कि 20 तारीख से गन्ना मिलें शुरू हो जाएंगी। इस बार की पेमेंट नियमों के अनुसार जल्द से जल्द दी जाएगी।
मान ने कहा कि कालेजों में 645 लेक्चररों के पदों को भरने को भी मंजूरी दे दी गई है। इसमें पूरी तरह से पारदर्शिता बरती जाएगी। 16 सरकारी कॉलजों में प्रिंसिपल के पदों को भरने को भी मंजूरी दी गई है। पदों को भरने की आयु सीमा 48 से बढ़ाकर 53 वर्ष की दी गई है। पंजाब सरकार ने गौशालाओं का 31 अक्टूबर तक का बिजली बिल माफ करने का ऐलान भी किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार धान खरीद में कोई दिक्कत नहीं आई। मंडियों में कोई हड़ताल नहीं हुई। किसानों को समय पर अदायगी की गई है। सीएम ने कहा कि इस बार हमने बाहर से आने वाले धान पर निगरानी रखी, जिस कारण धान खरीद में किसी तरह की शिकायत नहीं आई। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि कुछ किसान संगठन बार-बार धरना प्रदर्शन कर लोगों को परेशान करते हैं। रास्ते रोक लिये जाते हैं। इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है इससे लोगों की किसानों के प्रति जो सहानुभूति थी वह कम हो रही है।
भगवंत मान ने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले सात माह में पंजाब को एक ईमानदार सरकार दी है। वह बताना चाहते हैं कि उन्होंने किसानों को बहुत कुछ दिया है। हमने किसान संगठनों के साथ इतनी बैठक की जितने शायद पिछले सरकारों ने कभी नहीं की होगी। लेकिन कई बार लगता है कि कुछ संगठन सिर्फ सड़कों पर बैठने के लिए बने हैं।

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