जनता की अदालत में मंच खुला छोड़ जनता की सुनें केजरीवाल

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चरण सिंह
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल आतिशी को मुख्यमंत्री बनाकर जनता की अदालत में जा रहे हैं। दिल्ली जंतर-मंतर पर आयोजित जनता की अदालत में उन्होंने अपने को ईमानदार बताते हुए कहा कि यदि वह बेईमान होते तो लोगों को बिजली-पानी फ्री कैसे देते। महिलाओं को रोडवेज में फ्री सफर कैसा कराते ? अरविंद केजरीवाल की रणनीति है कि दिल्ली की ७० विधानसभा सीटों पर जनता की अदालत लगे औेर जनता से पूछा जाए कि वे लोग ईमानदार हैं या फिर बेईमान। अरविंद केजरीवाल की जनता की अदालत में केजरीवाल और उनके सिपेहसालार खुद ही बोल रहे हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि जनता कैसे बताएगी कि ये लोग चोर हैं या फिर ईमानदार। होना तो यह चाहिए कि केजरीवाल और उनकी टीम को मंच खुला छोड़कर नीचे बैठना चाहिए। और लोगों को मंच पर बुलाकर उनसे अपने बारे में पूछना चाहिए। ये जो केजरीवाल जनता की अदालत लगा रहे हैं उसमें जनता से तो कुछ नहीं पूछा जा रहा है। जनता की अदालत में तो उनके कार्यकर्ता ही पहुंच रहे हैं। ये लोग तो केजरीवाल एंड टीम को ईमानदार ही बताएंगे।
प्रश्न यह भी उठता है कि जिस कथित शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल जेल मे बंद हैं। उस शराब नीति के बारे में क्या जनता से पूछा था। केजरीवाल बात-बात पर जनमत कराने की बात करते हैं। क्या जगह-जगह शराब के ठेके खोलने और एक बोतल पर एक फ्री करने के बारे में जनता से पूछा था ? केजरीवाल कांग्रेस, राजद, सपा, एनसीपी समेत सभी दलों को भ्रष्ट करार देते थे। क्या इन दलों से गठबंधन करने से पहले जनता से पूछा था ? केजरीवाल कह रहे हैं कि वे तो राजनीति बदलने आये थे। केजरीवाल पर भ्रष्टाचार ही नहीं बल्कि अपने ही दल के नेताओं के साथ कार्यकर्ताओं से बदसलूकी कराकर पार्टी से निकलने के लिए मजबूर करने का भी आरोप है। चाहे आम आदमी पार्टी का संविधान तैयार करने वाले योगेंद्र यादव हों, आम आदमी पार्टी का बड़ा चेहरा रहे कुमार विश्वास हों, प्रख्यात वकील प्रशांत भूषण हों, साजिया इल्मी हों या फिर अब आम आदमी पार्टी पर हमलावर हो रहीं स्वाति मालीवाल ये नेता कभी केजरीवाल के बहुत करीबी रहे हैं।
जब केजरीवाल के करीबी रहे ओैर आदम आदमी पार्टी को वजूद में ले जाने वाले नेता ही अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगा रहे हैं तो फिर केजरीवाल बीजेपी को क्यों कोस रहे हैं। खुद कांग्रेस नेता अजय माकन ने भी तो मुख्यमंत्री आवास मामले में उनकी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। जब अरविंद केजरीवाल उन नेताओं के साथ गठबंधन कर सकते हैं जिन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर उन्होंने पार्टी बनाई थी। जिनके खिलाफ लोकपाल की मांग कर रहे थे। तो फिर केजरीवाल राजनीति बदलने की बात कैसे कर सकते हैं। केजरीवाल तो भ्रष्टाचार के मामले में दूसरे दलों से भी आगे निकल गये हैं। जब कोर्ट से उन्हें कोई राहत नहीं मिल रही है तो फिर कहीं न कहीं केजरीवाल एंड टीम भ्रष्टाचार में लिप्त है। वैसे भी केजरीवाल ने फ्री की योजनाएं चलाकर लोगों को निठल्ला बनाने का काम किया है। क्या केजरीवाल जो फ्री योजनाएं चला रहे हैं यह पैसा वह खेत बेचकर लाये हैं। यह पैसा जनता का ही तो है यदि इस पैसे में से कुछ पैसा वह जनता को लौटा भी दे रहे हैं तो फिर कौन सा एहसान कर रहे हैं।

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