Lohia Jayanti : जब लोहिया ने “दिल्ली जो देहली भी कहलाती है” लिखा था लेख

प्रोफेसर राजकुमार जैन
आज डॉक्टर राम मनोहर लोहिया की की पुण्यतिथि है। मैं दिल्ली शहर का बाशिंदा हूं तथा इतिहास का विद्यार्थी भी ही रहा हूं। इसलिए दिल्ली के इतिहास को जानने में मेरी  हमेशा दिलचस्पी रही है। मैंने दिल्ली के इतिहास के बारे में लिखी गई कई किताबों, लेखो, किस्सागोई को पढ़ा, सुना है।
डॉक्टर लोहिया ने दिल्ली पर जो लेख लिखा है वह अद्भुत है। उसके कुछ अंशों को आज पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते, हुए मैं खुशी महसूस कर रहा हू।
डॉ  लोहिया ने सितंबर 1959 में एक लेख “दिल्ली जो देहली भी कहलाती है”। के शीर्षक से लिखा था। इसमें इसके इतिहास, वैभव, विदेशियों के हमले,यहां के किलो,संस्कृति के बारे में दूसरे देशों की राजधानियों से  तुलना करते हुए लिखा।
इतिहास पूर्व की कृष्ण कथाओं में दिल्ली के पूर्व रूप इंद्रप्रस्थ को वैभव और छल- बल की नगरी कहा गया है। जिसका निर्माण ही वर्तमान शासक को छोड़ अन्य सभी को नीचा दिखाने के लिए हुआ है,दिल्ली का इतिहास लगभग 750 वर्ष पूर्व शुरू होता है। दिल्ली ने अपने हर नए विजेता के लिए अपना स्थान बदला। संभवत वह पुरानी यादों से अपने को परेशान नहीं करना चाहती थी। आठ से कम शताब्दियों में 15 मील के घेरे में सात  दिल्ली या सात दिल्लीया’ बसी और कुछ के अनुसार आठ। तुगलकाबाद  सबसे बड़ा नगर था। हालांकि यह आज खंडहर बना है, आज भी वह बेजोड़ है। मुझे याद नहीं पड़ता कि मैंने सारी दुनिया में इतना विशाल किला देखा। अधिकांश दिल्लया’ विदेशियों ने बसाई जो देसी  बन गए।  मैंने एक रात भारतीय इतिहास के इस सुनसान खंडहर( तुगलकाबाद के किले) में बिताई और मै एक बार फिर ऐसा करना चाहता हूं ताकि मैं उसके रहस्य को खोज सकूं।मैंने बड़ी देर तक उस त्रिकोण का अध्ययन किया जो शाही कुतुब और अलाउद्दीन की अधबनी और अनगढ़ मीनार तथा उसके ऊपर बने काले खूबसूरत लौह स्तंभ से बनी थी। मैं अकेला था और चंद्रमा इतना छोटा था कि मेरी मदद नहीं कर पा रहा था।
दिल्ली ने अपनी छातियों को विजेताओं के लिए खोला किंतु अक्सर उसका तत्काल उपयोग नहीं हुआ तैमूर और नादिरशाह ने उसे दागों से कुरूप बना दिया जब इसकी कोई जरूरत नहीं थी। उसने आत्मसमर्पण कर दिया था।किंतु इस बूढ़ी जादूगरनी( दिल्ली)के पास कुछ ऐसे मरहम और लेप थे की स्थाई दाग नहीं बचे। अन्य शहरों को जीत के लिए लूटा गया। दिल्ली को जीतने के बाद लूटा गया।
राय पिथौरा का लोह स्तंभ और अशोक के दो अशोक स्तंभ, एक  कोटला में और दूसरा रिज पर, दिल्ली के नहीं है, उन्हें लुटेरे दूर से ले आए थे अपने को प्राचीनता का सम्मान देने के लिए।यहां मध्यकाल कि या आधुनिक काल की सुंदर इमारतें भी ज्यादा नहीं है’।शायद दिल्ली का यही आकर्षण है। दिल्ली याद नहीं रखती।  उसके प्रति पक्षपात न हो इसलिए यह बताना भी जरूरी है कि यही स्थिति गंगा और यमुना की वादियों के अन्य शहरों की है।महाकाल सब पर राज करता है, सबको विस्मृति में धकेल देता है, कुछ भी नहीं बचता। दिल्ली अपनी सुरुचि संपन्न  कुटेव के साथ आगे बढ़ सकती है, पिछली यादों की परेशानी के बिना। मैंने इसी बात के लिए उसकी प्रशंसा की है।यह दुष्ट बूढ़ी औरत( दिल्ली) कुमारी से भी ज्यादा खूबसूरत है।
दिल्ली असाधारण है। वह पैरिस, वाशिंगटन, टोक्यो या दमिश्क की तरह नहीं है। उसमें इन सभी के कुछ कुछ गुण हैं; इसमें प्रत्येक राजधानी की गंदगी और खूबसूरती का बढ़ा हुआ रूप मिलेग। मैंने टोक्यो को कठोर और कुरूप शांत मुद्रा में देखा है, चेहरे पर खूबसूरत मुस्कान के साथ जब लोग बातचीत करते हैं। मैंने काहिरा भी देखा है, हालांकि उस तरह नहीं जैसे पेरिस को लेकिन
बुसेल्स  की तरह तो देखा ही है,लेकिन जहां एक भाग में आधुनिक आवास है और शेष भागों में गंदगी, बदबू और गरीबी। ये विरोधी स्थितियां स्वास्थ्यकर नहीं है, ये चल नहीं सकती। पेरिस और लंदन अपनें शासकों के प्रति बेपरवाह हैं और रोम तथा बर्लिन भी।मैंने मास्को नहीं देखा है लेकिन मैं उस शहर का बड़ा प्रशंसक हूं। मास्को के लोग अपनी रक्षा के लिए लड़ाई के मैदान में उतरे, दबाव में आकर वे पीछे हटे,मास्को  की हर गली और घर को छोटे-छोटे किलो में बदल दिया।
मैं देसी और विदेशी दोनों को सुझाव दूंगा कि वह 2 दिन या उससे लंबा समय सातवीं या आठवीं दिल्ली का दौरा करने में लगाएं मैंने इस अपकुशने शहर को बड़ी देर तक देखा है और कभी कभी मैं इसकी भव्यता की प्रशंसा करने लगा हू।

