
बिहार में सियासी हलचल तेज!
नई दिल्ली/पटना। दीपक कुमार तिवारी।
बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बयान “हम बीजेपी का रास्ता रोकेंगे” के बाद से राजनीतिक माहौल गरमा गया है। इस ‘हम’ का सीधा अर्थ नीतीश कुमार और लालू यादव की संभावित नजदीकियों से निकाला जा रहा है। दूसरी ओर, नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार का यह कहना कि “लालू यादव हमारे चाचा हैं”, सियासी अटकलों को और हवा दे रहा है।
बीजेपी बैकफुट पर? बयानबाजी में ‘यू-टर्न’
गृह मंत्री अमित शाह द्वारा यह कहे जाने के बाद कि बिहार में सीएम का फैसला संसदीय बोर्ड करेगा, बीजेपी में असमंजस की स्थिति बन गई थी। हालांकि, जब जेडीयू की चुप्पी गहराने लगी, तो बीजेपी को बैकफुट पर जाना पड़ा। इसके बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने यू-टर्न लेते हुए सफाई दी कि उन्होंने सिर्फ प्रक्रिया की बात कही थी। अब बीजेपी ने स्पष्ट कर दिया कि “2025 में फिर से नीतीश” ही एनडीए का चेहरा होंगे।
नीतीश को लेकर बीजेपी का डबल गेम?
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय मयूख ने कहा कि “अगर एनडीए बिहार में चुनाव जीतता है, तो नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे। इसमें कोई लेकिन-परंतु नहीं है।” लेकिन बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि पार्टी नेतृत्व नीतीश के संभावित पाला बदलने को लेकर आशंकित है।
‘2015 वाला खेल’ दोहराने से डर रही बीजेपी?
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर नीतीश और लालू फिर एक साथ आए, तो बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। 2015 में जब महागठबंधन बना था, तब बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इसीलिए बीजेपी किसी भी कीमत पर नीतीश को अपने पाले में बनाए रखना चाहती है।
तेजस्वी पर भी बीजेपी का हमला जारी:
बीजेपी नेता संजय मयूख ने तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि “बिहार को उनका परिवार विकास से दूर रखना चाहता था। लेकिन हम लोगों ने यह साबित कर दिया कि विकास से ही वोट मिलता है।”
क्या फिर बदलेगा बिहार का राजनीतिक समीकरण?
बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और राजनीतिक जोड़-तोड़ की रणनीति बननी शुरू हो चुकी है। अगर नीतीश कुमार और लालू यादव एक बार फिर साथ आते हैं, तो बीजेपी के लिए सत्ता बचाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। फिलहाल, राजनीति में ‘इंतजार करो और देखो’ की स्थिति बनी हुई है।