‘मजबूर और मजबूत सरकार में अंतर’
-राजद का मतलब समझाया
-तेजस्वी को ललकारा
-पुरानी यादें दिलाईं
दीपक कुमार तिवारी
पटना। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा रविवार को बिहार दौरे पर रहे। उन्होंने जहानाबाद में जेडीयू प्रत्याशी के पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित किया। जेपी नड्डा ने मजबूत और मजबूर सरकार के बीच अंतर को बताया। 2014 से पहले दस सालों तक देश में मजबूर सरकार थी। 2014 से देश में मजबूत सरकार है। नड्डा ने जहानाबाद के लोगों को जंगलराज की याद दिलाई।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि एक सरकार होती है जिसे मजबूत सरकार कहते हैं।एक सरकार होती है मजबूर और कमजोर सरकार. 2014 से पहले आपने मजबूर और कमजोर सरकार,अपंग सरकार देखी है. मजबूत और मजबूत सरकार में क्या अंतर होता है?
आतंकवादी जब देश में आतंक फैलाता है तो मजबूर सरकार पाकिस्तान को डोजियर भेजती है। मजबूत सरकार वह होती है जो मोदी जी के नेतृत्व में होती है। अगर उडी और पुलवामा की घटना घटती है तो हमारे जवान पाकिस्तान में घुसकर जवाब देते हैं। सर्जिकल और एयर स्ट्राइक करते हैं। यही फर्क है मजबूत और मजबूत सरकार में।
जेपी नड्डा ने कहा कि मोदी जी ने कश्मीर को मुख्य धारा मिला दिया है। कुछ परिवारों ने कश्मीर के लोगों को एक तरह से बंधक बना रखा था। वोटर को मजबूर कर रखा था। उनको आजाद करने का काम और मुख्य धारा में लाने का काम नरेंद्र मोदी की सरकार ने किया है। आज कश्मीर उन्मुक्त होकर प्रजातंत्र के त्यौहार में भागीदारी कर रहा है।
पिछले 10 साल में राजनीति में क्या अंतर आया, 10 साल पहले राजनीति क्या होती थी। जाति, धर्म ,इलाके, वोट बैंक की राजनीति होती थी। लेकिन मोदी जी की नेतृत्व में राजनीति की परिभाषा बदल गई है। मोदी जी एक ही बात विकासवाद को लेकर चले हैं।सबका साथ सबका विकास सबका प्रयास के मूल मंत्र को लेकर चले हैं। मोदी जी तीसरा बार पीएम बनेंगे और भारत तीन साल के अंदर दुनिया की तीसरी अर्थ व्यवस्था बन जायेगा।
जेपी नड्डा ने राजद का मतलब समझाया. कहा कि राष्ट्रविरोधी, रिश्वतखोरी, जंगलराज और दलदल पार्टी है राजद। ये लोग बिहार को लालटेन युग में ले जाना चाहते है। ये जंगलराज के लोग हैं। मैने लालू को देखा है छात्र नेता के रूप में. वो किस तरह से इंदिरा गांधी के खिलाफ लड़ता था। बेटी का मीसा नाम कैसे पड़ा था, मीसा कानून के तहत लालू यादव जेल में बंद थे।
यही लालू जी अब परिवारवाद में फंस गए। भ्रष्टाचार में आकंठ डूब गए। नौकरी के नाम पर जमीन खा गए। मैं भूलने वाला नहीं हूं. जहानाबाद में तीन बजे से पहले न कोई आता था और न कोई जाता था। क्या मैं सच बोल रहा हूं या नहीं ? ये बच्चा तेजस्वी क्या जाने बाप के कारनामें। इसी बिहार में 2003 में तेल पिलावन लठिया रैली हुई थी पटना के गांधी मैदान में। यह रैली लोगों को डराने के लिए हुई थी।