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kisan Movement : कल राष्ट्रपति से किसान करेंगे केंद्र की एम.एस.पी पर गठित कमेटी को भंग करने की मांग 

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kisan Movement  : किसानों ने तैयार किया ज्ञापन,  शहीद उधम सिंह के शहादत दिवस पर किसानों का आंदोलन 

kisan Movement : शहीद उधम सिंह के शहादत दिवस पर होने वाले kisan Movement के तहत संयुक्त किसान मोर्चा ने राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन तैयार किया है। इस ज्ञापन पर देशभर से किसानों के हस्ताक्षर कराये जा रहे हैं। यह ज्ञापन केंद्र सरकार द्वारा एम.एस.पी पर गठित कमेटी को तत्काल भंग करते हुए जनपक्षीय एवं किसान हितैषी कमेटी के गठन एवं एमएसपी की गारंटी का कानून बनाये जाने की मांग को लेकर दिया जा रहा है।
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kisan Movement , Congratulations to Draupadi Murmu, Cheat the farmers 

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इस ज्ञापन में किसानों की ओर से राष्ट्रपति बनने पर Congratulations to Draupadi Murmu गई है। किसानों ने कहा है कि वे क्रांतिकारी उधम सिंह के शहादत दिवस पर इस ज्ञापन के जरिए केन्द्र सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में किसानों का रोष पहुँचाना चाहते हैं। किसानों ने कहा है कि आपको मालूम होगा जबसे संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के आश्वासन पर भरोसा कर दिल्ली बार्डर से अपने मोर्चे उठाने का ऐलान किया, उसके बाद से सरकार अपने वादों से लगातार मुकर ही नहीं रही बल्कि आन्दोलन में शामिल किसानों के खिलाफ शत्रु जैसा व्यवहार करते हुए नित नए किसान विरोधी फैसले कर जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रही है।
इसीलिए पूरे देश के किसानों ने 31 जनवरी, 2022 को विश्वासघात दिवस मनाया था और हर जिले से राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के नाम ज्ञापन भेजा था। हमें बहुत अफसोस है कि ज्ञापन से अब तक सात महीने बीत गए लेकिन किसानों की कोई सुनवाई नहीं। मानसून सत्र से पहले केन्द्र सरकार ने एम एस पी पर किसान विरोधी और अर्थहीन कमेटी की घोषणा की। ज्ञापन में कहा गया है कि सरकार द्वारा गठित इस कमेटी से Cheat the farmers हुआ है, जिसके प्रति नाराजगी है कि कमेटी के अध्यक्ष पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल हैं, जिन्होंने तीनों किसान विरोधी कानून बनाए। उनके साथ नीति आयोग के सदस्य रमेशचन्द्र भी हैं जो तीनों कानूनों के मुख्य पैरोकार हैं।
कमेटी में संयुक्त किसान मोर्चा के केवल तीन सदस्यों को रखे जाने का प्रावधान बनाकर एक बार फिर Cheat the Farmers किया है। कमेटी में शामिल किसान नेताओं के नाम पर किसान विरोधी कानूनों के पक्ष में खुलकर बोलने वालों और किसान आंदोलन के खिलाफ जहर उगलने का काम करने वालों को शामिल किया है।  किसान आन्दोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाले कृषि प्रधान राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के किसी किसान संगठन के प्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया।
Kisan Movement के तहत ज्ञापन में कहा गया है कि कमेटी के एजेन्डा में एम एस पी पर कानून बनाने का जिक्र तक नहीं है।  इन्हीं तथ्यों की रोशनी में संयुक्त किसान मोर्चा ने इस कमेटी में शामिल होने से मना कर दिया। अब देश के किसानों को देश के नए मुखिया यानी आपसे उम्मीद है कि आप केन्द्र सरकार को निर्देशित करेंगी कि किसान विरोधी कमेटी को भंग कर एक जनपक्षीय और किसान पक्षधर कमेटी का गठन करें। जिसमें खेती किसानी को बचाने के लिए संघर्षरत किसानों का प्रतिनिधित्व हो। साथ ही सभी कृषि उत्पादों पर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर व्यापक लागत का डेढ़ गुना यानी  C2+50%  न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून बनाकर सरकार अपना वायदा पूरा करे।