मधुबन। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के प्रदेश महासचिव डॉ. राकेश कुमार सिंह के नेतृत्व में सोमवार को मधुबन स्थित डाक बंगला परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। इस मौके पर दर्जनों क्षत्रिय महासभा के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
डॉ. राकेश ने कहा कि बाबा साहब को राष्ट्र नायक बनाने में क्षत्रिय समाज की अहम भूमिका रही है। उन्होंने बताया कि जिस विद्यालय में डॉ. अंबेडकर ने पढ़ाई की, उसका निर्माण क्षत्रिय समाज ने कराया था। उनके ब्राह्मण गुरु कृष्णा जी केशव अंबेडकर की नियुक्ति बड़ौदा के महाराज शिवाजी राव गायकवाड़ ने की थी। गुरु ने ही भीमराव रामजी सतपाल को अपना उपनाम ‘अंबेडकर’ दिया। बड़ौदा महाराज ने उन्हें पढ़ाया, विदेश में उच्च शिक्षा के लिए भेजा और छात्रवृत्ति भी दी।
डॉ. राकेश ने बताया कि 1951 में जब डॉ. अंबेडकर ने कानून मंत्री पद से इस्तीफा दिया, तब वे दिल्ली में बेघर हो गए थे। उन्हें सरकारी आवास नहीं मिला। ऐसे समय में राजस्थान की सिरोही रियासत के महाराजा ने अपना दिल्ली स्थित निवास 26 अलीपुर रोड, सिरोही हाउस, उनके रहने के लिए समर्पित कर दिया। यह घर अब राष्ट्रीय स्मारक है। डॉ. अंबेडकर ने 1951 से 6 दिसंबर 1956 तक इसी घर में निवास किया। यहीं उनका निधन हुआ।
डॉ. राकेश ने कहा कि यह घटना न केवल बाबा साहब के जीवन की महत्वपूर्ण घटना है, बल्कि राजपूत समाज की उदारता और सामाजिक समरसता की मिसाल भी है। बाद में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने उन्हें भारत रत्न देकर मरणोपरांत सम्मानित किया।
उन्होंने बताया कि डॉ. अंबेडकर ने दूसरी शादी एक ब्राह्मण महिला से की और जीवन के अंतिम समय में बौद्ध धर्म अपनाया। बौद्ध धर्म की स्थापना भी एक क्षत्रिय राजकुमार ने की थी। डॉ. राकेश ने कहा कि बाबा साहब के जीवन में क्षत्रिय समाज का योगदान अहम रहा है। आज राजनीतिक लाभ के लिए हर कोई उनका इस्तेमाल कर रहा है, जो गलत है। बाबा साहब की विरासत पर पहला अधिकार क्षत्रिय समाज का है।
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