Kisan Movement : बीकेएस ने की है कानून की पैरवी
Kisan Movement : आरएसएस के किसान संगठन बीकेएस पर भाजपा सरकार में आंदोलन से पीछे हटने के आरोप लगते रहे हैं। देश में भाजपा सरकार के खिलाफ जितने भी Kisan Movement हुए हैं। बीकेएस ने उन आंदोलनों से दूरी बनाकर रखी है। यही वजह है कि भारतीय यूनियन और दूसरे किसान संगठन बीकेएस पर विश्वास नहीं करते हैं। किसान संगठनों का कहना होता है कि बीकेएस दावे तो बहुत करता है पर भाजपा के सामने आंदोलन में जाने से बचता है। एमएसपी गारंटी कानून के पक्ष में बोलकर बीकेएस ने अपने को किसान हितैषी बताया तो है पर क्या बीकेएस मोदी सरकार के सामने अपनी बातों को मजबूती से रख पाएगा।
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दरअसल भारतीय यूनियन की तरह ही BKS in favor of MSP. बीकेएस भी चाहता है कि किसानों को गारंटी शुदा न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) या लाभकारी दाम दिये जाएं और अनियंत्रित रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई जाए। बीकेएस के सचिव दिनेश कुलकर्णी ने कहा कि उनके संगठन का एक प्रतिनिधि एमएसपी कमेटी में है। उन्होंने बीकेएस ने मांग की है कि देश में ऐसी व्यवस्था बनाई जाए, जिसमें सुनिश्चित किया जाए कि किसानों को लाभकारी दाम और एमएसपी पर एक गारंटी मिले। दरअसल सरकार द्वारा बनाई गई एमएसपी कमेटी के सदस्यों में बीकेएस के प्रमोद कुमार चौधरी शामिल हैं।
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कुलकर्णी ने आगे कहा कि BKS in favor of MSP. उन्हें खुशी है कि सरकार ने एक कमेटी गठित की है और उसमें सभी हितधारकों को शामिल किया है, उसमें किसान संगठनों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, नौकरशाहों तथा अन्य फील्ड एक्सपर्ट्स के नुमाइंदे शामिल हैं। प्रमोद चौधरी ने उत्तर पूर्व में कृषि को बढ़ावा देने के बीकेएस के प्रयासों के बारे में बात की और फरवरी में संगठन की ओर से एक प्रस्ताव पारित किये जाने का उल्लेख भी किया है।
उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि पूरे पूवार्ेत्तर राज्यों में Farming Infrastructure कितना पर्याप्त है। कुछ इलाकों में तो उनके पास बाजार अथवा मंडियों जैसी बुनियादी चीजे भी नहीं हंै। हमने एक प्रस्ताव पास किया है कि हम पूवार्ेत्तर प्रांतों में farming infrastructure को बेहतर बनाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों को सब कुछ मालूम था। वे मौसम के अनुमान लगा सकते थे। यह सह नहीं है कि विदेशियों, खासकर अंग्रेजों ने ही हमें सिखाया है, भारत में हमारे पास सारा ज्ञान था । उन्होंने कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि सरकारी दस्तावेजों में कृषि मजदूरों का अकुशल श्रमिक के तौर पर उल्लेख किया है। खेती उनका कौशल है तो वे अकुशल कैसे हो सकते हैं ?
दरअसल बीकेएस और संघ से संबद्ध एक और संस्था भारतीय कृषि आर्थिक अनुसंधान केंद्र (बीएईआरसी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर इसी सप्ताह भारतीय कृषि पर एक सम्मेलन और कार्यशाला का आयोजन करने जा रही है। हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र द्वारा बनाई गई कमेटी का बहिष्कार कर Kisan Movement की चेतावनी दी है। किसान आंदोलन एक चेहरा बन चुके राकेश टिकैत ने भी एक वीडियो जारी कर आंदोलन की चेतावनी दी है।