भारतीय समाजवाद का अग्रणी प्रवक्ता रहे लोकनायक जयप्रकाश 

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नीरज कुमार 

लोकनायक जयप्रकाश नारायण जयंती पर मेरे लिए कुछ भी लिखना बहुत कम होगा क्यूंकि उनके चिंतन का दायरा बहुत बड़ा हैं | वे आधुनिक भारत के ऐसे राजनीतिक-विचारक थे जिन्हें भारतीय समाजवाद का अग्रणी प्रवक्ता माना जाता हैं | उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन गांधीवादी असहयोगकर्ता के रूप में आरंभ किया और भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई | समाजवादी विचारक के नाते जयप्रकाश जी ने राजनीति के आर्थिक आधार पर विशेष बल दिया | उनकी प्रसिद्ध कृति ‘टुवार्डस स्ट्रगल’ (1946) के अनुसार, समाजवाद सामाजिक-आर्थिक पुनर्निर्माण का विस्तृत सिद्धांत है | इसका प्रेरणा-स्त्रोत ‘समानता’ की धारणा है, परंतु इस धारणा का युक्तिसंगत विश्लेसन जरुरी है | अपनी-अपनी प्राकृतिक क्षमताओं की दृष्टि से सब मनुष्य सामान नहीं हो सकते | अतः मनुष्यों की ‘प्राकृतिक समानता’ (Natural Equality) का दावा निरर्थक और निराधार है | परंतु सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में मनुष्यों के बीच जो घोर विषमता पाई जाती है, वह उनकी प्राकृतिक असमानता का परिणाम नहीं है, बल्कि वह ‘उत्पादन के साधनों’ पर विषमतापूर्ण नियंत्रण की उपज हैं | सब मनुष्यों को आत्मविकास के उपयुक्त अवसर प्रदान करने के लिए इस विषमता का निराकरण जरुरी है | इसके लिए सामाजिक-आर्थिक समानता स्थापित करने की जरुरत है, केवल मनोवैज्ञानिक दृष्टि से लोगों को समानता का अनुभव करा देना पर्याप्त नहीं है |

जयप्रकाशजी ने समाजवाद के विचार को महात्मा गांधी के ‘सर्वोदय’ के आदर्श के साथ जोड़कर एक नई दिशा में विकसित किया है | इस विचार को व्यवहारिक रूप देने के लिए जयप्रकाशजी ग्राम पुनर्गठन का विस्तृत कार्यक्रम प्रस्तुत किया हैं | उन्होंने तर्क दिया कि एशिया के कृषि-प्रधान देशों में मूल आर्थिक समस्या कृषि-व्यवस्था के पुनर्निर्माण की है | इसके समाधान के लिए प्रत्येक गाँव को स्वशासी (Self-Governing) और आत्मनिर्भर इकाई बना देना होगा | भूमि कानूनों (Land laws) को इस तरह बदलना होगा कि भूमि काश्तकार की अपनी हो जाए ताकि कोई उसका शोषण न कर सके | जयप्रकाश जी ने सहकारी कृषि (Cooperative Farming) का समर्थन किया ताकि कृषि-व्यवस्था को निहित स्वार्थों से मुक्त करा दिया जाए; छोटी-छोटी जोतों को मिलाकर सामूहिक सहकारी कृषि-क्षेत्र बना दिए जाएं, किसानों के क़र्ज़ माफ़ करके राज्य तथा सहकारी ऋण एवं विपणन प्रणाली के साथ-साथ सहकारी गौण उद्दोग स्थापित किए जाएं ताकि कृषि और उद्दोग में संतुलन स्थापित किया जा सके |

जयप्रकाश जी ने सम्पूर्ण क्रान्ति का विचार प्रस्तुत किया | सम्पूर्ण क्रांति की संकल्पना यह व्यक्त करती है कि केवल शाषन-व्यवस्था को बदल देने या एक सरकार की जगह दूसरी सरकार स्थापित कर देने से समाज का उद्धार नहीं होगा | इसके लिए सम्पूर्ण समाज-व्यवस्था को बदलना होगा ; आर्थिक विषमता और सामाजिक भेदभाव को जड़ से मिटाना होगा; इस परिवर्तन को गति देने के लिए जयप्रकाश जी ने युवा-शक्ति का आह्वान किया जिसे जन-शक्ति को अपने साथ लेकर राज्य-शक्ति के विरुद्ध संघर्ष करना होगा |

जयप्रकाश नारायण भारत के समाजवादी आंदोलन के महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं | उन्होंने समाजवादी विचारधारा का प्रयोग एक ओर जनसाधारण को साम्राज्यवादी आधिपत्य से स्वाधीनता दिलाने के लिए और दूसरी ओर उन्हें सामंतवादी शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए किया |

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