Kashmiri Pandits Death: कश्मीर में टारगेट किलिंग जारी, प्रशासन नाकाम!
Saurabh Sharma
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Kashmiri Pandits Death
Kashmiri Pandits Death: बीते दिनों एक फिल्म की काफी चर्चा रही “द कश्मीर फाइल्स”। 1990 के समय की वास्तविकता बताने का दावा करने वाली फिल्म कश्मीरी पंडितों को चुनकर उन पर हमले और पलायन के लिए मजबूर की कहानी बताती थी लेकिन आज 2022 में अगर आप कश्मीर की खबरों की बात करें तो आप पाएंगे कि फिल्म में बताए गए हालातों का शुरुआती दौर और आज का दौर कुछ अलग नहीं हैं। आतंकवादियों द्वारा अकेले मई महीने में 8 लोगों की मौत की खबर आ चुकी हैं।
5 जून को एक कुलगाम जिले के बैंक में आतंकवादियों ने विजय कुमार (Vijay Kumar) पर हमला कर दिया जिसके बाद उनकी मौत अस्पताल ले जाने पर हो गई इस कायराना हमले की जिम्मेदारी “कश्मीर फ्रीडम फाइटर” जैसे ग्रुप ने ली जिनके पास सेना से लोहा लेने का मनोबल नहीं हैं। 5 जून के ही दिन गृह मंत्री अमित शाह, NSA अजीत डोभाल और RAW के अध्यक्ष ने मीटिंग की जिससे कश्मीर हो रही टारगेट किलिंग(Kashmiri Pandits Death) रोकी जा सकें।
कश्मीर में कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) पर लगातार हमले हो रहे है जिसे टारगेट किलिंग यानि कि समुदाय विशेष को चुनकर हमले करने का काम कश्मीर में प्रशासन के ठीक नीचे हो रहा हालही की कुछ घटनाओं (List Of Kashmiri Pandits Killed by Militants) को देखिए –
4 अप्रैल को बालकृष्ण भट्ट को उनके दुकान में घुस कर मार दिया गया।
13 अप्रैल को कश्मीर में ही सतीश कुमार सिंह जी की हत्या कर दी।
12 मई को 36 वर्षीय राहुल भट्ट बीते 10 सालों से तहसीलदार कार्यालय में काम कर रहे थे। कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास विशेष पैकेज के तहत उनको यह नौकरी मिली थी। चदूरा तहसील कार्यालय में तैनात राहुल भट्ट को 12 मई को चरमपंथियों ने गोली मार दी थी जिसके बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई।
राहुल अपने पीछे 6 साल की बच्ची को छोड़कर चले गए, राहुल की मौत के बाद लोगों ने प्रदर्शन किए पूछा कि जब सरकारी अफसर को उनके दफ्तर में इस तरह से गोली मारी जा सकती हैं तो आम आदमी अपनी सुरक्षा के लिए क्या उम्मीद कर सकता हैं।
12 मई के दिन SPO रियाज अहमद ठाकोर की उनके घर में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी।
18 मई को आतंकवादी उत्तरी कश्मीर के बारामूला में एक शराब की दुकान में दाखिल हुए और ग्रेनेड फेंका जिससे जम्मू के रहने वाले एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि तीन अन्य घायल हो गए।
24 मई को पुलिसकर्मी सैफुल्लाह कादरी की आतंकवादियों ने श्रीनगर स्थित उनके आवास के सामने गोली मारकर हत्या कर दी।
26 मई बडगाम में आतंकवादियों ने टीवी कलाकार अमरीन भट की हत्या कर दी।
31 मई को सरकारी स्कूल की शिक्षिका रजनी देवी की गोली मार कर हत्या कर दी गई, रजनी का परिवार 1990 के पलायन में कश्मीर से पलायन कर गया था। इसके बाद केन्द्र के पैकेज के तहत नौकरी दी गई थी।
साल 2022 में अकेले कश्मीर में 26 टारगेट किलिंग हो चुकी हैँ। सोशल मीडिया पर लोगों के खिलाफ भड़काऊ पोस्ट चल रहीं कि वे जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी जम्मू डिवीजन छोड़ दें।आतंकवादी बाहरी Vs कश्मीरी का माहौल तैयार कर रहें हैं। विजय कुमार (Vijay Kumar) की हत्या के बाद भी अब तक प्रशासन कोई बड़ी उपलब्धि नही मिली हैं।
आतंकवादी बाहर से आए लोग, पंडित (Kashmiri Pandits) और घाटी छोड़कर वापस आए लोग को भी निशाना बना रहें । 44 से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोग भी उतनी ही संख्या में मारे गए यह आंकड़ा इसलिए भी जरुरी हैं ताकि सुरक्षा से सवाल को आप धर्म से न देखने लगें और नेताओं का काम आसान कर दें। राहुल भट्ट के मौत के बाद प्रदर्शन करने वाले लोगों में मुस्लिम समुदाय के लोग भी उसी तरीके से कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे।
5 अगस्त 2019 के बड़े भाषणों के बाद कश्मीर के इस तरह के हालात यही बताते है कि सरकार के कानून व्यवस्था के सारे दावे झूठे हैं, लगातार मौत के मामले सामने आने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने 6 जून को बड़ी बैठक बुलाई, LG मनोज सिन्हा, पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह, जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव के अलावा रॉ के चीफ सामंत गोयल, आईबी प्रमुख अरविंद कुमार के अलावा सैन्य और सुरक्षाबलों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होने जा रहें हैं।
कश्मीरी हिंदुओं की सुरक्षा के लिए शिव सेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने अमित शाह को पत्र लिखा। विपतक्षी नेता राहुल गांधी ने सरकार पर फिल्मों के प्रमोशन का आरोप लगाया। सुर्खियों में ये भी अनुमान लगाया जा रहा कि कश्मीर में हो रही टारगेट किलिंग की साजिश पिछले साल POK में रची गई थी। इसी के साथ ही इस साल अमरनाथ यात्रा के दोनों मार्गों पर जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों के अलावा 12 हजार अतिरिक्त अर्धसैनिकों की तैनाती किए जाने की उम्मीद है।
उम्मीद हैं कि कश्मीर से कश्मीरी पंडितों की हत्याओं (Kashmiri Pandits Death) का सिलसिला सरकार रोकने में कामयाब होगी। एक लम्बे समय से कश्मीर के लोगों नें केवल दहशत भरे माहौल को देखा हैं। नोटबंदी के समय से चले आ रहे सरकार के दावे रंग लाए और कश्मीर में शांति बहाल हो।