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Loudspeaker Ban : अजान – हनुमान चालीसा पर गरमाई सियासत

Loudspeaker Ban पर महाराष्ट्र पर सियासत

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Loudspeaker Ban : इन दिनों अखबारों की खबरे अजान और लाउडस्पीकर की खबरों से भरा पड़ा हुआ है  UP में एक ओर जहां धार्मिक स्थलों से 45773 लाउडस्पीकर के उतारे (Loudspeaker Ban) जा रहे वही महाराष्ट्र जिस राज्य से सबसे अधिक किसानों की आत्महत्या के मामले सामने आते हैं उस राज्य के अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा, उद्धव ठाकरे के आवास के बाहर अपने हनुमान चालीसा पढ़ने की चुनौती के लिए सुर्खियों में बनी हुई है। तो चलिए समझते है पूरा मामला।

साल 1912 में लाउडस्पीकर सामान्य प्रयोग में सामने आया और 1920 से लाउडस्पीकर रेडियो, लोगों को संबोधित करने के लिए और सिनेमाघरों में प्रयोग किया जाने लगा। फिलहाल लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नेताओं की रैलियों पार्टियों धार्मिक त्योहारों तथा धार्मिक स्थलों में किया जाने लगा और अब इस पर बैन (Loudspeaker Ban) की मांग करते राज ठाकरे लगाने की बात का जा रही। लाउडस्पीकर के इतिहास बताने का उद्देश्य ये समझना था कि हमारे यहां के धर्मों और मान्यताओं की जड़े हजारों साल पहले से है और लाउडस्पीकर मात्र 100 साल पुराना। धार्मिक मान्यताओं को लाउडस्पीकर से नत्थी करना गलत हैं।

महाराष्ट्र में क्यों हो रहे लाउडस्पीकर बैन (Loudspeaker Ban)- 

अब महाराष्ट्र की बात करें तो इन दिनों राज ठाकरे (raj thackeray) महाराष्ट्र के मुंबई की मस्जिदों से सारे लाउडस्पीकर हटा (Loudspeaker Ban) देने पर तुले हुए है। इतने सालों की राजनीति के बाद अचानक ध्वनि प्रदूषण पर नेताओं का ध्यान जाने का कारण क्या हो सकता है? विशेषज्ञों की मानें तो नेताओं के सारे कयास साल में होने जा रहे मुंबई नगरपालिका चुनाव से लगाए जा रहे।

Loudspeaker Ban की मांग करते राज ठाकरे
Loudspeaker Ban की मांग करते राज ठाकरे

राज ठाकरे (raj thackeray) के अलावा अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा भी उद्धव सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले रखा है। नवनीत राणा 2019 में संसद में “जय श्री राम” के नारे को बेवजह बताने वाली सांसद थी जो कि इन दिनों मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास ‘मातोश्री’ के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने का ऐलान करती दिख रहीं। अब उनकी गिरफ्तारी से लेकर रिहाई (navneet rana bail)तक की खबरों से अखबार भरा पड़ा हैं।

Loudspeaker Ban के बाद हनुमान चालीसा पर महाराष्ट्र की सियासत गरमाई

बाला साहब ठाकरे की विरासत वाली शिवसेना पार्टी पर हिन्दू विरोधी होने का आरोप लगाया जा रहा। विपक्ष के नेता शिवसेना के कांग्रेस और NCP  के गठबंधन का फायदा उठा रहें। क्योंकि BJP और शिवसेना के आधारभूत मुद्दे एक समान प्रतीत होते है क्योंकि शिवसेना और BJP  के गठबंधन खत्म हो जाने के बाद विपक्ष शिवसेना को उन्ही मुद्दों पर घेर रही जिन मुद्दों पर कभी शिवसेना BJP को घेरती थी।

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ऐसे में राज ठाकरे (raj thackeray) और नवनीत राणा की सक्रिय हिंदुत्व की राजनीति से उनके BJP में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही है, हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस बात को बेबुनियाद बताया है। इसके अलावा कंगना रनोट भी महाराष्ट्र सरकार को आये दिन law and order के मुद्दे को लेकर सरकार को घेरते रहती है इससे उद्धव सरकार कमजोर नजर आ रही हैं। इस मुद्दे पर शिवसेना के नेता संजय राउत ने BJP का प्रोपेगेंडा बताया। इसके बाद बिहार के  मुख्यमंत्री CM (Nitish kumar) नीतीश कुमार ने इसे बेबुनियाद मुद्दा बताया।

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अक्सर लाउडस्पीकर पर बैन (Loudspeaker Ban) को किसी धर्म विशेष के दबाने या विरोध के तौर पर देखा जाने लगता है और इसी पर सियासी रोटियां भी शेकी जाने लगती है जो आगे जाकर धार्मिक तनाव को बढ़ावा देते हैं।

एक समाज के तौर पर हम सभी को कुरीतियों से आगे जा कर इन मसलों को देखना चाहिए। सार्वजनिक स्थल पर लाउडस्पीकर का प्रयोग किसी भी वृद्धजन, छात्र या मरीज को प्रभावित कर सकता है। अत हम लाउडस्पीकर बैन (Loudspeaker Ban) की जगह कानून के दायरे में रह कर हम इसका प्रयोग कर सकते हैं। जिस प्रकार डिजीटल टेक्नोलॉजी  के चलते हम लाउडस्पीकर के प्रयोग पर आए है ठीक उसी प्रकार हम फोन का इस्तेमाल कर लाउडस्पीकर को रिप्लेस कर सकते हैं।