समस्तीपुर/बिथान। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, रोसड़ा द्वारा आयोजित तीन दिवसीय स्वर्णिम भारत नवनिर्माण आध्यात्मिक प्रदर्शनी के दूसरे दिन बड़ी संख्या में जिज्ञासुओं के आने का सिलसिला जारी रहा और सैकड़ों की संख्या में लोगों ने सात दिवसीय राजयोग मेडिटेशन शिविर के लिए निःशुल्क नामांकन भी करवाया।
बृहस्पतिवार से शुरू हुए राजयोग मेडिटेशन शिविर के प्रथम दिन रोसड़ा की कुंदन बहन ने कहा कि आज मानव अपनी असली पहचान भूलकर ही अपने अंदर के गुणों व शक्तियों को भूला बैठा है और दुःख-अशांति-चिंता-तनाव के चंगुल में फंसता जा रहा है। स्वयं की सत्य पहचान की अनुभूति ही हमें सच्ची सुख-शांति की चिरकालीन अनुभूति करा सकती है। शरीर और इससे जुड़ी हर पहचान परधर्म है। इससे जुड़ी पहचान भले ही कितनी ही बड़ी क्यों ना हो! उसमें अंततः दुःख समाया हुआ है। स्व अर्थात् आत्मा का धर्म ही सच्चा स्वधर्म है। ज्ञान, शांति, प्रेम, पवित्रता, सुख, आनंद, शक्ति आदि सकारात्मक गुण ही ‘स्व’ का धर्म है। यह स्वधर्म, हर आत्मा का मौलिक और शाश्वत स्वभाव है। इन्हीं आत्मिक गुण और धर्म को, गीता में दैवी संपदा भी कहा गया है। स्वयं को शरीर मानकर मनुष्य आत्मा स्वयं से ही दूर हो गई है। इस दूरी को पाटना ही हमारा वर्तमान समय में सर्वाधिक महत्वपूर्ण लक्ष्य होना चाहिए। धन-वैभव-साधन हमारे लिए हैं, हम उनके लिए नहीं। इसके पीछे आवश्यकता से अधिक शक्ति लगाना वास्तव में अपनी आंतरिक शक्तियों को क्षीण करना है। यह भ्रम पालना कि इससे ही सच्ची शांति-खुशी मिलेगी, वास्तविकता से दूर भागने जैसा है। प्रतिदिन कुछ समय आत्म-अनुभूति में लगाना समय का सही निवेश और सदुपयोग है। समय निकालकर एकांत में बैठ मस्तिष्क के बीचों-बीच, जहां हम तिलक लगाते हैं, स्वयं को ज्योति बिंदु आत्मा के रूप में ध्यान केंद्रित करने से आत्मिक शांति, शक्ति और असीम ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं।
उन्होंने शुक्रवार को सायं 6 बजे तक हाई स्कूल रोड स्थित थाना चौक में आयोजित इस प्रदर्शनी का लाभ लेने के लिए समस्त बिथान वासियों का आह्वान किया।