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“भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा में मित्र देखा, न कि उसकी गरीबी-अमीरी”: श्री छोटे बापू

नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन, सैकड़ों श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण कर लिया अध्यात्म का आनंद

वैशाली, मोहन कुमार सुधांशु।

गोरौल प्रखंड के चैनपुर स्थित सर्व मनोकामना सिद्ध संकट मोचन हनुमान मंदिर परिसर में चल रहे नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का अंतिम दिन श्रद्धा, भक्ति और भाव से सराबोर रहा। अयोध्या से पधारे परम भगवत मर्मज्ञ श्री छोटे बापू जी महाराज ने कथा के अंतिम दिवस पर भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जी की मित्रता का प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।

उन्होंने कहा कि भगवान की लीला इस धराधाम पर 125 वर्षों तक चली। इसमें 25 वर्ष मथुरा, गोकुल, वृंदावन में और शेष 100 वर्ष द्वारका में व्यतीत किए। वृंदावन की लीलाएं प्रेम और आनंद, जबकि द्वारका की लीलाएं जीवन का मार्गदर्शन देने वाली हैं।

कथा के माध्यम से छोटे बापू जी ने बताया कि कलयुग में दो ही रास्ते हैं—भगवान का नाम और भगवान की कथा। इनका नियमित स्मरण और श्रवण मनुष्य को मोक्ष की ओर ले जाता है। उन्होंने राजा परीक्षित का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने मात्र सात दिनों में मोक्ष प्राप्त किया और दिव्य विमान से भगवान के धाम को गए।

कथा के दौरान तक्षक नाग की कथा और माया-मोह से मुक्ति के उपायों पर भी प्रकाश डाला गया।
मध्यप्रदेश के रामा शंकर मिश्र और अयोध्या से आए सियाराम दास जी महाराज द्वारा प्रस्तुत भजनों ने माहौल को भक्तिमय कर दिया।

कथा के अंतिम दिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंच कर इस दिव्य अवसर का लाभ उठाए। समापन के अवसर पर भक्तों के बीच प्रसाद वितरण भी किया गया।

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