  • Related Posts

    किसानो के सच्चे मसीहा थे चौधरी चरण सिंह : देवेन्द्र अवाना

    गांव खेत खलिहान की बात करने वाले किसान…

    Continue reading
    पुण्यतिथि पर याद किए गए पंडित जवाहर लाल नेहरू

    नजीबाबाद। कांग्रेस कार्यकर्ता ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री,…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    बेंगलुरु भगदड़ मामले में सरकारी वकील ने लगाया बड़ा आरोप!

    • By TN15
    • June 5, 2025
    बेंगलुरु भगदड़ मामले में सरकारी वकील ने लगाया बड़ा आरोप!

    भनेड़ा के टोल प्लाजा पर कर्मी की मौत, हुआ बवाल 

    • By TN15
    • June 5, 2025
    भनेड़ा के टोल प्लाजा पर कर्मी की मौत, हुआ बवाल 

    साकेत कोर्ट के लॉकअप में दो कैदियों के बीच हिंसक झड़प में एक कैदी की मौत!

    • By TN15
    • June 5, 2025
    साकेत कोर्ट के लॉकअप में दो कैदियों के बीच हिंसक झड़प में एक कैदी की मौत!

    अनोखा गठबंधन : अब पिनाकी की हुई महुआ!

    • By TN15
    • June 5, 2025
    अनोखा गठबंधन : अब पिनाकी की हुई महुआ!

    तो क्या अब चीन फफूंदी के जरिए बनाना चाहता है दहशत का माहौल!

    • By TN15
    • June 5, 2025
    तो क्या अब चीन फफूंदी के जरिए बनाना चाहता है दहशत का माहौल!

    आरसीबी की जीत के जश्न में मची भगदड़ पर बीजेपी ने साधा कर्नाटक सरकार पर निशाना !

    • By TN15
    • June 5, 2025
    आरसीबी की जीत के जश्न में मची भगदड़ पर बीजेपी ने साधा कर्नाटक सरकार पर निशाना !