कहीं रायबरेली की सीट भी न निकल जाए कांग्रेस के पंजे से ?

चरण सिंह 

यह कांग्रेस के लिए घातक भी साबित हो सकता है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी चुनाव न लड़ने के लिए अड़ जाएं। जगजाहिर है कि ये दोनों ही नेता विपक्ष के चेहरा हैं।  इनके कंधों पर विपक्ष का दारोमदार है। अमेठी से नामांकन की शुक्रवार को अंतिम तिथि है और गुरुवार को शाम चार बजे तक यहां से चुनाव लड़ने की घोषणा इंडिया गठबंधन ने नहीं की है। दरअसल कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की चर्चा चुनाव की घोषणा होते ही शुरू हो गई थी पर जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार गांधी परिवार की परंपरागत सीट अमेठी और रायबरेली पर चुनाव लड़ने का निर्णय नहीं हो पा रहा है।

यह हाल तब है जब अमेठी से कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी को उम्मीदवार बनाने के लिए धरना दे दिया है। हालांकि बुधवार को सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा और गुरुवार को गांधी परिवार के वकील केसी कौशिक अमेठी दौरे पर पहुंचे और स्थानीय लोगों से बातचीत की। इस खबर से इस बात की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है कि ४ मई को गांधी परिवार का कोई सदस्य अमेठी से नामांकन कर सकता है। नामांकन के लिए जिला प्रशासन से गाड़ियों की भी परमिशन ले ली गई है।

जानकारी यह भी मिल रही है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन दो दिन से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का मान मनौव्वल कर हैं। उनसे चुनाव लड़ने की अपील कर रहे हैं। उन्होंने सोनिया गांधी से भी राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव लड़वाने की अपील की है। सोनिया गांधी ने भी राहुल गांधी को अमेठी चुनाव लड़ने के लिए कह दिया है लेकिन राहुल गांधी हैं कि मानते ही नहीं। कांग्रेस भले ही इसे माहौल बनाने का नाम दे रही हो पर इससे गलत संदेश जा रहा है। संदेश यह जा रहा है कि सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी चुनाव लड़ने के डर रहे हैं। राहुल गांधी वायनाड से चुनाव लड़े हैं तो इसका संदेश भी उत्तर प्रदेश में गलत गया है।

उत्तर प्रदेश में अमेठी, राय बरेली दोनों ही सीटों गांधी परिवार की परंपरागत सीटें मानी जाती हैं। इन दोनों ही सीटों पर ही गांधी परिवार के सदस्य चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं। कांग्रेस को यह भी समझ लेना चाहिए कि यदि रायबरेली और अमेठी से गांधी परिवार का कोई सदस्य न लड़ा तो ये दोनों ही सीटें गांधी परिवार से सरक जाएं तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

यदि  राहुल गांधी अमेठी से चुनाव न लड़ें तो बीजेपी राहुल गांधी को भगोड़ा भी घोषित कर सकती है। वैसे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो उन्हें वायनाड से भागने की बात कह चुके हैं। राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री को ललकार रहे हैं और स्मृति ईरानी राहुल गांधी को ललकार रही हैं। ऐसे में यह संदेश जा रहा है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिपहसालार स्मृति ईरानी की चुनौती राहुल गांधी स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं तो फिर प्रधानमंत्री के सामने कैसे ठहरेंगे। बताया तो यह भी जा रहा है कि गांधी परिवार में सब कुछ ठीक ठाक नहीं है। प्रियंका गांधी अपने पति रॉबर्ट वाड्रा को चुनाव लड़ाना चाहती हैं और सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के मुंह से एक बार भी रॉबर्ट वाड्रा का नाम नहीं निकला है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या राहुल गांधी और प्रियंका गांधी चुनाव लड़ेंगे ? लड़ेंगे तो कहां से लड़ेंगे ? यदि नहीं लड़ेंगे तो किसी अमेठी और किसी रायबरेली से चुनाव लड़ाएंगे?

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