द न्यूज 15
बेंगलुरु। कर्नाटक में हिजाब विवाद अभी थमा नहीं है कि हलाल मीट को लेकर एक नया विवाद शुरू हो गया है। दक्षिणपंथी समूहों के मंदिर उत्सवों में मुस्लिम व्यापारियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस प्रतिबंध पर बायोकॉन प्रमुख किरण मजूमदार शॉ ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई नसीहत दी कि यदि राज्य में बढ़ते धार्मिक विभाजन जल्द हल नहीं निकाला तो इस सांप्रदायिकता में कर्नाटक ही नहीं बल्कि पूरा देश तबाह हो जाएगा। हालांकि कर्नाटक शासित भाजपा मजूमदार की नसीहत को समझने के बजाय उन पर ही राजनीतिक रंग देने का आरोप लगा रही है।
पहली कारपोरेट नेता ने व्यक्त की है चिंता : दरअसल कर्नाटक के मंदिर परिसर में गैर-हिंदुओं को व्यापार करने से रोकने पर एक पहली कारपोरेट नेता के रूप में किरण शॉ चिंता व्यक्त की है। दरअसल किरण मजूमदार शॉ ने ट्वीट किया है कि कर्नाटक ने हमेशा समावेशी आर्थिक विकास किया है और इस तरह के सांप्रदायिक बहिष्कार की अनुमति किसी भी तरह से किसी के भी हित में नहीं है। उनका कहना है कि यदि आईटीबीटी (सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी) को सांप्रदायिकता के रूप में देखा जाने लगा तो हमारा वैश्विक नेतृत्व नष्ट होने लगेगा।
भाजपा बयान को राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया : अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर लिखते हुए कहा है कि इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि किरण शॉ जैसे लोग अपनी व्यक्तिगत, राजनीतिक रूप से थोपने लगते हैं। अमित मालवीय यहां नहीं रुके उन्होंने आगे लिखा कि कर्नाटक में धार्मिक विभाजन के लिए किरण शॉ की जागरूकता देखकर उन्हें अच्छा लगा। उन्होंने सवाल किया कि क्या उन्होंने एक अल्पसंख्यक के शिक्षा पर हिजाब को प्राथमिकता देने की मांग पर वह जागरूक हुईं ?
हिन्दू संगठनों ने उठाई है मांग : दरअसल विहिप और बजरंग दल जैसे हिन्दू समूहों ने मंदिर परिसरों में मुस्लिम व्यापारियों के आने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। कुछ मंदिरों के उत्सवों में मुस्लिम व्यापारियों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है। हालांकि कर्नाटक सरकार ने इस मामले से दूरी बनाते हुए काफी हद तक बोलने से परहेज किया है। सरकार ने विधानसभा को बताया कि मंदिर परिसर में गैर-हिंदू विक्रेताओं पर जो प्रतिबंध लगाया गया है वह 2002 में कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थानों और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1997 के तहत एक नियम पर आधारित है।
पहली कारपोरेट नेता ने व्यक्त की है चिंता : दरअसल कर्नाटक के मंदिर परिसर में गैर-हिंदुओं को व्यापार करने से रोकने पर एक पहली कारपोरेट नेता के रूप में किरण शॉ चिंता व्यक्त की है। दरअसल किरण मजूमदार शॉ ने ट्वीट किया है कि कर्नाटक ने हमेशा समावेशी आर्थिक विकास किया है और इस तरह के सांप्रदायिक बहिष्कार की अनुमति किसी भी तरह से किसी के भी हित में नहीं है। उनका कहना है कि यदि आईटीबीटी (सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी) को सांप्रदायिकता के रूप में देखा जाने लगा तो हमारा वैश्विक नेतृत्व नष्ट होने लगेगा।
भाजपा बयान को राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया : अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर लिखते हुए कहा है कि इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि किरण शॉ जैसे लोग अपनी व्यक्तिगत, राजनीतिक रूप से थोपने लगते हैं। अमित मालवीय यहां नहीं रुके उन्होंने आगे लिखा कि कर्नाटक में धार्मिक विभाजन के लिए किरण शॉ की जागरूकता देखकर उन्हें अच्छा लगा। उन्होंने सवाल किया कि क्या उन्होंने एक अल्पसंख्यक के शिक्षा पर हिजाब को प्राथमिकता देने की मांग पर वह जागरूक हुईं ?
हिन्दू संगठनों ने उठाई है मांग : दरअसल विहिप और बजरंग दल जैसे हिन्दू समूहों ने मंदिर परिसरों में मुस्लिम व्यापारियों के आने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। कुछ मंदिरों के उत्सवों में मुस्लिम व्यापारियों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है। हालांकि कर्नाटक सरकार ने इस मामले से दूरी बनाते हुए काफी हद तक बोलने से परहेज किया है। सरकार ने विधानसभा को बताया कि मंदिर परिसर में गैर-हिंदू विक्रेताओं पर जो प्रतिबंध लगाया गया है वह 2002 में कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थानों और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1997 के तहत एक नियम पर आधारित है।