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Lok Sabha Elections : चंद्रशेखर आजाद ने हॉट सीट बनाया नगीना को!

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चरण सिंह 

जनपद बिजनौर के अंतर्गत आने वाली नगीना लोकसभा सीट पर आजाद समाज पार्टी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद के चुनाव लड़ने की घोषणा ने नगीना को हॉट सीट बना दिया है। आरक्षित होने की वजह से इस सीट से दमदार उम्मीदवार नहीं उतर पा रहा था कि चंद्रशेखर आजाद ने इस सीट से लड़ने की घोषणा क्या की कि नगीना सीट सुर्खियों में छा गई। नगीना सीट पर यह माना जा रहा था कि इंडिया गठबंधन चंद्रशेखर आजाद को नगीना सीट देगा। यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में आई तो समाजवादी पार्टी ने पूर्व जज मनोज कुमार को टिकट दे दिया। भारतीय जनता पार्टी ने नहटौर से विधायक रहे ओम कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है।

मायावती ने मौजूदा सांसद गिरीश चंद्र को बुलंदशहर से टिकट दिया है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि मायावती अपने भतीजे आकाश आनंद को नगीना से लोकसभा चुनाव लड़ा सकती है। आकाश आनंद के नगीना से चुनाव लड़ने से इस सीट का चुनाव बड़ा रोमांचक हो जाएगा। आकाश आनंद से नगीना से चुनाव लड़ने की स्थिति में दलित समाज के दो दिग्गजों के राजनीतिक भविष्य का फैसला होगा। दरअसल चंद्रशेखर आजाद नगीना से पहला लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। यदि आकाश आनंद को टिकट मिलता है तो आकाश आनंद भी नगीना लोकसभा से अपना राजनीतिक करियर शुरू करेंगे।

दरअसल नगीना दलित-मुस्लिम बहुल सीट है। ऐसे में आजाद समाज पार्टी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद समाजवादी पार्टी के मनोज कुमार के साथ यदि बीएसपी से आकाश आनंद भी नगीना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं तो इसका फायदा भाजपा को होगा। हां यह जरूर कहा जाएगा नगीना लोकसभा सीट यह भी निर्धारित कर देगी कि चंद्रशेखर आजाद और आकाश आनंद में कौन उत्तर प्रदेश की राजनीति में गुल खिलाने वाला है ? देखने की बात यह भी है कि बसपा मुखिया मायावती ने बिजनौर लोकसभा सीट से ही अपना करियर शुरू किया था। तो क्या अपने भतीजे का करियर भी वह बिजनौर की नगीना लोकसभा सीट से शुरू करने वाली हैं। मायावती के बारे में लोग भी कह रहे हैं कि वह दलितों की लड़ाई लड़ने की बात करती हैं पर किसी दलित नेता को आगे नहीं बढ़ाया। चंद्रशेखर आजाद भी तो एक दलित नेता हैं। मायावती चंद्रशेखर आजाद को आगे क्यों नहीं बढ़ा रही हैं ? जब मायावती खुद हाशिये हैं तो फिर चंद्रशेखर आजाद को साथ लेकर आगे क्यों नहीं बढ़ती ? चंद्रशेखर आजाद को आगे न बढ़ाने के पीछे लोग उनके भतीजे का राजनीतिक करियर प्रभावित होना बता रहे हैं।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि यदि मायावती ने चंद्रशेखर आजाद को समर्थन दे दिया और वह सांसद बनकर लोकसभा पहुंच गये तो उत्तर प्रदेश में आने वाले समय में दलितों की नेता मायावती नहीं बल्कि चंद्रशेखर आजाद रहेंगे। मायावती अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर चुकी हैं। ऐसे में वह नहीं चाहेंगी कि चंद्रशेखर आजाद का कद बढ़े। चंद्रशेखर आजाद संघर्ष के बल पर आगे बढ़े हैं। आकाश आनंद वंशवाद से निकले नेता हैं। ऐसे में वह उनको समझने वाली में काफी समय लगेगा।
दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव में मायावती ने मोदी लहर के बावजूद बिजनौर और नगीना दोनों सीटें जीती थी। तब मायावती का सपा के साथ गठबंधन था। गत लोकसभा चुनाव में बसपा को 10 और समाजवादी पार्टी को पांच सीटें मिली थी। इस बार उत्तर प्रदेश में मायावती अकेले चुनाव लड़ रही हैं और सपा का कांग्रेस के साथ गठबंधन है। चंद्रशेखर आजाद भी अपनी पार्टी आजाद समाज पार्टी से अकेले चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि चंद्रशेखर आजाद के आंदोलनकारी के रूप में राजनीति करने की वजह से उनका अच्छा खासा जनाधार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बन गया है। दलित वोट बैंक के साथ ही मुस्लिमों में भी चंद्रशेखर आजाद की पकड़ है।