मायावती के लिए पार्टी को बचाने के साथ ही आकाश आनंद को स्थापित करना बड़ी चुनौती!

चरण सिंह
उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती के लिए आज की तारीख में बसपा को बचाए रखना बड़ी चुनौती बना हुआ है। यह मायावती की मजबूरी है या फिर रणनीति कि उत्तर प्रदेश और केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी तो भाजपा है पर मायावती आक्रामक सपा और कांग्रेस पर हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि मायावती सत्ता के खिलाफ जाए बिना अपना जनाधार कैसे बचा पाएंगी ? मायावती भी जानती हैं कि उनका वोटबैंक भाजपा ने हथिया लिया था। इन लोकसभा चुनाव में उनका वोटबैंक संविधान बदलने और आरक्षण खत्म होने के अंदेशे के चलते इंडिया गठबंधन की ओर गया। यह चिंतनीय है कि २००७ में प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने वाली मायावती के पास आज की तारीख में एक ही विधायक है और सांसद तो एक भी नहीं है। मायावती के लिए एक बड़ी दिक्कत यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वंशवाद और परिवारवाद के पहचान के बिना एक लाख युवाओं को राजनीति में लेने की अपील जो कर दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि वंशवाद के चलते प्रतिभा दबकर रह जाती है। ऐसे में मायावती के लिए आकाश आनंद को स्थापित करना भी एक बड़ी चुनौती है।
ऐसे में भी मायावती अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी सौंपने की तैयारी कर रही है। लोकसभा चुनाव में भाजपा का ज्यादा आक्रामक होने के चलते मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को चुनाव से अलग कर लिया था और अब उप चुनाव के साथ ही चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी भी आकाश आनंद को मिल सकती है। मतलब मायावती को पार्टी बचाने से ज्यादा पार्टी कब्जाने की है। मायावती चाहती हैं कि उनके बाद बसपा की बागडोर आकाश आनंद संभालें। आकाश आनंद को मायावती ने अपना उत्तराधिकारी घोषित तो कर ही दिया अब राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना बाकी है। हालांकि मायावती आकाश आनंद को स्थापित किये बिना अध्यक्ष पद नहीं छोड़ने जा रही हैं। अभी तक आकाश आनंद न तो कहीं से चुनाव लड़े हैं और न ही विधानसभा परिषद या राज्यसभा में गये हैं। ऐसे में मायावती का प्रयास होगा कि किसी तरह से पहले आकाश आनंद पूरी तरह से जमा दिया जाएं। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि जब आकाश आनंद को भाजपा के खिलाफ बोलने नहीं दिया जाएगा तो वह स्थापित कैसे हो पाएंगे ?
मायावती सबसे बड़ी टेंशन तो चंद्रशेखर आजाद बने हुए हैं। नगीना से सांसद बनने के बाद चंद्रशेखर आजाद जहां पूरी तरह से फार्म हैं वहीं उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। मायावती का उत्तर प्रदेश विधानसभा का उप चुनाव लड़ने का मकसद भी अपने वोट बैंक को बचाना है। चंद्रशेखर आजाद सड़क से लेकर संसद तक दलितों के मुद्दों को उठा रहे हैं। ऐसे में मायावती अपने भतीजे आकाश आनंद को कैसे स्थापित करें यह उनकी समझ में नहीं आ रहा है। हालांकि चंद्रशेखर आजाद आकाश आनंद को अपना छोटा भाई बता रहे हैं। साथ ही वह भीम आर्मी में ट्रेनिंग लेने की बात भी कर रहे हैं। मायावती एक और आकाश आनंद को पार्टी सौंपना चाहती हैं दूसरी ओर वह यह भी चाहती हैं कि आकाश आनंद को कोई दिक्कत न हो।
मायावती के लिए दिक्कत भरा यह मामला भी है कि दलित युवाओं का रुझान बड़ी तेजी से चंद्रशेखर आजाद की ओर जा रहा है। यदि वह आकाश आनंद को खुलकर बोलने का मौका देती हैं तो ईडी सीबीआई और इनकम टैक्स छापेमारी का अंदेशा उन्हें है और यदि आकाश आनंद को भाजपा के खिलाफ बोलने का मौका नहीं दिया जाता है तो दलित युवा ज्यादा दिन तक आकाश आनंद के इंतजार में नहीं बैठे रह सकते हैं। दरअसल आकाश आनंद का भाषण देने का जो तरीका है वह दलित युवाओं को भा रहा है पर आकाश आनंद के बीजेपी के खिलाफ बोलने पर मायावती पर पीछे हटने का दबाव बन जा रहा है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि यदि मायावती को बसपा को बचाना है और आकाश आनंद को स्थापित करना है तो आकाश आनंद को खुलकर खेलने का मौका देना पड़ेगा। आकाश आनंद भाषण बहुत अच्छा  देते हैं और बहुत कम समय में न केवल पार्टी को बचा लेंगे बल्कि केंद्र और राज्य सरकार पर हमलावर होकर पार्टी का अच्छा खासा वोटबैंक खड़ा कर देंगे।

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