नई दिल्ली। सहारा निवेशकों का मुद्दा गंभीर रूप लेता जा रहा है। एक और निवेशक दो लाख करोड़ से ऊपर का भुगतान बताकर आंदोलन कर कर रहे हैं। अदालत में याचिका दायर कर रहे हैं। तो दूसरी ओर सरकार कह रही है कि जो पैसा उनके पास है वह ही निवेशक नहीं ले जा रहे हैं। जब यह मामला लोकसभा में उठा तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि कागजात लाइये और भुगतान ले जाइये। उनका स्पष्ट कहना था कि जो पैसा उनके पास है पहले वह तो ले जाइये। मतलब सहारा रिफंड पोर्टल के माध्यम से जो पैसा सहारा निवेशकों को देने की बात सरकार की ओर से की जा रही है, उसमें कागजात में कमी बाधा बन रही है। बताया जा रहा है कि किसी आवेदन में फोटो की कमी निकाल दी जा रही है तो किसी में हस्ताक्षर की। दरअसल सहारा में पैसा जमा करने को लेकर फेयर काम बहुत कम हुआ है। देखने को मिलता था कि किसी के सिग्नेचर कोई भी कर देता था।
कहना गलत न होगा कि सहारा फ्रॉड का दूसरा नाम है। यह सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि एजेंटों द्वारा सहारा में जमा कराए पैसे का हिसाब लेकर उसका भुगतान कराया जाए। निवेशक सीधे आवेदन करेंगे तो कहीं न कहीं मामला जरूर फंसेगा।
कहना गलत न होगा कि सहारा फ्रॉड का दूसरा नाम है। यह सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि एजेंटों द्वारा सहारा में जमा कराए पैसे का हिसाब लेकर उसका भुगतान कराया जाए। निवेशक सीधे आवेदन करेंगे तो कहीं न कहीं मामला जरूर फंसेगा।
दरअसल लोकसभा में सहारा ग्रुप के फ्रॉड का मामला जोर शोर से उठा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न का जवाब देते हुए निवेशकों की बकाया रकम को लेकर बड़ी जानकारी दी। वित्त मंत्री ने कहा कि सहारा समूह के जिन निवेशकों के पास कागजात पूरे हैं उन्हें पैसे वापस करने में कोई बाधा नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार तो हाथ जोड़कर खड़ी है कि आइए सारे कागजात लाइए और अपने पैसे ले जाइए। लेकिन कोई आ नहीं रहा है। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि आप बाहर जाकर यह न कहें कि सरकार पैसा नहीं दे रही है। सरकार तो पूरी तरह से तैयार है। इस मामले की शीर्ष न्यायालय निगरानी कर रही है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि सरकार कागजात देखकर निवेशकों का पैसा दे रही है तो फिर निवेशकों से सीधे कागजात लेकर उनका भुगतान क्यों नहीं करा दिया जा रहा है। या फिर दस हजार से क्या होगा ? जिन निवशकों के लाखों या करोड़ों रुपए हैं उनका क्या होगा ? वैसे भी खुद गृह मंत्री अमित शाह 10 करोड़ सहारा निवेशक और 80 करोड़ उनका भुगतान बता चुके हैं।
दरअसल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के अमरा राम ने लोकसभा में पूछा था कि सहारा ग्रुप में निवेश करने वाले कितने लोगों को पैसा वापस किया और कितना किया? इसका शुरू में जवाब वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने दिया। पंकज चौधरी ने सेबी के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि 17 हजार के करीब लोगों ने ही आवेदन किया। इसमें 138 करोड़ रुपए दे दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अदालत में जाकर खुद लोगों से क्लेम करने की अपील की है। जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर अमरा राम ने फिर से सवाल पूछ लिया। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “अदालत में जाइए। अदालत में पूछिए हम भी इंतजार में खड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट हमें सुपरवाइज कर रहा है। हमारे ऊपर हाथ उठाने का कोई फायदा नहीं है।”