The News15

दलित राजनीति के प्रभाव के चलते मुख्यमंत्री बनना चाहती हैं कुमारी शैलजा!

Spread the love

चरण सिंह
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा ऐसे ही नाराजगी व्यक्त नहीं कर रही हैं। उन्हें पता है कि देश में दलित राजनीति का प्रभाव है और इस बार हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने की पूरी संभावना है। वैसे भी शैलजा कांग्रेस की वरिष्ठ नेता हैं और उनका परिवार कांग्रेसी रहा है। शैलजा का प्रयास है कि उनकी लॉबी के इतने विधायक जीत जाएं कि वह सरकार बनाने में खेल कर सकें। आम आदमी पार्टी के ९० सीटों पर प्रत्याशी उतारने के बाद अब हरियाणा में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलने के आसार कम हो गये हैं। वैसे भी इनेलो और बसपा का गठबंधन और जेजेपी और आजाद समाज पार्टी का गठबंधन भी कांग्रेस के लिए आफत बना हुआ है।
बताया तो यह भी जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल को जमानत ही बीजेपी ने दिलवाई है। कांग्रेस का वोट काटने के लिए केजरीवाल को तिहाड़ जेल से बाहर निकाला गया है। दरअसल बीजेपी जानती है कि यदि हरियाणा में कांग्रेस चुनाव जीत जाती है तो महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है। यही वजह है कि बीजेपी किसी भी हालत में हरियाणा में कांग्रेस की सरकार नहीं बनने देना चाहती है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा आत्मविश्वास से लबरेज हैं। उन्हें अपने दम पर हरियाणा में सरकार बनाने की उम्मीद है।
भले ही कुमारी शैलजा को कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत कट्टर कांग्रेसी बता रही हों। भाजपा के किसी झांसे में न आने की बात कर रही हों पर इस बार शैलजा अपना दांव जरूर चलेंगी। वह तो विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती थीं पर उन्हें केंद्र में रहकर काम करने को कहा गया। शैलजा अपने समर्थकों के साथ लगातार मीटिंग कर रही हैं। उनके मान सम्मान और अधिकार की लड़ाई लड़ने की बात कर रही हैं। चुनाव प्रचार से दूरी बनाये हुए हैं। कुमारी शैलजा का प्रयास है कि मतदान से पहले कांग्रेस हाईकमान से कुछ सौदा कर लिया जाए। हरियाणा विधानसभा चुनाव में बसपा और आजाद समाज पार्टी के हिस्सा लेने पर कुमारी शैलजा को नाराजगी दिखाने का मौका मिल गया है। दरअसल हरियाणा में दलित वोटबैंक ठीकठाक है। दलित लोग जाटों से नाराज रहते हैं। जींद जिले में दलितों और जाटों में कई बार संघर्ष हो चुका है। कुमारी शैलजा की रणनीति है कि दलित वोटबैंक के सहारे कांग्रेस हाईकमान पर दबाव बनाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी ले ली जाए।
हां यह बात जरूर है कि शैलजा का बीजेपी में शामिल होना असंभव ही है। बाकायदा उन्होंने एक टीवी कार्यक्रम में कहा भी है कि उनकी रंगों में कांग्रेस का खून है। उनके पिताजी कांग्रेस के तिरंगे में लिपट कर गये थे और वह भी तिरंगे में लिपटकर जाएंगी। २५ सितम्बर को बीजेपी में शामिल होने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि पता नहीं ये खबरें कहां से आ जाती हैं। शैलजा का गेम मुख्यमंत्री बनने का न कि बीजेपी को मजबूती देने का।