चरण सिंह
लोकसभा चुनाव में पीलीभीत सीट से वरुण गांधी का टिकट काटना भारतीय जनता पार्टी को भारी भी पड़ सकता है। भले ही पीलीभीत से बीजेपी ने योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद को प्रत्याशी बनाया हो पर इस सीट पर वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी का तीन दशक से दबदबा है। १९८९ में मेनका गांधी पीलीभीत सीट पर जनता दल के टिकट से लोकसभा पहुंची थीं। उसके बाद मेनका गांधी एक बार बीजेपी से हारीं उसके बाद या तो मेनका गांधी नहीं तो फिर वरुण गांधी पीलीभीत से सांसद रहे। ऐसे में बीजेपी ने वरुण गांधी का टिकट काट दिया।
टिकट काटने का कारण वरुण गांधी का अपनी ही सरकार की आलोचना करना बताया जा रहा है। तो क्या वरुण गांधी ने किसान आंदोलन के साथ ही दूसरे जनहित के मुद्दों पर बोलकर पार्टी विरोधी काम कर दिया था, जबकि माना तो यह जाता है कि अपनी ही सरकार को आईना दिखाने वाले बिड़ने ही नेता होते हैं। उनमें से एक नेता वरुण गांधी ही हैं। आज की राजनीति में जहां नेता दोनों हाथों से देश को लूटने की मानसिकता रखते हैं। ऐसे में वरुण गांधी ने सांसदी की भी सुविधाएं नहीं लीं। यानी कि देश की राजनीति में एक उदाहरण पेश किया। ऐसे में भाजपा ने वरुण गांधी का टिकट काटकर यह संदेश देने की कोशिश की कि यदि कोई नेता सरकार की आलोचना करेगा तो उसका यही हाल होगा। ऐसे में प्रश्न उठता है कि अब वरुण गांधी किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे या फिर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में किस्मत आजमाएंगे।
प्रश्न यह भी उठता है कि पीलीभीत सीट पर चुनाव पहले चरण में हैं। 27 मार्च यानी कि कल नामांकन भरने का अंतिम दिन है। वरुण गांधी ने अपना टिकट कटने के बाद कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। तो क्या वरुण गांधी अपनी मां मेनका गांधी को सुल्तानपुर से चुनाव लड़ा सकते हैं। या फिर निर्दलीय ताल ठोककर बीजेपी को ललकारेंगे ? वैसे मेनका गांधी भी वरुण गांधी का टिकट कटने पर बीजेपी से नाराज बताई जा रही हैं। ऐसे में क्या मेनका गांधी टिकट लौटाकर पीलीभीत सीट पर वरुण गांधी को चुनाव लड़ाएंगी ? या फिर वरुण गांधी अपने पिता संजय गांधी की सीट रही अमेठी से किस्मत आजमा सकते हैं ?
इसमें दो राय नहीं कि यदि वरुण गांधी यदि अमेठी से चुनाव लड़ते हैं तो राहुल गांधी से अच्छा चुनाव लड़ेंगे। अमेठी से मौजूदा सांसद स्मृति ईरानी के लिए दिक्कत पैदा करने के लिए राहुल गांधी से बढ़िया नेता वरुण गांधी हैं। दरअसल वरुण गांधी की छवि ईमानदार और उसूलों वाले नेता की रही है। वरुण गांधी भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है। ऐसे ही वह न केवल एक अच्छे वक्ता हैं बल्कि एक शानदार लेखक भी हैं। ऐसे में वरुण गांधी का राजनीतिक भविष्य खत्म तो नहीं हो सकता है। वरुण गांधी यदि बीजेपी के खिलाफ इंडिया गठबंधन की ओर से स्टार प्रचारक बन गये तो बीजेपी के लिए दिक्कतें पैदा कर सकते हैं। क्योंकि पीलीभीत पहले चरण में चुनाव हैं। वह अपना चुनाव लड़ाकर गठबंधन के दूसरे प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार कर सकते हैं। इसमें दो राय नहीं कि यदि राहुल गांधी, प्रियंका गांधी अखिलेश यादव के साथ ही मंच पर वरुण गांधी भी दिखाई देंगे तो चुनाव पर असर तो जरूर डालेंगे।