डिफेंस की राजनीति कर रहीं मायावती
चरण सिंह राजपूत
बसपा मुखिया मायावती ने अपने जन्मदिन पर प्रेस कांफ्रेंस कर जिस तरह से सधी हुई भाषा का इस्तेमाल करते हुए इंडिया गठबंधन में शामिल न होने का ऐलान किया उसके आधार पर कहा जा सकता है कि बसपा की लगाम बीजेपी के हाथ में है। मायावती ने राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को स्वीकार करने की बात तो कही पर पार्टी कार्यक्रमों की व्यस्तता के चलते जाने में असमर्थता जताई। मायावती की इस रणनीति में मुस्लिम वोटबैंक बचाने की रणनीति दिखाई दी। जिस तरह उन्होंने सपा मुखिया अखिलेश यादव को गिरगिट की तरह रंग बदलने वाला नेता बताया उससे उनका सपा को एहसास कराने की भावना दिखाई दी। उन्होंने बीजेपी के साथ ही कांग्रेस पर भी ऐसेे ही हमला नहीं बोला। फ्री राशन बांटने को उन्होंने सरकार के मोहताज की संज्ञा देतेे हुए बहुजन समाज के लोगों से आत्मनिर्भर होने की बात कही। मायावती के अंदर बीजेपी द्वारा बसपा के वोटबैंक को हथियाने की टीस दिखाई दी।
दरअसल मायावती पर केंद्र सरकार का पूरा दबाव है। मायावती अपनी और अपने भाई आनंद की संपत्ति बचाने के लिए बीजेपी के सामने नतमत्सक है। यही वजह रही कि बीजेपी ने मायावती पर पूरी तरह से दबाव बना रखा है। दरअसल इंडिया गठबंधन में चल रही कसमकस के पीच जब बसपा सांसद मलूक नागर ने कहा कि बहन जी को यदि प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाया जाए तो बसपा गठबंधन में शामिल होन की सोच सकती है। उसी दिन से बीजेपी ने मायावती पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था। मायावती के जन्मदिन पर यह माना जा रहा था कि मायावती गठबंधन में शामिल होने की ऐलान कर सकती है। कांग्रेस लगातार मायावती के संपर्क में थी। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की दो दौर की बैठक मायावती के साथ होने की बात सामने आई थी। ऐसेे में लगता है कि केंद्र सरकार ने बसपा पर दबाव बनाकर जन्म दिन के अंदर मायावती से प्रेस कांफ्रेंस कराकर इंडिया गठबंधन में शामिल न होने की कहाई।
बसपा के गठबंधन में शामिल होने का विरोध कर ही समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के भी सुर बसपा के प्रति नरम पड़ रहे थे। विधायकों की बैठक में भी एक विधायक के मायावती के खिलाफ गलत टिप्पणी पर अखिलेश यादव ने बीच में टोककर मायावती को बड़्री नेता बताया था। मायावती के भतीजे आकाश के यहां कांग्रेस के कई बड़े नेता पहुंचे थे पर मायावती ने अपने जन्मदिन पर जो प्रेस कांफ्रेंस उसमें उन्होंनेे अखिलेश यादव को गिरगिट की तरह रंग बदलने वाला करार के दिया। मायावती ने न केवल कांग्रेस बल्कि बीजेपी की भी हमला बोला। मायावती ने राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में निमंत्रण मिलने की बात तो कही पर जाने के नाम पर पार्टी के काम में व्यस्त होने के चलते न जाने की बात कही। दरअसल मुस्लिम वोटबैंक के चलते मायावती राम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने से बच रही है।