यूपी में एक शख्स को यह साबित करने में 26 साल लग गये कि उन्हें आर्म्स एक्ट के एक मामले में झूठा फंसाया गया था। उनपर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अपने पास 12 बोर की चार गोलियां रखी थी। मोहम्मद सलाउद्दीन, (जो अब 62 वर्ष के हैं) पिछले 26 वर्षों से अदालत में एक मामला लड़ रहे थे, इस दौरान उन्होंने 200 से अधिक सुनवाई में भाग लिया।
वह 1995 में 36 साल के थे, जब मुजफ्फरनगर पुलिस ने उन पर कथित तौर पर चार गोलियां रखने का मामला दर्ज किया था।
यहां तक कि उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था और जमानत मिलने से पहले उन्होंने 20 दिन जेल में बिताए थे।
सलाउद्दीन ने कहा, “मेरे खिलाफ आरोप झूठे थे और मुझे मेरे रिश्तेदारों ने फंसाया था। मैं एक छोटा किसान हूं, मेरे पास सिर्फ 10 बीघा जमीन है और मेरा कोई अन्य व्यवसाय नहीं है। मेरा पूरा जीवन अदालत की सुनवाई में हिस्सा लेने में चला गया है। केस में मेरी सारी कमाई भी चली गई।”
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनोज कुमार ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष ने आरोपों की गवाही नहीं दी और न ही मुकदमे के दौरान अदालत के समक्ष कोई सबूत पेश किया। 2019 में उनके गवाही देने का अधिकार वापस ले लिया गया था।
उनके बेटे, आशु अहमद, (जो सिर्फ दो साल के थे, जब उनके पिता पर मामला दर्ज किया गया था) ने कहा कि परिवार की मासिक आय लगभग 20,000 रुपये है और अधिकांश पैसा केस पर खर्च किया गया।
उन्होंने कहा, “हम पांच लोगों का परिवार हैं और तब मेरे पिता का मेडिकल खर्च भी था।”