हरियाणा में आप के मामले में काम कर गई जाट बुद्धि!

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चरण सिंह 
कांग्रेस को हाशिये पर धकेलने में जितना योगदान बीजेपी का है। उससे कम आम आदमी पार्टी का नहीं है। आम आदमी पार्टी ने न केवल कांग्रेस की छवि बिगाड़ने का काम किया बल्कि दिल्ली और पंजाब की सत्ता भी हथिया ली। लोकसभा में भले ही आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन में शामिल हो पर चुनाव खत्म होते ही आम आदमी पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने का ऐलान कर दिया था। ऐसे ही हरियाणा में दस सीटों पर अड़ी रही। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ऐसी रणनीति अपनाई कि गठबंधन नहीं हो पाया। आम आदमी पार्टी अब ९० सीटों पर चुनाव लड़ने का दंभ भर रही है। वैसे भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा में अपने दम पर चुनाव जितवाने में सक्षम हैं। सर्वे भी कांग्रेस की सरकार बनवा रहे हैं।
दरअसल हरियाणा में राहुल गांधी चाहते थे कि आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन हो पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस पक्ष में नहीं थे। क्योंकि मामला राहुल गांधी का था तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा कुछ सीटें देने को तैयार हो गये। आम आदमी पार्टी जो ठहरी जिद्दी पार्टी। अड़ गई १० सीटों पर। जानकारी मिल रही है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा तीन सीटें देने को तैयार थे पर आम आदमी पार्टी इतनी सीटों पर नहीं मानी। सो गठबंधन नहीं हो पाया। अब कांग्रेस सभी ९० सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हालांकि आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ भी कह चुकी हैं कि आम आदमी पार्टी हरियाणा में सभी ९० सीटों पर चुनाव लड़ेगी। अब बाकायदा हरियाणा के अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने ऐलान कर दिया है कि आम आदमी पार्टी सभी ९० सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
दरअसल आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को बेदखल कर न केवल दिल्ली बल्कि पंजाब की सत्ता भी कांग्रेस से ही हथियाई है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा नहीं चाहते कि आम आदमी पार्टी का वजूद हरियाणा में भी बढ़े। यही वजह रही कि उन्होंने राहुल गांधी को मैनेज कर आम आदमी पार्टी से पीछा छुड़ाने की रणनीति बनाई। यही वजह रही कि जो बात सामने आ रही है उसके अनुसार आम आदमी पार्टी के लिए तीन सीटें ही छोड़ी गई थी, जबकि पहले आम आदमी पार्टी को ५ सीटें देने की बात कही जा रही थी। हालांकि आम आदमी पार्टी हरियाणा में कांग्रेस के वोट काटेगी पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा आज की तारीख में हरियाणा में जाटों के सर्वमान्य नेता माने जा रहे हैं।
दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के कांग्रेसी राहुल गांधी को समझा रहे हैं कि आम आदमी को साथ लेने का मतलब अपनी जड़ें खुद खुदवाना। कांग्रेस नेताओं को आम आदमी पार्टी पर गुस्सा इस बात को लेकर भी है कि जब इंडिया गठबंधन की पहली बैठक जो कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर हुई थी, उसमें कांग्रेस को संसद में दिल्ली विधेयक पर साथ देने का वादा चाहा था। लोकसभा चुनाव होते ही आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने का ऐलान कर दिया।
दरअसल दिल्ली में शीला दीक्षित ने जबरदस्त काम कराया था। दिल्ली के फ्लाईओवर और मेट्रो शीला दीक्षित की ही देन है और अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित को भ्रष्टाचारी बताते हुए सरकार बनने पर उनकी जांच कराने की बात कही थी। कांग्रेस का अरविंद केजरीवाल के प्रति गुस्से का एक बड़ा कारण यह भी है कि जिस अन्ना आंदोलन से निकले नेता अरविंद केजरीवाल हैं। वह आंदोलन ही आरएसएस की शह पर कांग्रेस के खिलाफ खड़ा किया गया था। खुद अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के खिलाफ आग उगलते रहे हैं। यही वजह है कि न केवल दिल्ली बल्कि पंजाब और हरियाणा के नेता भी आम आदमी पार्टी  को सटाना नहीं चाहते हैं। वैसे भी भ्रष्टाचार के आरोप में दिल्ली के मुख्यमंत्री  अरविंद केजरीवाल जेल में बंद हैं और मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जमानत पर बाहर हैं।

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