आज भी सुनने को मिलती है मधुर तान!
दीपक कुमार तिवारी
पटना । धनरूआ प्रखंड के विजयपुरा गांव में आज भी मान्यता हैं कि भगवान श्री कृष्ण वहां रहते हैं और उनकी बांसुरी की आवाज़ सुनी जा सकती है। गांव वालों का कहना है कि उनके पूर्वजों के अनुसार श्री कृष्ण ने यहां रात्रि विश्राम किया था और इसीलिए गांव का नाम विजयपुरा पड़ा। हर साल जन्माष्टमी पर यहां बहुत लोग आते हैं और मान्यता है कि यहां 53 दिनों तक रासलीला का आयोजन होता है।
बिहार की राजधानी पटना से लगभग 35 किलोमीटर दूर धनरूआ प्रखंड में स्थित विजयपुरा गांव के लोग बताते हैं कि उन्हें आज भी कभी-कभी पायल, घुंघरू और बांसुरी की आवाज़ सुनाई देती है। गांव वाले इसे श्री कृष्ण की लीला मानते हैं और उनका कहना है कि यह आवाज़ हर किसी को नहीं, बल्कि भगवान कृष्ण में आस्था रखने वालों को ही सुनाई देती है।
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि उनके पूर्वजों ने उन्हें बताया था कि पांडवों के साथ जरासंध को हराने के बाद जब श्री कृष्ण लौट रहे थे, तो उन्होंने इसी गांव में रात्रि विश्राम किया था। इतना ही नहीं, जब श्री कृष्ण रुक्मणि हरण करके लौट रहे थे, तो उन्होंने यहां भी विश्राम किया था। गांव वालों का मानना है कि इसीलिए पहले इस गांव का नाम वृजपुरा था, जो बाद में बदलकर विजयपुरा हो गया।
हर साल की तरह इस साल भी जन्माष्टमी पर विजयपुरा गांव में स्थित कन्हैया स्थान पर तैयारियां जोरों पर हैं। जन्माष्टमी के दिन दूर-दूर से लोग यहां आकर मन्नत मांगते हैं। गांव के लोगों का दावा है कि आज भी इस गांव में श्री कृष्ण का वास है और वे बांसुरी बजाते हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार, गांव के रहने वाले बंगाली दास जब श्री कृष्ण से मिलने वृंदावन जा रहे थे, तो रास्ते में ही श्री कृष्ण ने उन्हें कुष्ठ रोगी के रूप में दर्शन दिए थे। कहते हैं कि बंगाली दास जब वृंदावन से मिट्टी लाकर यहां पिंडी बनाकर पूजा करने लगे, तब से इस स्थान पर रासलीला का आयोजन शुरू हुआ।हालांकि, किसी को यह नहीं पता कि इस गांव में रासलीला का आयोजन कब से शुरू हुआ, लेकिन ग्रामीण बताते हैं कि सैकड़ों सालों से यहां रासलीला होती आ रही है। बताया जाता है कि पूरे भारत में सिर्फ तीन जगहों पर ही सबसे लंबी रासलीला का आयोजन होता है और पटना के धनरूआ प्रखंड का विजयपुरा गांव भी उनमें से एक है। यहां 53 दिनों तक रासलीला चलती है।